Surya Dev ki Aarti: आज छठ का तीसरा दिन, संध्या अर्घ्य में इस आरती से करें सूर्यदेव का गुणगान, बरसेगी कृपा
Surya Dev ki Aarti: हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से छठ महापर्व की शुरुआत होती है। इस वर्ष यह पर्व 25 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 28 अक्टूबर को संपन्न होगा। चार दिनों तक चलने वाला यह पावन पर्व सूर्य देव और छठी मैया की उपासना का विशेष अवसर है। छठ पर्व सूर्य उपासना का सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है।
इस पर्व में सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित कर उनके आशीर्वाद से स्वास्थ्य, समृद्धि और परिवार की सुख-शांति की कामना की जाती है। मान्यता है कि सूर्य की किरणों से जीवन में ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार होता है। इसलिए इस पर्व में सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा का विशेष विधान है।

Surya Dev ki Aarti: छठ पूजा के चार पवित्र दिन
1. पहला दिन – नहाय-खाय
छठ महापर्व की शुरुआत ‘नहाय-खाय’ से होती है। इस दिन व्रती (व्रत रखने वाली महिलाएं या पुरुष) स्नान कर घर की सफाई करती हैं और शुद्ध भोजन करती हैं। इस भोजन में लहसुन-प्याज का प्रयोग नहीं किया जाता। यह दिन शरीर और मन को शुद्ध करने का प्रतीक है।
2. दूसरा दिन – खरना (लोहंडा)
दूसरे दिन ‘खरना’ का अनुष्ठान किया जाता है। इस दिन पूरे दिन व्रती उपवास रखती हैं और शाम को सूर्यास्त के बाद गुड़ से बने खीर, रोटी और केले का प्रसाद बनाकर पूजा करती हैं। प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही अगला निर्जला उपवास आरंभ होता है।
3. तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य
तीसरे दिन व्रती पूरे दिन बिना पानी के उपवास रखती हैं। सूर्यास्त के समय नदियों, तालाबों या घाटों पर जाकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। इस समय व्रती महिलाएं पारंपरिक वस्त्र पहनती हैं और लोकगीतों के साथ पूजा करती हैं।

4. चौथा दिन – उषा अर्घ्य (सूर्योदय अर्घ्य)
छठ पर्व का समापन चौथे दिन प्रातःकाल उदयमान सूर्य को अर्घ्य देकर किया जाता है। इस अर्घ्य के साथ व्रती अपने 36 घंटे के निर्जला उपवास को समाप्त करती हैं। इसके बाद व्रतियों को परिवार और समाज की ओर से आशीर्वाद और सम्मान दिया जाता है।
व्रत का विशेष महत्व
छठ व्रत को सबसे कठोर व्रत माना जाता है। व्रती पूरे 36 घंटे तक बिना पानी पिए व्रत करती हैं। यह व्रत केवल शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक दृढ़ता और आत्मशक्ति का प्रतीक है। माना जाता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति से यह व्रत करता है, उसके जीवन से दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं।

Chhath Puja 2025: सूर्य देव की आरती
छठ महापर्व पर सूर्य देव और छठी मैया की आरती करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। आरती के माध्यम से भक्त सूर्य देव के आशीर्वाद की कामना करते हैं।
Surya Dev ki Aarti Lyrics in Hindi
ॐ जय सूर्यदेव भगवान,
सात घोड़े रथ के तू सवार।
दिव्य किरणों से जगमग जग,
सबका करता तू उद्धार।।
जय सूर्यदेव भगवान।।
सूर्य देव की आरती
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत् के नेत्र स्वरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ।
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
सारथी अरूण हैं प्रभु तुम,
श्वेत कमलधारी ।
तुम चार भुजाधारी ॥
अश्व हैं सात तुम्हारे,
कोटी किरण पसारे ।
तुम हो देव महान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊषाकाल में जब तुम,
उदयाचल आते ।
सब तब दर्शन पाते ॥
फैलाते उजियारा,
जागता तब जग सारा ।
करे सब तब गुणगान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
संध्या में भुवनेश्वर,
अस्ताचल जाते ।
गोधन तब घर आते॥
गोधुली बेला में,
हर घर हर आंगन में ।
हो तव महिमा गान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
देव दनुज नर नारी,
ऋषि मुनिवर भजते ।
आदित्य हृदय जपते ॥
स्त्रोत ये मंगलकारी,
इसकी है रचना न्यारी ।
दे नव जीवनदान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
तुम हो त्रिकाल रचियता,
तुम जग के आधार ।
महिमा तब अपरम्पार ॥
प्राणों का सिंचन करके,
भक्तों को अपने देते ।
बल बृद्धि और ज्ञान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
भूचर जल चर खेचर,
सब के हो प्राण तुम्हीं ।
सब जीवों के प्राण तुम्हीं ॥
वेद पुराण बखाने,
धर्म सभी तुम्हें माने ।
तुम ही सर्व शक्तिमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
पूजन करती दिशाएं,
पूजे दश दिक्पाल ।
तुम भुवनों के प्रतिपाल ॥
ऋतुएं तुम्हारी दासी,
तुम शाश्वत अविनाशी ।
शुभकारी अंशुमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत के नेत्र रूवरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ॥
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
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