Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

NULL

11:24 PM Aug 26, 2017 IST | Desk Team

NULL

22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया जो शायद एक इतिहास बनेगा। भारत देश धर्मनिरपेक्ष देश है जहां महिलाएं हर क्षेत्र में तरक्की कर रही हैं। कहने को महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। यहां तक कि हमारे प्रधानमंत्री ने इनको आगे बढऩे के लिए नारा दिया-‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’। फिर भी हमारे देश के चन्द लोगों की मानसिकता के कारण महिलाएं, बेटियां अभी भी पीडि़त हैं। चाहे वो मुस्लिम समाज की हों या किसी और धर्म की या हिन्दू समाज की हों। विशेषकर मुस्लिम समाज की महिलाएं बहुत ही पीडि़त हैं। मेरे पास सैकड़ों मुस्लिम बहनों के पत्र आते हैं। खुद भी मिलने जाती हूं। कुछ पीडि़तों को हमने अपने चौपाल प्रोग्राम द्वारा मदद भी दी है परन्तु यह कैसी प्रथा थी जो अपनी ही ब्याहता पत्नी से पारिवारिक रिश्ता समाप्त कर अपनी जिन्दगी से बेदखल कर उसे नरक भरी जिन्दगी जीने से मजबूर कर दे। सुनने में आया कि कई लोगों ने तो इसे धंधा ही बना लिया था।

सुप्रीम कोर्ट के पंच परमेश्वर के इस फैसले का सम्मान करते हुए उम्मीद करती हूं कि बहुत जल्द अब संसद में हमारी मुस्लिम बहनों के स्वाभिमान के लिए कानून भी बन जाएगा और इस पहल के सूत्रधार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी बधाई देती हूं। उन मुस्लिम बहनों को भी नमन करती हूं जिन्होंने इसके लिए लम्बी लड़ाई लड़ी और आवाज उठाई। आज सुप्रीम कोर्ट ने तीन बार तलाक कहकर महिलाओं को त्यागने को अवैध करार देकर मुस्लिम महिलाओं को सामाजिक आजादी दी है। एक महिला होने के नाते एक पत्नी, बेटी, बहू होने के नाते में महिलाओं का दर्द समझती हूं, महसूस करती हूं। मैं तो हाथ जोड़कर कहती हूं कि हर धर्म की महिलाओं के लिए कुछ ऐसे नियम और कानून बन जाने चाहिए कि कोई भी महिला किसी भी रूप में तंग न हो और जो तलाक की संख्या बढ़ रही है वो भी कम हो क्योंकि मैं बुजुर्गों और बेटियों के लिए काम करती हूं। रोज आये दिन ऐसे बुजुर्गों से मिलती हूं जिनके हाथ कांप रहे होते हैं। उन्हीं पर बहुएं मारने का इल्जाम लगा देती हैं और कुछ बहुओं को दकियानूसी विचारों वाले पति और सास-ससुर भी तंग करते हैं और कई बहुएं, महिलाएं शादी कराकर अपने सास-ससुर की कड़ी मेहनत से कमाई पूंजी पर दावा ठोकती हैं।

मुझे कभी भी अपनी 85 नामक सदस्या की पीड़ा नहीं भूलती जिसकी बहू ने बेटे की मृत्यु के बाद वसन्त विहार में सारी उम्र रहती विधवा सास पर दावा ठोक कर अपना हिस्सा लेने के लिए कोठी बेचने पर मजबूर कर दिया। जिस उम्र में बुजुर्ग अपना स्थान बदलना पसन्द नहीं करते उन्हें अपनी हर पुरानी वस्तु से प्यार होता है। उसकी अन्तिम समय की तड़प मुझे भी बेचैन करती है। ऐसे में कानून बनने चाहिए कि बहू का उसी पर अधिकार हो जो शादी होने के बाद उसके पति की कमाई का हिस्सा हो। एक रोहिणी कोर्ट की जज ने ऐसा फैसला सुनाकर सास-ससुर को उसके घर से निकलने से बचाया था। इसलिए मेरे कहने का अर्थ है कि मुस्लिम बहनों की आने वाले समय में सुरक्षा हो गई जो स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाए। हर धर्म की महिलाओं की सुरक्षा होनी चाहिए। चाहे पुरुष हो या महिला। एक-दूसरे से इसलिए नहीं सताए जाने चाहिएं कि उनकी शादी हुई। उन्हें भारतीय परम्पराओं और संस्कृति के अनुसार मर्यादा में रहकर एक-दूसरे के रिश्तों का सम्मान करना चाहिए। महिलाएं, बेटियां वो किसी भी उम्र की हों, सुरक्षित रहनी चाहिएं। आज गुडिय़ों जैसी बच्चियों से बलात्कार होते हैं, ऐसे लोगों को भी कठिन सजा मिलनी चाहिए। आओ मिलकर इन्साफ के मन्दिर को नमन करें जिन्होंने मुस्लिम महिलाओं के दर्द को समझा। अब कोई शाहबानो नहीं रोएगी। कोई इन्साफ के लिए दर-दर नहीं भटकेगा क्योंकि इन्साफ के मन्दिर ने इन्साफ कर दिया है।

Advertisement
Advertisement
Next Article