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ISRO : माइक्रो सैटेलाइट ईओएस-08 की लॉन्चिगं आज, तैयारी पूरी

08:07 AM Aug 16, 2024 IST
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ISRO : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने गुरुवार को बताया कि वह 16 अगस्त को नए लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) के जरिये अर्थ ऑब्जर्निंग सैटेलाइट (ईओएस-08) का प्रक्षेपण करेगा। यह एसएसएलवी प्रक्षेपण यान का तीसरा मिशन होगा। दिन बाद बहाल ईओएस-08 उपग्रह शुक्रवार सुबह 9:17 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से एसएसएलवी के जरिए लॉन्च किया जाएगा।

Highlight :

माइक्रो सैटेलाइट ईओएस-08 आज होगा लाॅन्च

इसरो ने एक एक्स पोस्ट में कहा, "एसएसएलवी की तीसरी विकासात्मक उड़ान (डी-3) का प्रक्षेपण 16 अगस्त 2024 को एक घंटे की लॉन्च विंडो में 09:17 बजे शुरू होने वाला है।" इस उपग्रह पर तीन पेलोड इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इन्फ्रारेड पेलोड (ईओआईआर), ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम रिफ्लेक्टोमेट्री पेलोड (जीएनएसएस- आर) और सिक यूवी डोजीमीटर है। इसे पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा, "ईओएस-08 मिशन के प्राथमिक उद्देश्य एक माइक्रो सैटेलाइट का डिजाइन और विकास करना, माइक्रो सैटेलाइट बस के साथ संगत पेलोड उपकरणों का निर्माण करना और भविष्य के परिचालन उपग्रहों के लिए आवश्यक नई प्रौद्योगिकियों को शामिल करना हैं।"

एसएसएलवी के जरिए किया जाएगा लॉन्च

इसरो ने कहा कि एसएसएलवी की तीसरी उड़ान का लक्ष्य ईओएस-08 को 475 किलोमीटर की ऊंचाई वाली वृत्ताकार कक्षा में स्थापित करना है। एसएसएलवी एक कॉम्पैक्ट तीन चरण वाला प्रक्षेपण यान है, जिसे केवल 72 घंटों में असेंबल किया जा सकता है। यह छोटे, सूक्ष्म या नैनो उपग्रहों (10 से 500 किलोग्राम द्रव्यमान) को 500 किमी की कक्षा में स्थापित करने में सक्षम है। इसरो ने कहा, "एसएसएलवी को कम लागत, कम टर्न-अराउंड समय, कई उपग्रहों को समायोजित करने में लचीलापन, ऑन-डिमांड व्यवहार्यता, न्यूनतम लॉन्च इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए डिजाइन किया गया है।"

अगस्त 2022 में इसका पहला परीक्षण विफल रहा था

अगस्त 2022 में इसका पहला परीक्षण विफल रहा था, लेकिन फरवरी 2023 में अपनी दूसरी उड़ान से इसने वापसी की। एसएसएलवी ने पहली उड़ान में अपने दो पेलोड ईओएस-02 और एक छोटे क्यूबसैट को गलत कक्षा में स्थापित कर दिया था, जो जल्द ही वापस पृथ्वी पर गिर गये। हालांकि फरवरी 2023 में रॉकेट ने अपने तीन पेलोड ईओएस-07 और दो क्यूबसैट को उनकी निर्दिष्ट 450 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षाओं में सफलतापूर्वक स्थापित किया।

 

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