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यूपी के इस गाँव में 76 साल बाद आया 'नल का जल'

05:37 PM Apr 21, 2024 IST | Shubham Kumar
यूपी के इस गाँव में 76 साल बाद आया  नल का जल

Uttar Pradesh: आजादी के इतने साल बाद भी देश में अब तक कई ऐसे इलाके हैं जहाँ अब तक मुलभुत सुविधाओं का अभाव से लोगों को दो चार होना पड़ रहा है। आज के समय जब सरकारियो योजनाओं पर पानी कि तरह पैसा बहाया जा रहा हो। उस पर भी जनता के मुलभुत सुविधा जैसे नल का जल भी मयस्सर न हो तो यह शर्मनाक हो जाती है।

Highlights: 

  • उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर की यों पर पहाड़िस्थित लहुरिया दाह गांव
  • आजादी के  76 साल बाद  के लोगों को पहली बार पाइप से पानी की सप्लाई की गई
  • स्थानीय प्रशासन की मदद से इलाके में पहुंचाई गयी नल का जल 

 

हम बात कर रहें है उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर की यों पर पहाड़िस्थित लहुरिया दाह गांव की,  जहाँ आजादी के लगभग 76 साल बाद  के लोगों को पहली बार पाइप से पानी की सप्लाई की गई।

1200 की जनता की आबादी, झरने के पानी पर थी निर्भर

अब तक गांव के 1,200 लोग पानी के लिए पास के झरने पर निर्भर थे, जो गर्मियों में सूख जाता था। ऐसे में गांव में पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए सिर्फ टैंकर ही साधन था। इसके लिए गांव वालों को पैसा देना पड़ता था। लहुरिया दाह तक पानी की पाइपलाइन लाने का काम कितना कठिन था। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उचित योजना के अभाव में करीब एक दशक पहले बीच में ही पूरी तरह  रोक दिया गया था। जल जीवन मिशन में भी गांव को शामिल नहीं किया गया।  यह गाँव मध्य प्रदेश सीमा पर मिर्ज़ापुर जिला मुख्यालय से 49 किमी दूर स्थित लहुरिया दाह में कोल, धारकर, यादव, पाल और केशरवानी समुदायों की मिश्रित आबादी है।

टैंकर के पानी पर खर्च हो जाता था पूरा बजट

एक अन्य निवासी जीवनलाल यादव ने पुरानेे दिनों को याद करते हुए कहा कि दूध बेचने के लिए वे मैदानी इलाकों में जाते थे और कंटेनर में पानी लेकर वापस आते थे। उन्होंने कहा कि 25-30 सालों से गांव में टैंकरों से पानी की आपूर्ति होती थी और उनका पूरा बजट इसी पर खर्च हो जाता था। इस दौरान अक्सर लोगों के बीच झगड़े होते थे और तनाव पैदा होता था।

water supply tanker

इलाकें के लोगों के द्वारा  जिला मजिस्ट्रेट से मुलाकात करने के बाद और फिर उन्होंने समस्या की ओर ध्यान दिया। उन्होंने नए प्रयास शुरू किए और 10 करोड़ रुपये से अधिक की नई परियोजना को मंजूरी दी गई। बता दें, तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट दिव्या मित्तल ने पाइपलाइन से पानी की सप्लाई शुरू कराई थी।

बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी की सहायता ली गई

इसके बाद स्थानीय प्रशासन ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के जियोलॉजिस्ट और अन्य तकनीकी विशेषज्ञों की मदद मांगी और कठोर चट्टानी सतह पर स्थित गांव तक पानी की पाइपलाइन ले जाने के लिए उपयुक्त तकनीक का पता लगाने के लिए जल जीवन मिशन, यूपी जल निगम, नमामि गंगे के अधिकारियों और मुख्य विकास अधिकारी की एक संयुक्त टीम का गठन किया।

Department of Geography, Banaras Hindu University

अब गांव में कृत्रिम बाँध भी बना

इसके बाद इस गांव के लिए अलग से एक प्रस्ताव प्रशासन को भेजा गया, जिसे मंजूरी मिल गई। आखिरकार 31 अगस्त 2023 को गांव में नल से पानी की सप्लाई शुरू हो गई। गांव में एकमात्र कुएं का उपयोग वर्षा जल संचयन के लिए किया गया है, जबकि जानवरों के लिए पानी इकट्ठा करने के लिए एक कृत्रिम बांध बनाया गया है।

 

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