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15 साल पुराने वाहनों के परिचालन पर रोक लगे : सुशील मोदी

सुझावें ताकि शहरों खास कर गंगा बेसिन के किनारे के शहरों को सुरक्षित रखने के साथ अगले 50 साल में होने वाली समस्याओं का समाधान ढूंढा जा सके।

06:57 PM Nov 27, 2018 IST | Desk Team

सुझावें ताकि शहरों खास कर गंगा बेसिन के किनारे के शहरों को सुरक्षित रखने के साथ अगले 50 साल में होने वाली समस्याओं का समाधान ढूंढा जा सके।

पटना : अरबन क्लाइमेट रिजिलियेंसः द कन्टेक्स्ट ऑफ रिवर बेसिन’ पर बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकार की ओर से होटल मौर्या में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन समारोह को सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण आकस्मिक बाढ़, जल जमाव, भूकम्प, कार्बन उर्त्सन, वायु प्रदूषण आदि शहरों और उसके आस-पास की बस्तियों की सबसे बड़ी समस्या है। वायु प्रदूषण पर रोक के लिए भारत सरकार को मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन कर 15 साल पुराने वाहनों के परिचालन पर रोक लगाने के साथ स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देने की जरूरत है। इस मौके पर उपमुख्यमंत्री ने ‘वायु प्रदूषण पर पटना घोषण पत्र’ को भी जारी किया।

श्री मोदी ने कहा कि अध्ययन में शामिल असम के जोरहाट, पश्चिम बंगाल के बसिरहाट और बिहार के सहरसा आदि शहरों में बाढ़ के प्रभाव को कैसे कम किया जाए, इस पर गहन विचार की जरूरत है। गंगा के किनारों के शहरों में जल जमाव बड़ी समस्या है। बिल्डिंग बॉइलॉज में प्रावधान के बावजूद वर्षा जल के संचयन को सख्ती से लागू करने की जरूरत है। भूकम्परोधी भवन के निर्माण को बढ़ावा देने की जरूरत है क्योंकि बिहार के अधिकांश शहर भूकम्प जोन-5 के अन्तर्गत है।

पटना में वायु प्रदूषण की मॉनिटरिंग के लिए 5 स्थानों पर ‘एयर मॉनिटरिंग मशीन’ लगाने का निर्देश दिया गया है। जाड़े के मौसम गंगा में पानी कम होने के कारण गंगा किनारे के शहरों के करीब दियारा का क्षेत्र उभर आता है जिससे मिट्टी और बालू के कण उड़ कर वायु को प्रदूषित करते हैं। ईंट-भट्ठा की वजह से होने वाले वायु प्रदूषण पर रोक के लिए पटना के आस-पास के पांच प्रखंडों में नए ईंट-भट्ठा खोलने पर रोक के साथ पूर्व से संचालित ईंट-भट्ठों को नई स्वच्छता तकनीक अपनाने के लिए एक साल का समय दिया गया है।

कार्यशाला में सहभागी भारत सरकार की राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान व गोरखपुर इन्वॉरमेंटल एक्शन गु्रप से उन्होंने अपील की कि वे इन समस्याओं से निजात के उपाय सुझावें ताकि शहरों खास कर गंगा बेसिन के किनारे के शहरों को सुरक्षित रखने के साथ अगले 50 साल में होने वाली समस्याओं का समाधान ढूंढा जा सके।

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