थाईलैंड-कम्बोडिया संघर्ष
आज पूरी दुनिया युद्ध से गुजर रही है। यूक्रेन-रूस, इजराइल- फिलिस्तीन युद्ध जारी है। ईरान, अफगानिस्तान, बंगलादेश, नाइजीरिया, इथोपिया, यमन, कांगो आदि देश या तो सीधे युुद्ध में उलझे हुए हैं या फिर उनमें आतंकवाद और गृह युद्ध की स्थिति है। इनमें लाखों लोगों की मौत हो रही है। यह दृश्य अमानवीय ही नहीं बल्कि खौफ पैदा करने वाले हैं। लाखों लोग अपने ही देश में शरणार्थी बन गए हैं या फिर उन्हें अपना घर-बार छोड़कर दूसरे देशों में जाने को विवश होना पड़ा है। अमेरिका और चीन तथा अन्य बड़ी शक्तियां पर्दे के पीछे से अपना खेल खेल रही हैं। ऐसा लगता है कि अब हर कोई हिंसा में पागल हो रहा है। वैश्विक नेतृत्व नाकाम हो चुका है। कोई किसी की बात सुनने को तैयार नहीं। सबको अपने-अपने हितों की चिंता है। किसी को सत्ता की चिंता है तो किसी को व्यापारिक हितों की। अब एशिया के दो छोटे देश थाईलैंड और कम्बोडिया में पिछले चार दिन से सीमा पर संघर्ष हो रहा है। इस युद्ध में 35 से ज्यादा लोग और कई सैनिक मारे गए हैं और एक लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं।
अब इस युद्ध में अमेरिका आैर चीन की भी एंट्री हो चुकी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर अपना पुराना हथकंडा अपनाते हुए दोनों देशों को चेतावनी दी है कि अगर दोनों ने संघर्ष बंद नहीं किया तो सम्भावित अमेरिकी व्यापार समझौता खतरे में पड़ जाएगा। साथ ही ट्रम्प ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम की ही तरह यह दावा कर दिया है कि थाईलैंड और कम्बोडिया तत्काल बैठक करने और युद्ध विराम पर सहमत हुए हैं। चीन भी परोक्ष रूप से कम्बोडिया के पीछे खड़ा हुआ है। थाईलैंड के कार्यवाहक प्रधानमंत्री फुमथम ने थाईलैंड की युद्धविराम की इच्छा को स्वीकार किया लेकिन कम्बोडिया पर पूरा भरोसा नहीं जताया। एक फेसबुक पोस्ट में उन्होंने ट्रम्प से आग्रह किया कि वह थाईलैंड की शांति के लिए दोनों पक्षों की बातचीत की इच्छा को कम्बोडिया तक पहुंचाएं। हालिया हिंसा पिछले एक दशक में थाईलैंड और कम्बोडिया के बीच सबसे गंभीर जंग है। शनिवार को झड़पें थाईलैंड के ट्राट प्रांत और कम्बोडिया के पुरसत प्रांत में तेज हो गईं। इससे प्रारंभिक संघर्ष क्षेत्र से 100 किलोमीटर दूर एक नया मोर्चा खुल गया। थाईलैंड और कम्बोडिया के बीच सीमा पर जारी विवाद का इतिहास कई सदियों पुराना है, जो मुख्य रूप से 11वीं सदी के प्रेह विहियर मंदिर और आसपास के क्षेत्रों को लेकर है। यह विवाद दोनों देशों के पुराने राजनीतिक और सांस्कृतिक दावों से जुड़ा है, जो कोलोनियल एरा के दौरान बनी सीमाओं और नक्शों की अस्पष्टता के कारण आज भी जारी है।
थाईलैंड और कम्बोडिया के बीच संबंध काफी जटिल और संवेदनशील रहे हैं। सवाल यह है कि आखिर यह युद्ध क्यों हो रहा है। इस युद्ध के पीछे सबसे बड़ा कारण प्राचीन शिव मंदिर है। प्रेह वििहयर मंदिर दांगरेक पहाड़ियों में स्थित है, जिसे 9वीं से 12वीं सदी के दौरान खमेर साम्राज्य ने बनवाया था। खमेर साम्राज्य के पतन के बाद 19वीं सदी में यह क्षेत्र थाईलैंड (तत्कालीन साइएम) और फ्रांसीसी उपनिवेश कम्बोडिया के बीच विवाद का केंद्र बन गया। फ्रांसीसी और साइएम के बीच 1904 और 1907 के समझौतों के तहत सीमाओं का निर्धारण हुआ, जिसमें फ्रांसीसी नक्शाकारों ने इस मंदिर को कम्बोडिया की सीमा में रखा लेकिन सीमाओं की सही व्याख्या के लिए बनी मिश्रित कमिशन ने विवादों को पूरी तरह से सुलझाया नहीं। 1953 में कम्बोडिया की स्वतंत्रता के बाद भी यह विवाद जारी रहा। 1962 में अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ने फैसला सुनाया कि प्रेह वििहयर मंदिर कम्बोडियाई क्षेत्र में है लेकिन मंदिर के आसपास 4.6 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का विवाद खुला छोड़ दिया गया जिससे सीमा टकराव जारी रहा। थाईलैंड ने इस फैसले को आंशिक रूप से स्वीकार किया, जबकि वहां के राष्ट्रवादी इससे नाराज रहे। 2008 में कम्बोडिया ने प्रेह वििहयर मंदिर को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिलाया जिससे थाईलैंड में असंतोष फैला और दोनों देशों की सेनाएं विवादित इलाके में तैनात हो गई। तब से सीमा पर कई बार हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें दोनों पक्षों के सैनिक मारे गए और कई परिवार विस्थापित हुए।
कम्बोडिया-थाईलैंड संघर्ष से भारत समेत कई देशों की चिंता बढ़ा दी है। इसकी अहम वजह हिंद प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा है। भारत के दोनों देशों से अच्छे संबंध हैं। वियतनाम इसलिए परेशान है कि उसका कम्बोडिया और चीन के साथ सीमा तनाव का लम्बा इतिहास रहा है। अगर दोनों देशों में संघर्ष जारी रहता है तो वियतनाम की अपनी सीमा रक्षा जटिल हो सकती है। चीन के कम्बोिडया के साथ मजबूत रक्षा और आर्थिक संबंध रहे हैं। उसने कम्बोिडया में काफी िनवेश कर रखा है और वह उसे सैन्य सामग्री भी देता है। अमेरिका के लिए दक्षिण पूर्व एशिया में दबदबा बनाए रखने के लिए थाईलैंड की जरूरत है और रक्षा संधि के तहत थाईलैंड उसका सहयोगी है। दुनिया की सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश इंडोनेशिया भी इस संघर्ष को लेकर चिंतित है। हिन्द प्रशांत क्षेत्र में कोई तनाव न हो इसिलए थाईलैंड-कम्बोिडया संघर्ष खत्म होना ही चाहिए। अब समय आ गया है कि युद्ध पर सवाल उठाएं, क्योंकि युद्ध में अंततः मानवता की ही हार होती है।