जानिये कितना खतरनाक था 2007 का बर्बर आतंकी हमला, जिसे याद कर पीएम, आजाद हो उठे भावुक
गुजरात के पर्यटकों पर 2007 में कश्मीर में हुए आतंकी हमले की बुरी यादों ने मंगलवार को राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद दोनों को भावुक कर दिया।
04:57 PM Feb 09, 2021 IST | Ujjwal Jain
गुजरात के पर्यटकों पर 2007 में कश्मीर में हुए आतंकी हमले की बुरी यादों ने मंगलवार को राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद दोनों को भावुक कर दिया। आजाद इस महीने उच्च सदन से सेवानिवृत्त होने वाले चार सदस्यों में शामिल हैं, इसलिए सदन ने विपक्ष के नेता को विदाई दी। प्रधानमंत्री ने इस घटना को आजाद के मानवीय पक्ष को उजागर करने के लिए याद किया।
पीएम ने याद किया वो भावुक पल
मोदी ने याद करते हुए कहा कि जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे और जम्मू और कश्मीर में गुजरात के पर्यटकों पर हमला किया गया था और तब जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री आजाद ने उन्हें फोन करके इस घटना के बारे में सूचित किया था और आजाद रो रहे थे और उनके आंसू नहीं रुक रहे थे।
मोदी ने कहा, ‘मैं आजाद के प्रयासों और प्रणब मुखर्जी के प्रयासों को कभी नहीं भूलूंगा, जब गुजरात के लोग कश्मीर में एक आतंकी हमले के कारण फंस गए थे और उसी रात, गुलाम नबी जी ने मुझे हवाईअड्डे से शवों को भेजे जाने को लेकर फोन किया था।’
आजाद ने बताया वो खौफनाक मंजर
आजाद ने भी उसी घटना को याद करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बनने के दो दिन बाद यह मुख्यमंत्री और हवाईअड्डे को स्वागत करने का आतंकवादियों का तरीका था, जब मैं एक बच्चे के पास पहुंचा, जिसने अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया था और उसने मेरे पैर पकड़ लिए और मैं भी यह सोचकर बहुत जोर से रोया था कि ‘ हे भगवान, आपने ये क्या किया? मैं इन बच्चों को क्या जवाब दूंगा। ये लोग यहां घूमने आए थे और एक ट्रिप पर थे। वे अब यहां से शवों के साथ जा रहे हैं।’
भावना से भरे आजाद ने अपने भाषण के दौरान कहा कि वह प्रार्थना करते हैं कि देश में आतंकवाद खत्म हो जाए। आजाद ने कहा कि कश्मीरी पंडितों ने उन्हें हमेशा समर्थन दिया था और मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कहा था कि कोई भी पक्षपातपूर्ण तरीके से काम नहीं करेगा।
आजाद के लिए क्या बोले पीएम
प्रधानमंत्री ने राजनीति और सदन में आजाद के योगदान का उल्लेख करते हुए कहा, ‘आप सदन से सेवानिवृत्त हो रहे हैं, लेकिन मैं आपको सेवानिवृत्त नहीं होने दूंगा और मेरे दरवाजे आपके लिए खुले हैं और मुझे आपके योगदान और सलाह की आवश्यकता होगी।’
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