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ताइवान के विदेश मंत्री बोले- अगर चीन ने हमला किया तो ''आखिरी दिन तक करेंगे लड़ाई''

चीन दावा करता है कि ताइवान उसका भूभाग है इसलिए चीन कभी भी ताइवान पर हमला कर सकता है। जिसके बाद ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने कहा कि अगर ताइवान पर कब्जा करने के लिए चीन उसपर हमला करता है, तो पूरा ताइवान चीन के खिलाफ आखिरी दिन तक लड़ेगा।

05:23 PM Apr 07, 2021 IST | Desk Team

चीन दावा करता है कि ताइवान उसका भूभाग है इसलिए चीन कभी भी ताइवान पर हमला कर सकता है। जिसके बाद ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने कहा कि अगर ताइवान पर कब्जा करने के लिए चीन उसपर हमला करता है, तो पूरा ताइवान चीन के खिलाफ आखिरी दिन तक लड़ेगा।

चीन दावा करता है कि ताइवान उसका भूभाग है इसलिए चीन कभी भी ताइवान पर हमला कर सकता है। जिसके बाद ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने बुधवार को कहा कि अगर ताइवान पर कब्जा करने के लिए चीन उसपर हमला करता है, तो द्वीप अंतिम दिन तक अपनी रक्षा करेगा। 
वू ने कहा कि सोमवार को ताइवान के हवाई क्षेत्र में चीन के 10 युद्धक विमानों ने उड़ान भरी और ताइवान के पास उसने अभ्यास के लिए एक विमान वाहक समूह को तैनात किया है। वू ने संवाददाताओं से कहा कि हम बिना किसी सवाल के, अपना बचाव करने के लिए तैयार हैं। अगर हमें युद्ध लड़ने की जरूरत हुयी तो हम युद्ध लड़ेंगे, और अगर हमें आखिरी दिन तक अपना बचाव करना पड़ा तो हम अपना बचाव करेंगे।
चीन ताइवान की लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित सरकार को मान्यता नहीं देता है और चीनी नेता शी चिनफिंग ने कहा है कि दोनों के एकीकरण को अनिश्चितकाल के लिए नहीं टाला जा सकता है। वू ने मंत्रालय की एक ब्रीफिंग में कहा कि वे एक ओर अपनी संवेदनाएं भेजकर ताइवान के लोगों को आकर्षित करना चाहते हैं, लेकिन वहीं वे ताइवान के करीब अपने सैन्य विमान और सैन्य पोतों को भी भेज रहे हैं ताकि ताइवान के लोगों को भयभीत किया जा सके।
वू ने कहा कि चीन ताइवानी लोगों के लिए मिश्रित संकेत भेज रहा है। चीन की सैन्य क्षमताओं में भारी सुधार और ताइवान के आसपास उसकी बढ़ती गतिविधियों ने अमेरिका की चिंताएं बढ़ा दी हैं, जो कानूनी रूप से यह आश्वासन देने के लिए बाध्य है कि ताइवान खुद का बचाव करने में सक्षम है।
ताइवान और चीन 1949 में गृह युद्ध के बीच अलग हो गए थे तथा ताइवान के अधिकतर लोग मुख्य भूमि के साथ मजबूत आर्थिक आदान-प्रदान जारी रखते हुए वास्तविक स्वतंत्रता की मौजूदा स्थिति को बनाए रखने के पक्ष में हैं।
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