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Textile Economy: GST में राहत से कपड़ा अर्थव्यवस्था की रफ्तार होगी तेज, 350 अरब डॉलर पहुंचेगा कपड़ा क्षेत्र

12:15 PM Sep 05, 2025 IST | Himanshu Negi
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Textile Economy
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Textile Economy: GST स्लैब में बदलाव के बाद हर क्षेत्र में राहत की उम्मीद नजर आ रही है। बता दें कि स्लैब में बदलाव के बाद भारत के कपड़ा क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक छलांग हैं, जो 2030 तक देश को 350 अरब डॉलर की कपड़ा अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए काम करेंगे। कपड़ा मंत्रालय ने इन सुधारों को लागू करने के लिए उद्योग के हितधारकों, निर्यातकों, कारीगरों और उद्यमियों के साथ मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।

Textile Economy

Textile Economy
Textile Economy

इन ऐतिहासिक सुधारों से लागत कम होने, संरचनात्मक गलतियों को दूर करने, रोजगार को बनाए रखने और रेशे से लेकर फैशन और विदेशी बाजारों तक, संपूर्ण कपड़ा वैल्यू चेन को मजबूत करने की उम्मीद है। ये सुधार प्रधानमंत्री के दूरदर्शी 5एफ फॉर्मूले (फ्रॉम फाइबर टू फैशन टू फॉरेन मार्केट) के साथ पूरी तरह से जुड़े हैं, जिसका उद्देश्य भारत को एक ग्लोबल टेक्सटाइल पावरहाउस के रूप में स्थापित करना है।

Increasing Demand: निर्यात को मिलेगा बढ़ावा

कपड़ों में GST को रेशनलाइज बनाने से कई परेशानी दूर होंगी, उत्पादन लागत कम होगी, मांग बढ़ेगी, निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी। ये सुधार रेशे के स्तर पर गलत प्रभाव को दूर करते हैं, धागे और कपड़े के स्तर पर लागत कम करते हैं, परिधानों की मजबूती में सुधार करते हैं, खुदरा स्तर पर मांग को पुनर्जीवित करते हैं और निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाते हैं।

GST on Clothes

रेडीमेड कपड़ों और मेड-अप वस्तुओं पर 2,500 रुपए प्रति पीस (पहले 1,000 रुपए) तक की 5 प्रतिशत जीएसटी दर, किफायती परिधानों को, विशेष रूप से मध्यम वर्ग और निम्न-आय वाले परिवारों के लिए, सस्ता बनाती है। इससे टियर 2 और 3 शहरों और ग्रामीण बाजारों में मांग में सुधार की उम्मीद है।

Make in India

मंत्रालय ने कहा कि परिधान उद्योग की श्रम-प्रधान प्रकृति को देखते हुए खासकर सिलाई, टेलरिंग और फिनिशिंग इकाइयों में महिलाओं के लिए उच्च मांग से रोजगार बना रहेगा और बढ़ेगा। यह कदम 'मेक इन इंडिया' ब्रांडों को भी समर्थन देगा, जिससे उन्हें कम और मध्यम-मूल्य वाले क्षेत्रों में सस्ते आयातों से प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी। बता दें कि रेशों पर GST 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत और सूत पर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है।

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Himanshu Negi

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