Top NewsIndiaWorld
Other States | Delhi NCRHaryanaUttar PradeshBiharRajasthanPunjabJammu & KashmirMadhya Pradeshuttarakhand
Business
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

अनंत प्रस्थान पर स्वामी स्मरणानंद

03:12 AM Mar 29, 2024 IST | Shera Rajput

लोकसभा चुनाव के महापर्व की भागदौड़ के बीच एक ऐसी खबर आई जिसने मन-मस्तिष्क में कुछ पल के लिए एक ठहराव सा ला दिया। भारत की आध्यात्मिक चेतना के प्रखर व्यक्तित्व श्रीमत स्वामी स्मरणानंद जी महाराज का समाधिस्थ होना, व्यक्तिगत क्षति जैसा है। कुछ वर्ष पहले स्वामी आत्मास्थानंद जी का महाप्रयाण और अब स्वामी स्मरणानंद का अनंत यात्रा पर प्रस्थान कितने ही लोगों को शोक संतप्त कर गया है। मेरा मन भी करोड़ों भक्तों, संत जनों और रामकृष्ण मठ एवं मिशन के अनुयायियों सा ही दुखी है।
इस महीने की शुरुआत में अपनी बंगाल यात्रा के दौरान मैंने अस्पताल जाकर स्वामी स्मरणानंद जी के स्वास्थ्य की जानकारी ली थी। स्वामी आत्मास्थानंद जी की तरह ही स्वामी स्मरणानंद जी ने अपना पूरा जीवन आचार्य रामकृष्ण परमहंस, माता शारदा और स्वामी विवेकानंद के विचारों के वैश्विक प्रसार को समर्पित किया। ये लेख लिखते समय मेरे मन में उनसे हुई मुलाकातें, उनसे हुई बातें, वो स्मृतियां जीवंत हो रहीं हैं। जनवरी 2020 में बेलूर मठ में प्रवास के दौरान मैंने स्वामी विवेकानंद जी के कमरे में बैठकर ध्यान किया था। उस यात्रा में मैंने स्वामी स्मरणानंद जी से स्वामी आत्मास्थानंद जी के बारे में काफी देर तक बात की थी।
आप जानते हैं कि रामकृष्ण मिशन और बेलूर मठ के साथ मेरा कितना आत्मीय संबंध रहा है। आध्यात्म के एक जिज्ञासू के रूप में, पांच दशक से भी ज्यादा के समय में मैं भिन्न-भिन्न संत-महात्माओं से मिला हूं, अनेकों स्थलों पर रहा हूं। रामकृष्ण मठ में भी मुझे आध्यात्म के लिए जीवन समर्पित करने वाले जिन संतों का परिचय प्राप्त हुआ था उसमें स्वामी आत्मास्थानंद जी एवं स्वामी स्मरणानन्द जी जैसे व्यक्तित्व प्रमुख थे। उनके पावन विचारों और उनके ज्ञान ने मेरे मन को निरंतर संतुष्टि दी। जीवन के सबसे महत्वपूर्ण कालखंड में ऐसे ही संतों ने मुझे जन सेवा ही प्रभु सेवा का सत्य सिद्धांत सिखाया। स्वामी आत्मास्थानंद जी एवं स्वामी स्मरणानन्द जी का जीवन रामकृष्ण मिशन के सिद्धांत 'आत्मनो मोक्षार्थ जगद्धिताय च' का अमिट उदाहरण है।
रामकृष्ण मिशन द्वारा शिक्षा के संवर्धन और ग्रामीण विकास के लिए किए जा रहे कार्यों से हम सभी को प्रेरणा मिलती है। रामकृष्ण मिशन, भारत की आध्यात्मिक चेतना, शैक्षिक सशक्तिकरण और मानवीय सेवा के संकल्प पर काम कर रहा है। 1978 में जब बंगाल में बाढ़ की विभिषिका आई तो रामकृष्ण मिशन ने अपनी निस्वार्थ सेवा से सभी का हृदय जीत लिया था। मुझे याद है, 2001 में कच्छ के भूकंप के समय स्वामी आत्मास्थानंद उन सबसे पहले लोगों में से एक थे जिन्होंने मुझे फोन करके ये कहा कि आपदा प्रबंधन के लिए रामकृष्ण मिशन से हर संभव मदद करने के लिए तैयार हैं। उनके निर्देशों के अनुरूप रामकृष्ण मिशन ने भूकंप के उस संकट काल में लोगों की बहुत सहायता की।
बीते वर्षों में स्वामी आत्मास्थानंद जी एवं स्वामी स्मरणानंद जी ने विभिन्न पदों पर रहते हुए सामाजिक सशक्तिकरण पर बहुत जोर दिया। जो भी लोग इन महान विभूतियों के जीवन को जानते हैं उन्हें ये जरूर याद होगा कि आप जैसे संत मॉर्डन लर्निंग, स्किलिंग और नारी सशक्तिकरण के प्रति कितने गंभीर रहते थे।
स्वामी आत्मास्थानंद जी के विराट व्यक्तित्व की जिस विशिष्टता से मैं सबसे अधिक प्रभावित था वो थी हर संस्कृति, हर परंपरा के प्रति उनका प्रेम, उनका सम्मान। इसका कारण था कि उन्होंने भारत के अलग-अलग हिस्सों में लंबा समय गुजारा था और वो लगातार भ्रमण करते थे। उन्होंने गुजरात में रहकर गुजराती बोलना सीखा। यहां तक कि मुझसे भी वो गुजराती में ही बात करते थे। मुझे उनकी गुजराती बहुत पसंद भी थी।
भारत की विकास यात्रा के अनेक बिंदुओं पर हमारी मातृभूमि को स्वामी आत्मास्थानंद जी, स्वामी स्मरणानंद जी जैसे अनेक संत- महात्माओं का आशीर्वाद मिला है जिन्होंने हमें सामाजिक परिवर्तन की नई चेतना दी है। इन संतों ने हमें एक साथ होकर समाज के हित के लिए काम करने की दीक्षा दी है। ये सिद्धांत अब तक शाश्वत हैं और आने वाले कालखंड में यही विचार विकसित भारत और अमृत काल की संकल्प शक्ति बनेंगे। मैं एक बार फिर पूरे देश की ओर से ऐसी संत आत्माओं को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। मुझे विश्वास है कि रामकृष्ण मिशन से जुड़े सभी लोग उनके दिखाए मार्ग को और प्रशस्त करेंगे। ओम शांति...

Advertisement
Advertisement
Next Article