Tarn Taran Fake Encounter: 32 साल बाद इंसाफ, रिटायर्ड SSP-DSP समेत पांच पुलिस अधिकारियों को उम्रकैद
Tarn Taran Fake Encounter: पंजाब के तरनतारन में साल 1993 के फेक एनकाउंटर मामले में मोहाली की स्पेशल CBI कोर्ट ने बड़ाफैसला सुनाते हुए पंजाब पुलिस के पूर्व SSP और DSP समेत पांच पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सजा का ऐलान किया है। CBI अदालत ने पांच रिटायर्ड पुलिस अधिकारियों को उम्रकैद और प्रत्येक पर 3.5 लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई।
पुलिस अधिकारियों को उम्रकैद
पंजाब के तरन तारन में फर्जी मुठभेड़ मामले में सेवानिवृत्त SSP भूपिंदरजीत सिंह, सेवानिवृत्त DSP देविंदर सिंह, सेवानिवृत्त ASI गुलबर्ग सिंह, सेवानिवृत्त ASI रघुबीर सिंह और सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर सूबा सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। बता दें कि यह मामला 30 जून 1999 को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपा गया था। जिसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा 12 दिसंबर 1996 के आदेश के आधार पर आपराधिक रिट याचिका संख्या 497/1995 में परमजीत कौर बनाम पंजाब राज्य के रूप में दर्ज किया गया था।
Tarn Taran Fake Encounter
फेक मुठभेड़ की जांच पूरी होने के बाद यह साफ हो गया था कि इंस्पेक्टर गुरदेव सिंह, SHO पीएस के नेतृत्व में पुलिस टीम ने 27 जून 1993 को तरनतारन के सरहाली से शिंदर सिंह, सुखदेव सिंह और देसा सिंह और बलकार सिंह उर्फ काला का भी उसी दिन अपहरण किया गया। साथ ही थाना वेरोवाल के SHO सूबा सिंह ने जुलाई 1993 में सरबजीत सिंह उर्फ साबा और हरविंद्र सिंह का अपहरण किया था। अधिकारियों के नेतृत्व में पुलिस टीम ने फर्जी मुठभेड़ में 12 जुलाई 1993 को शिंदर सिंह, देसा सिंह, बलकार सिंह और मंगल सिंह को मुठभेड़ में मार गिराया।
सन् 1993 को एनकांउटर
पुलिस टीम ने 28 जुलाई 1993 को सुखदेव सिंह, सरबजीत सिंह उर्फ साबा और हरविंदर सिंह को ढेर कर दिया। इस मामले में CBI ने 31 मई 2002 को 10 आरोपी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था, जिनमें से पांच पुलिस अधिकारियों का मुकदमे के दौरान ही निधन हो गया।
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