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देश के स्मार्टफोन बाजार पर टाॅप पांच कंपनियों का कब्जा

शीर्ष पांच स्मार्टफोन ब्रांड्स की 75% हिस्सेदारी है, वहीं बाकी के हिस्से में 88 स्मार्टफोन ब्रांडस हैं, जिसमें से हरेक के लिए 25% बाजार हिस्सेदारी बचती है।

12:58 PM Feb 17, 2019 IST | Desk Team

शीर्ष पांच स्मार्टफोन ब्रांड्स की 75% हिस्सेदारी है, वहीं बाकी के हिस्से में 88 स्मार्टफोन ब्रांडस हैं, जिसमें से हरेक के लिए 25% बाजार हिस्सेदारी बचती है।

नई दिल्ली : भारत में जहां शीर्ष पांच स्मार्टफोन ब्रांड्स की 75 फीसदी हिस्सेदारी है, वहीं बाकी के हिस्से में 88 स्मार्टफोन ब्रांडस हैं, जिसमें से हरेक के लिए 25 फीसदी बाजार हिस्सेदारी बचती है। इन 88 स्मार्टफोन ब्रांड्स में पैनासोनिक और वीडियोकॉन भी है, जो 43,560 करोड़ रुपये का राजस्व साझा करते हैं और हरेक के हिस्से में औसतन 475 करोड़ रुपये का राजस्व आता है।

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वहीं, दूसरी तरफ सैमसंग ने वित्त वर्ष 2018 में अकेले कुल 37,000 करोड़ रुपये का मोबाइल फोन कारोबार किया। मार्केट रिसर्च कंपनी साइबर मीडिया रिसर्च (सीएमआर) के इंडस्ट्री इंटेलीजेंस समूह (आईआईजी) के प्रमुख प्रभु राम ने कहा कि शीर्ष पांच स्मार्टफोन ब्रांड्स में समेकन के कारण अन्य कंपनियों के लिए उपलब्ध क्षेत्र में काफी कमी आई है।

सीएमआर की आईआईजी की विश्लेषक स्वाति कालिया का कहना है, बाकी कंपनियां बहुत फायदे में नहीं रहेंगी, हालांकि अगर उन्हें थोड़ा भी मुनाफा होता है तो यह उनके लिए बेहतर है। हमारा मानना है कि वे बाजार में प्रतिस्पर्धा करती रहेंगी। अंतर्राष्ट्रीय डेटा कॉर्पोरेशन (आईडीसी) के अनुसार, भारतीय स्मार्टफोन बाजार में 2018 में 14.5 फीसदी की रफ्तार से वृद्धि हुई और अब तक की सर्वाधिक 14.23 करोड़ मोबाइल फोन्स की बिक्री हुई।

रेवेन्यू में श्याओमी दूसरे, ओप्पो तीसरे नंबर पर
वित्त वर्ष 2017-18 में श्याओमी ने 23,000 करोड़ का रेवेन्यू जेनरेट किया। ओप्पो को 12,000 करोड़ और वीवो को 11,000 करोड़ रुपए की आय हुई। ओप्पो मोबाइल ने करीब 12,000 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया जबकि वीवो का राजस्व वित्त वर्ष 2018 में 11,000 करोड़ रुपये से अधिक रहा और ट्रांसन का 6000 करोड़ रहा। बड़ा सवाल यह है कि इस अत्यधिक-प्रतिस्पर्धी और कीमत के प्रति अत्यधिक संवेदनशील भारतीय बाजार में इन 88 ब्रांड्स में से कितनी कंपनियां टिक सकेंगी?

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