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Supreme Court का बड़ा फैसला, अपनी संपत्तियों का ब्यौरा देंगे सभी जज

Supreme Court की वेबसाइट पर अपलोड होगी जजों की संपत्ति की जानकारी

04:13 AM Apr 04, 2025 IST | Himanshu Negi

Supreme Court की वेबसाइट पर अपलोड होगी जजों की संपत्ति की जानकारी

सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों ने ट्रांसपेरेंसी बढ़ाने के लिए अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करने का फैसला किया है। 11 अप्रैल को हुई फुल कोर्ट मीटिंग में 34 में से 30 जजों ने अपनी संपत्ति की घोषणा की। यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड की जाएगी, हालांकि यह स्वैच्छिक होगी।

ज्यूडीशियरी में ट्रांसपेरेंसी और जनता का भरोसा बनाए रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों ने पदभार ग्रहण करने के दौरान ही अपनी संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करने का फैसला किया है। 11 अप्रैल को हुईं फुल कोर्ट मीटिंग में सभी 34 जजों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना की मौजूदगी में अपनी संपति का खुलासा करने का फैसला लिया है। जजों ने यह भी कहा कि संपत्तियों से जुड़ी डीटेल सुप्रीम कोर्ट की ऑफिशियल वेबसाइट पर अपलोड की जाएगी। लेकिन, वेबसाइट पर संपत्ति की घोषणा स्वैच्छिक होगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में जजों की निर्धारित संख्या 34 है। फिलहाल यहां 33 जज हैं, एक पद खाली है। इनमें से 30 जजों ने अपनी संपत्ति का घोषणा पत्र कोर्ट में दे दिया है। हालांकि इन्हें सार्वजनिक नहीं किया गया है।

Delhi: जज के बंगले में लगी आग, फायर ब्रिगेड को मिला कैश का भण्डार

कैश मिलने के विवाद के बाद फैसला

यह फैसला दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मां के घर से कैश मिलने के विवाद के बाद लिया गया है। जस्टिस वर्मा के सरकारी बंगले में 14 मार्च को आग लगी थी। फायर सर्विस टीम को वहां अधजले नोट मिले थे। 1997 में, तत्कालीन सीजेआई जे एस वर्मा ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें जजों से अपेक्षा की गई कि वे अपनी संपत्ति की घोषणा चीफ जस्टिस को करें। हालांकि, यह घोषणा सार्वजनिक नहीं की जानी थी ।

2009 में संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक

2009 में, न्यायाधीश संपत्ति और देनदारियों की घोषणा विधेयक संसद में प्रस्तुत किया गया । इसमें सुप्रीम कोर्ट ओर हाईकोर्ट के जजों को अपनी संपत्ति की घोषणा करने कहा गया था। हालांकि, इसमें यह प्रावधान था कि घोषणाएं सार्वजनिक नहीं की जाएंगी इस प्रावधान के कारण विधेयक को विरोध का सामना करना पडा और इसे स्थागित कर दिया गया। 2009 में संपत्ति की घोषणाएं, 2009 में सूचना के अधिकार के तहत दबाव और पारदर्शिता की बढती मांग के कारण, कुछ जजों ने अपनी मर्जी से संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक की।

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