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Hate Speech Issue पर Supreme Court की नसीहत, कहा-नफरत फैलाने वाले भाषणों पर जरूर होनी चाहिए

09:23 PM Nov 29, 2023 IST | R.N. Mishra

Hate Speech Issue: गलत बयानबाज़ी और हेट स्पीच को लेकर देश के उच्चतम न्यायलय ने हेट स्पीच पर बड़ी बात कही है। सुप्रीम कोर्ट Supreme Court ने कहा कि समाज को पता होना चाहिए कि अगर किसी कानून का उल्लंघन किया जाता है तो उसके बाद कार्रवाई होगी, किसी भी और सभी प्रकार के नफरत भरे भाषणों के खिलाफ कार्रवाई जरूर की जानी चाहिए।

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न्यायधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ कहा कि हम घृणा फैलाने वाले भाषणों की समस्या की देशभर में निगरानी नहीं कर सकते। भारत जैसे बड़े देश में समस्याएं तो होंगी ही लेकिन सवाल यह पूछा जाना चाहिए कि क्या हमारे पास इससे निपटने के लिए कोई प्रशासनिक तंत्र है। इस बेंच में न्यायधीश एसवीएन भट्टी भी शामिल थे।

बता दें 2018 में तहसीन पूनावाला मामले में उच्चतम न्यायलय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को घृणा अपराधों को रोकने साथ ही अपराध दर्ज करने के लिए जिम्मेदार एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश भी दिया था। देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को संरक्षित करने के महत्व पर को लेकर कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस प्रमुखों को किसी भी धर्म के लोगों की ओर से दिए गए नफरत भरे भाषणों के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेकर मामले दर्ज करने का निर्देश दिया था। इतना ही नहीं निर्देश का पालन नहीं होने पर अवमानना की कार्रवाई की चेतावनी दी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि वह उल्लंघन के व्यक्तिगत मामलों से नहीं निपटेगा। व्यक्तिगत मामलों को क्षेत्राधिकार वाली अदालतों की निपटाया जाना है। न्यायधीश संजीव खन्ना तथा न्यायधीश बेला एम त्रिवेदी की पीठ हेट स्पीच के मुद्दे पर 17 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह बातें कही। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस खन्ना ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के लिए उल्लंघन के व्यक्तिगत मामलों से निपटना अव्यावहारिक होगा। इस पर अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने सनातन धर्म के खिलाफ टिप्पणी के लिए तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ दायर अवमानना याचिका का जिक्र किया. जिसे लेकर न्यायमूर्ति खन्ना ने अपना रुख दोहराया कि व्यक्तिगत मामलों पर विचार नहीं किया जा सकता है।

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