जम्मू-कश्मीर में तकनीक से ग्रामीण विकास को मिला बढ़ावा: BDO शकील भट्ट
डीबीटी प्रणाली से सरकारी योजनाओं में आई पारदर्शिता
जम्मू-कश्मीर में तकनीक ने ग्रामीण विकास को नई दिशा दी है। बीडीओ शकील भट्ट के अनुसार, डीबीटी प्रणाली ने सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता बढ़ाई है, जिससे लाभार्थियों को सीधे बैंक खातों में सब्सिडी मिल रही है। प्रधानमंत्री आवास योजना, मनरेगा, स्वच्छ भारत मिशन जैसी योजनाओं का क्रियान्वयन अब तेज और पारदर्शी हो गया है।
तकनीक ने जम्मू-कश्मीर में ग्रामीण विकास की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) प्रणाली ने सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता को सुनिश्चित किया है, जिससे समाज के हर वर्ग को सीधा लाभ हो रहा है। शोपियां जिले में कार्यरत ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर (बीडीओ) डॉ. शकील भट्ट ने आईएएनएस से बात की और बताया कि तकनीक ने कैसे लोगों की राह आसान की है। डॉ. शकील भट्ट ने बताया कि तकनीक ने योजनाओं को लोगों तक आसानी से पहुंचाया है, जिनमें प्रधानमंत्री आवास योजना, मनरेगा, स्वच्छ भारत मिशन और अन्य कई सरकारी योजनाएं शामिल हैं। उन्होंने डीबीटी को महत्वपूर्ण पहल बताया है।उन्होंने कहा कि डीबीटी का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी सब्सिडी और अन्य वित्तीय सहायता सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में पहुंचें। पहले, सब्सिडी और सहायता चेक या नकद के रूप में दी जाती थी, जिससे कई बार धन का कुछ हिस्सा भ्रष्टाचार की वजह से लाभार्थियों तक नहीं पहुंच पाता था। एक रिपोर्ट के अनुसार, पहले एक रुपए में से केवल 15 पैसे ही असली लाभार्थियों तक पहुंच पाते थे।
Jammu-Kashmir: NIA ने आतंकी साजिश में पाक हैंडलर समेत तीन पर आरोपपत्र दाखिल किया
शकील भट्ट ने बताया कि इस समस्या का समाधान करने के लिए सरकार ने डीबीटी प्रणाली शुरू की, जिसमें सभी प्रकार की सरकारी सब्सिडी सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में ट्रांसफर की जाती है। यह प्रणाली पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक है, जिसमें किसी भी प्रकार की फिजिकल प्रक्रिया, जैसे कि चेक या नकद वितरण की आवश्यकता नहीं है।
उन्होंने कहा कि शुरुआत में (2013-14 में) सिर्फ 28 योजनाओं को डीबीटी प्रणाली के तहत लागू किया गया था, लेकिन अब तक यह संख्या बढ़कर 320 योजनाओं तक पहुंच गई है। इस प्रणाली ने सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन को तेज और पारदर्शी बनाने में मदद की है। डीबीटी के सफल कार्यान्वयन में तीन मुख्य तकनीकी तत्व शामिल हैं। इनमें पहला जन धन योजना है, इसके तहत प्रत्येक नागरिक को बैंक खाता मिला, जिससे वित्तीय समावेशन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए गए। अब लगभग सभी नागरिकों के पास बैंक खाता है। दूसरा आधार कार्ड है, देश में 99 प्रतिशत वयस्कों के पास आधार कार्ड है, जो उन्हें एक यूनिक पहचान देता है और सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में सहायक बनता है।
उन्होंने तीसरे नंबर पर मोबाइल कनेक्टिविटी को रखा और कहा कि 2013 में भारत में मोबाइल कनेक्टिविटी का दायरा 53 प्रतिशत था, जो अब बढ़कर 85 प्रतिशत हो गया है। इसका मतलब है कि अब अधिकांश नागरिकों के पास मोबाइल फोन और इंटरनेट की सुविधा है, जो डीबीटी प्रणाली को और प्रभावी बनाता है।