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सुप्रीम कोर्ट ने ‘जहरीले कचरे’ पर मध्य प्रदेश सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने यूनियन कार्बाइड कचरे पर मध्य प्रदेश सरकार से स्पष्टीकरण मांगा

02:56 AM Feb 18, 2025 IST | IANS

सुप्रीम कोर्ट ने यूनियन कार्बाइड कचरे पर मध्य प्रदेश सरकार से स्पष्टीकरण मांगा

भोपाल गैस त्रासदी के बाद से बंद पड़ी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के कचरे के पीथमपुर में निष्पादन पर विवाद बढ़ गया है। जबलपुर हाई कोर्ट ने सरकार को इस कचरे के निष्पादन के लिए ट्रायल की अनुमति दे दी थी, लेकिन पीथमपुर के निवासी इस फैसले से सहमत नहीं थे। याचिकाकर्ता संदीप रघुवंशी का कहना है कि इस प्रक्रिया से पीथमपुर के लिए जोखिम बढ़ सकता है और इसे विनाश की ओर ले जा सकता है।

रघुवंशी ने बताया कि उन्होंने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की है, और उन्हें उम्मीद है कि शीर्ष अदालत इस मुद्दे पर ट्रायल रन पर रोक लगाएगी। उनका कहना है कि यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा पीथमपुर में लाकर उसे निष्पादित करना बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।

उन्होंने कहा, “हमने याचिका दायर की थी और मंगलवार को मामले की सुनवाई हुई। न्यायालय ने हमें सुना और अगली तारीख तय की है, जिसमें इस पर निर्णय हो सकता है। हम सुप्रीम कोर्ट भी गए हैं, जहां से मध्य प्रदेश सरकार, केंद्र सरकार और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी किया गया है।”

पीथमपुर के निवासियों का आरोप है कि इस कचरे के निष्पादन से इलाके में प्रदूषण बढ़ सकता है, जिससे स्थानीय लोगों की स्वास्थ्य समस्याएं और बढ़ सकती हैं। कुछ स्थानीय कंपनियां भी इस मुद्दे पर विरोध जता रही हैं और कचरे के निष्पादन के खिलाफ हैं।

उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने पिछले साल दिसंबर में जहरीले कचरे को न हटाने को दुखद बताते हुए, साइट को तुरंत साफ करने और कचरे के सुरक्षित निपटान के आदेश दिए थे। इसके साथ ही, 6 जनवरी के आदेश में पीथमपुर संयंत्र में कचरा निपटान के बारे में मीडिया को गलत सूचना प्रकाशित करने से रोका गया था।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने दलील दी कि हाई कोर्ट ने आदेश जारी करने से पहले कोई एडवाइजरी नहीं दी, जबकि यह खतरनाक रासायनिक कचरा है। राज्य सरकार के हलफनामे के अनुसार, पीथमपुर के आसपास लोगों की बस्तियां हैं, जो जहरीले कचरे को जलाने से निकलने वाली गैसों से प्रभावित हो सकते हैं। तारापुरा गांव के निवासियों को स्थानांतरित नहीं किया जा रहा है। निकटवर्ती नदी के पानी में प्रदूषण फैलने का भी खतरा है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए विनाशकारी हो सकता है।

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