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Surya Grahan 2024: अक्टूबर में लगेगा साल का दुसरा सूर्य ग्रहण, जानें इस बार क्या है खास

04:24 PM Sep 11, 2024 IST | Pannelal Gupta

Surya Grahan 2024: हर साल चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण लगता है और इस साल यानी 2024 का दूसरा सूर्यग्रहण पितृपक्ष में लगने वाला है। श्राद्ध पक्ष इस साल 17 सितंबर को शुरू होगा और 2 अक्तूबर को समाप्त होगा। इसी 2 अक्टूबर को दूसरा सूर्यग्रहण लगाने वाला है। आइए जानते है की इस बार की सूर्यग्रहण क्यों खास है।

Highlights

कब है साल का Surya Grahan 2024 ?

साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण(Surya Grahan) जल्द ही लगने जा रहा है। यह सूर्य ग्रहण कंकण सूर्य ग्रहण होगा। यह सूर्यग्रहण कन्या राशि और हस्त नक्षत्र में लगने जा रहा है। सूर्य ग्रहण का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों महत्व है। आइए जानते हैं सूर्यग्रहण की तारीख और किन-किन देशों में दिखाई देगा। साथ ही जानें क्या भारत में देखा जा सकेगा साल का अंतिम सूर्यग्रहण।

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8 अप्रैल को लगा था पहला सूर्य ग्रहण

आमतौर पर साल में 1 सूर्य ग्रहण ही लगता है लेकिन इस साल 2024 में दो सूर्य ग्रहण और दो ही चंद्र ग्रहण लगने वाला है। इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल 2024 को लगा था, जिसका विशेष प्रभाव अमेरिका और उसके पास के देशों में देखने को मिला था लेकिन यह भारत में नहीं दिखा था। ऐसे में साल के दूसरे और आखिरी सूर्य ग्रहण को लेकर लोगों के मन में कई सवाल हैं।

सूर्य ग्रहण अक्टूबर 2024 का समय

साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर 2024 को लग रहा है. इस दिन हिंदू कैलेंडर में अश्विन मास की अमावस्या तिथि होगी। भारतीय समय के अनुसार यह ग्रहण रात को 9 बजकर 13 मिनट पसे आरंभ होगा और मध्य रात्रि 3 बजकर 17 मिनट तक रहेगा। यह वलयाकार सूर्य ग्रहण कुल मिलाकर लगभग 6 घंटे 4 मिनट तक रहेगा। आमतौर पर साल में 1 सूर्य ग्रहण ही लगता है लेकिन इस साल 2024 में दो सूर्य ग्रहण और दो ही चंद्र ग्रहण लगने वाला है।

सूर्य ग्रहण भारत में दिखेगा या नहीं?

2 अक्टूबर, 2024 को लगने वाला इस साल का दूसरा सूर्य ग्रहण(Surya Grahan) भारत में दिखाई नहीं देगा, क्योंकि यह रात में लग रहा है। इसलिए इसे भारत में नहीं देख सकते हैं। आपका बता दें, यह ग्रहण ब्राजील, चिली, पेरू, अर्जेन्टीना और फिजी में स्पष्ट रूप दृष्टिगोचर होगा। वहीं, आर्कटिक, अंटार्कटिका और प्रशांत महासागर के भी कुछ प्रदेशों में भी इसे आंशिक रूप से देखा जा सकता है।

क्या होता है सूर्य ग्रहण ?

हिंदू धर्म में ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य ग्रहण का एक विशेष महत्व माना गया है। सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है। जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीत से गुजरता है या सूर्य को पूरी तरह ढक लेता है, जिसके कारण पृथ्वी पर सूर्य का प्रकाश घरती पर कम या पूरी तरह से गायब हो जाता है, इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।

क्या होता है कंकण सूर्य ग्रहण?

जब धरती से ठीक एक लाइन में सूर्य , चंद्रमा आ जाते हैं। यानी राहु और केतु पर ना होकर ऊंचे या नीचे होते हैं। तब उसकी परछाई पृथ्वी पर नहीं पड़ती और बिंब छोटे दिखाई देते हैं। जिसकी वजह से सूर्य का मध्य भाग ढक जाता है और उसके चारों तरफ से रोशनी दिखाई देती है लेकिन, इसका मध्य भाग ढक जाता है। इस प्रकार के ग्रहण को कंकण सूर्यग्रहण कहते हैं। जिसने सूर्य कंगन के समान नजर आने लगता है।

सूर्य ग्रहण का प्रभाव

सूर्य ग्रहण अमावस्या तिथि को लगता है। जब सूर्य और पृथ्वी के मध्य चंद्रमा आ जाता है ग्रहण के समय पृथ्वी पर राहु का प्रभाव बढ़ जाता है। अतः ग्रहण के समय कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इसके साथ ही खानपान से परहेज करने की सलाह दी जाती है। वहीं, गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखना चाहिए।

सूर्य ग्रहण लगने का धार्मिक कारण

भारतीय वेदों के अनुसार, सूर्य ग्रहण लगने की घटना का संबंध समुद्र मंथन से जुड़ा है, जब अमृत का बंटवारा हो रहा था। कहते हैं, भगवान विष्णु मोहिनी रूप में अमृत बांट रहे थे, तभी स्वरभानु नामक एक दानव रूप बदलकर देवताओं के साथ बैठ गया था। मोहिनीरूपी विष्णु ने उसे भी अमृत दे दिया। लेकिन तभी उसके अगल-बगल बैठे चंद्रमा और सूर्य ने उसे पहचान लिया और भगवान विष्णु को इशारा किया। भगवान विष्णु ने तत्काल अपने चक्र से दानव का सिर उसके धड़ से अलग कर दिया।

अमृत के असर से वह नष्ट नहीं हो सकता था। उसके सिर वाले भाग को ‘राहु’ और धड़ वाले हिस्से को ‘केतु’ कहते हैं। कहते हैं, तब से हर साल राहु और केतु बदला लेने के लिए चंद्रमा और सूर्य को खाने के लिए आते हैं, जिसे ‘ग्रसना’ कहते हैं। बता दें, राहु के कारण चंद्र ग्रहण और केतु के कारण सूर्य ग्रहण लगता है।

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