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कांग्रेस के शासन में भागे दाऊद, मेमन और इकबाल भटकल जैसे आतंकी: अमित शाह

06:52 AM Jul 31, 2025 IST | Rahul Kumar Rawat
कांग्रेस के शासन में भागे दाऊद  मेमन और इकबाल भटकल जैसे आतंकी  अमित शाह

'ऑपरेशन सिंदूर' पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर आतंकवाद के खिलाफ नरम रुख अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कुख्यात गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में देश छोड़कर भागा था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहा, कांग्रेस के राज में दाऊद इब्राहिम भागा। इतना ही नहीं, सैयद सलाउद्दीन, टाइगर मेमन, अनीस इब्राहिम, इकबाल भटकल और मिर्जा सादाब बेग जैसे आतंकवादी भी कांग्रेस के कार्यकाल में ही भागे। इसका हिसाब कौन देगा? उनको मालूम था कि इसका हिसाब देना पड़ेगा और इसलिए उन्होंने सदन का बहिष्कार कर दिया। पहले आतंकवादियों को भगाया और अब वे खुद भी भाग गए।

शाह ने कांग्रेस पर साधा निशाना

गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद के बयान का जिक्र करते हुए सोनिया गांधी की भी आलोचना की। शाह ने दिल्ली के बाटला हाउस मुठभेड़ का जिक्र करते हुए कहा, Òमुझे याद है, एक सुबह नाश्ते के दौरान मैंने टीवी पर सलमान खुर्शीद को रोते हुए देखा। वह सोनिया गांधी के आवास से निकल रहे थे। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी पूरी रात सो नहीं पाती हैं और उनकी आंख में आंसू देखकर मेरी आंख में आंसू आते हैं। मैं कहना चाहता हूं कि अगर सोनिया गांधी सचमुच आंसू बहाना चाहती थीं, तो उन्हें बाटला हाउस मुठभेड़ में शहीद हुए मोहन शर्मा के लिए बहाना चाहिए था। आप आखिर किसे बचाने की कोशिश कर रहे हैं?

आतंकवाद पर शाह की कड़ी प्रतिक्रिया

उन्होंने आगे कहा, चिदंबरम के कार्यकाल में ही, जब तक वो गृह मंत्री थे, अफजल गुरु को फांसी नहीं हुई। मुंबई हमले के बाद दिग्विजय सिंह ने कहा कि ये हमला तो आरएसएस ने कराया है। ऐसा बोलकर ये लोग किसको बचा रहे हैं? मैं आज दुनिया के सामने, देश की जनता के सामने गर्व से कहता हूं कि हिंदू कभी टेररिस्ट नहीं हो सकता। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में पथराव की घटनाओं में आई कमी के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा, जम्मू-कश्मीर में 2010 से 2015 के बीच 2,564 पथराव की घटनाएं हुई थीं। 2024 के बाद एक भी घटना नहीं हुई। ऑर्गेनाइज हड़ताल- जो पाकिस्तान में बैठे हुर्रियत के आका ऐलान करते थे और सालाना 132 दिन घाटी बंद रखते थे। तीन साल से एक भी हड़ताल का ऐलान नहीं हुआ है। अब हिम्मत नहीं है।

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