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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज तमिलनाडु के दौरे पर हैं। इस दौरान पीएम मोदी ने 17 हजार करोड़ रुपये से अधिक की नयी परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। साथ ही संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार पर तमिलनाडु की उन्नति के लिए कोई काम नहीं करने का आरोप लगाया।परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन करते हुए मोदी ने कहा कि राज्य ‘प्रगति का नया अध्याय’ लिख रहा है और केंद्र के प्रयासों के कारण तमिलनाडु आधुनिकता की ‘नयी ऊंचाईयों को छू’ रहा है।
आपको बता दें सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) सरकार पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए मोदी ने आरोप लगाया कि समाचार पत्र और टीवी चैनल केंद्र के प्रयासों को दिखाना चाहते हैं लेकिन ‘‘सरकार उन्हें ऐसा करने की इजाजत तक नहीं दे रही।’’मोदी ने जोर देकर कहा, ''लेकिन हम विकास कार्यों से पीछे नहीं हटेंगे।''तमिलनाडु के तूतीकोरिन में भारत के पहले स्वदेशी हरित हाइड्रोजन जलमार्ग पोत को हरी झंडी दिखाते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के लगातार प्रयासों के कारण परिवहन बढ़ने से तमिलनाडु में 'जीवन में सुगमता' आई है।
मोदी ने कहा कि नयी परियोजनाएं विकसित भारत की रूपरेखा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।उन्होंने कहा, ''मैं जो कुछ कह रहा हूं वह किसी राजनीतिक विचारधारा या अपनी विचारधारा के मुताबिक नहीं बल्कि विकास के लिए है।’’विकास परियोजनाओं को शुरू करने में देरी के लिए द्रमुक-कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, ''मैं तमिलनाडु और पूरे देश की जनता को सच्चाई बताना चाहता हूं। सच कड़वा होता लेकिन इसे बताये जाने की जरूरत है। ये सभी परियोजनाएं, जिन्हें मैं लेकर आया हूं, दशकों से स्थानीय लोगों की मांग रही हैं।''
बता दें द्रमुक पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि संप्रग शासन के दौरान तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी उसकी साझेदार थी। मोदी ने कहा,‘‘ उन्हें (द्रमुक और कांग्रेस को) आपके विकास की चिंता नहीं थी।’’ उन्होंने अपने संदर्भ में कहा कि विकास की सभी पहल 'सेवक' ने की।प्रधानमंत्री मोदी ने थूथुकुडी के निकट कुलसेकरापट्टिनम में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नये प्रक्षेपण परिसर का शिलान्यास किया। जिसकी लागत लगभग 986 करोड़ रुपये है और इसके बनकर तैयार होने पर यहां से प्रति वर्ष 24 प्रक्षेपण किये जा सकेंगे।इसरो के इस नये परिसर में ‘मोबाइल लॉन्च स्ट्रक्चर’ (एमएलएस) तथा 35 केन्द्र शामिल हैं। इससे अंतरिक्ष अन्वेषण क्षमताओं को बढ़ाने में मदद मिलेगी।