Surya Grahan 2025 Date: 20 या 21 सितंबर, कब लगेगा साल का आखिरी सूर्य ग्रहण? जानें समय और कौन-सी सावधानियां बरते
Surya Grahan 2025 Date: इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत ग्रहण से हुई तो समापन भी ग्रहण के साथ होगा। इस साल का दूसरा सूर्यग्रहण सितंबर में ही लगने वाला हैं, इसे वैज्ञानिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से विशेष महत्व दिया गया है। इस साल का पहला सूर्य ग्रहण मार्च में लगा था और दूसरा सूर्य ग्रहण 21 सितंबर को लगने वाला है। जहां 7 सितंबर को साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण था, वहीं 21 सितंबर को साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण होगा। चलिए जानते हैं कि सूर्य ग्रहण कब लगेगा, कहां लगेगा और कौन-सी सावधानियां बरतनी चाहिए।
Surya Grahan Date & Time
सूर्य ग्रहण तारीख- 21 सितंबर
समय- रात 10:59 से 3:23 बजे तक
साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण 21 सितंबर 2025 को है, जो रात को 10:59 से लेकर देर रात 3 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। इस सूर्य ग्रहण का कुल समय लगभग 4 घंटे 24 मिनट है। ये ग्रहण आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या को लगेगा, जो भारत में नहीं दिखाई देगा। यह आंशिक सूर्य ग्रहण होगा, यानी इसमें सूर्य पूरी तरह ढका नहीं रहेगा।
Surya Grahan कहां-कहां दिखेगा?
यह सूर्य ग्रहण मुख्य रूप से न्यूजीलैंड, फिजी, अंटार्कटिका और ऑस्ट्रेलिया के दक्षिणी हिस्सों में दिखाई देगा। भारत में ये ग्रहण नहीं दिखाई देगा। खासतौर पर न्यूजीलैंड में सूर्य लगभग 80% तक ढका हुआ नजर आएगा।
Surya Grahan के दौरान ये सावधानियां बरते
- सूर्य ग्रहण के समय नग्न आंखों से सूरज को न देखें। यह आंखों के लिए हानिकारक हो सकता है।
- ग्रहण के समय बाल और नाख़ून काटने से बचना चाहिए।
- इस दौरान भोजन और पानी का सेवन न करें।
- ग्रहण के दौरान कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य भी नहीं करने चाहिए।
- सूतक काल पहले से पके हुए भोजन में तुलसी के पत्ते डालकर खा सकते हैं।
- ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ न करें और देवी-देवताओं की मूर्ति को न छूएं।
- इस दौरान सोने से भी बचना चाहिए।
क्या होता है सूर्य ग्रहण?
Surya Grahan की बात करें तो, जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है और सूर्य की रोशनी को आंशिक या पूर्ण रूप से ढक देता है, तो इसे Surya Grahan कहा जाता है। यह घटना तभी होती है जब तीनों खगोलीय पिंड (सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी) एक सीध में आ जाते हैं। सूर्य ग्रहण एक खास खगोलीय घटना है जो न केवल वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय होती है, बल्कि कई संस्कृतियों में इसका गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी होता है।
इस दौरान वैज्ञानिक सूर्य के बाहरी हिस्से यानी कोरोना का अध्ययन कर पाते हैं और भौतिकी के कई सिद्धांतों को परखने का मौका मिलता है। वहीं, परंपराओं में इसे परिवर्तन और ऊर्जा के संकेत के रूप में देखा जाता है।
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