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तहेदिल से धन्यवाद...अभी आपकी दुआओं की बहुत जरूरत है

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12:59 AM Dec 02, 2018 IST | Desk Team

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जिन्दगी में दु:ख-सुख हमेशा साथ चलते हैं, ईश्वर हमेशा अपने भक्तों की परीक्षा भी लेता है, उस कठिन घड़ी में एक ही प्रश्न ईश्वर से पूछते हैं- मैं ही क्यों? तब ईश्वर और बड़े बुजुर्गों से यही उत्तर मिलता है भगवान राम, सीता, यीशु, भगवान पाश्र्वनाथ-सभी को अपने जीवन में दु:ख, परीक्षा की घड़ी से गुजरना पड़ा, आप तो एक आम व्यक्ति हो। मेरा मानना है अगर आपके साथ सबकी दुआएं हैं और हजारों-लाखों सहानुभूति रखने वाले हैं तभी अश्विनी जैसे व्यक्ति कठिनाइयों और स्वास्थ्य की लड़ाई में यमराज से भी टक्कर ले लेते हैं। कन्याकुमारी, राजस्थान, असम, तेलंगाना, महाराष्ट्र तक, सड़क से लेकर संसद तक और हरियाणा की गलियों, कूचों और करनाल के घर-घर में बसे अनगिनत लोगों द्वारा किए गए इस हवन-यज्ञ और हर धर्म, हर जाति ब्राह्मण , जैन, जाट, वाल्मीकि, गुर्जर, सिख संगत, अग्रवाल वैश्य समाज, मुस्लिम समाज व अनगिनत लोगों द्वारा किए गए हवन, यज्ञ और आहुतियों का चमत्कार मैंने व्यक्तिगत रूप से देखा। जालंधर और सारी दुनिया से ऐसी सहेलियों-मित्रों के फोन आए जिनसे काफी समय से साथ छूटा हुआ था। वहां मुझे मेरी मित्र की बेटी रीमा मिली जिसने बहुत सेवा की, वो एंजेल थी।

जब अश्विनी जी की 12 घंटे की सर्जरी हुई, एक महीना अस्पताल में और आईसीयू में रहे तब देश के काफी संघ के लोग, भाजपा, कांग्रेस, सपा, बसपा, देश के प्रमुख पत्रकारों में जालन्धर का मीडिया, जागरण, भास्कर, दैनिक सवेरा, अजीत, लीडर्स, एमएलए, डाक्टर्स, आम लोगों के फोन, मैसेज पर दुआएं आ रही थीं। सर्जरी के समय डॉली जेतली, रोहन जेतली मेरे साथ चट्टान और प्यार के साथ डटे रहे। रोहन ने मुझे आदित्य की कमी महसूस नहीं होने दी इतना प्यारा व प्रतिभाशाली युवक है। भारतीय कॉन्सुलेट और उनकी पत्नी तरुण चक्रवर्ती ने हर पल साथ दिया। यहां तक कि मैंने सारे नवरात्रे रखे थे, अपने हाथों से व्रत का खाना बनाकर भेजा। जब मैं आईसीयू के बाहर नम आंखों से ईश्वर से प्रार्थना कर रही थी वहीं कुछ खून के रिश्ते अश्विनी जी की बीमारी का फायदा उठाकर रिश्तों को तार-तार कर रहे थे। रामायण के विभीषण को भी मात दे दी, परन्तु मेरे तीनों बेटे मेरे साथ चट्टान की तरह खड़े थे। उनका एक ही कहना था हमारा एक ही लक्ष्य है पापा को बचाना और इनको इस बात की खबर भी न लगे। अपने आप वकील देखेंगे। आपने इस ओर ध्यान ही नहीं करना, हमारे लिए सब कुछ पापा हैं। यही नहीं हमारे निर्वाचन क्षेत्र के हजारों-लाखों बेटे मेरे साथ थे। मेरा बड़ा बेटा आदित्य अपने सारे ऑफिस के कर्मचारियों के साथ (वो भी कर्मचारी नहीं परिवार की तरह काम करते हैं) ऑफिस संभाल रहा था, हर समय व्हाट्सअप कॉल से हमारे साथ जुड़ा था।

मेरी बहू अपने कत्र्तव्य निभा रही थी, वहीं मेरे छोटे बेटे अर्जुन, आकाश मेरी दोनों बाजू बने हुए थे क्योंकि एक भी दिन ऐसा नहीं था जब मेरी आंखों में आंसू न बहते हों, मुझे नहीं मालूम कि यह क्यों हो रहा था। ईश्वर ने बहुत सहनशक्ति दी परन्तु अश्विनी जी को इस हालत में नहीं देख सकती थी। मैंने कभी देवी बनकर, दुर्गा बनकर जिन्दगी की कठिन परीक्षाएं दी हैं परन्तु इस समय मैं बहुत ही कमजोर, असहाय महसूस कर रही थी। एक पत्नी, एक मां होने के नाते फिर सवित्री बनकर भगवान से भी लडऩा पड़ा। मेरे वरिष्ठ नागरिकों ने मुझे जो सन्देश भेजे, वीडियो भेजी वे मेरे हौसले को बढ़ाते थे और उनका प्यार देखकर आंसू गंगा-जमुना की तरह बहते थे, रुकने का नाम नहीं लेते थे। दिल्ली में प्रसिद्ध डाक्टर अमेरिका के डाक्टर के साथ समन्वय रख रहे थे, सारा संत समाज मुझे मैसेज कर रहा था। अरुण जेटली , सुषमा स्वराज, प्रियंका गांधी, शरद यादव, मुलायम सिंह जी, चौटाला, शहनवाज, डा. हर्षवर्धन, विजय जौली, विजय गोयल, विजेन्द्र गुप्ता, मनोज तिवारी कोई भी पीछे नहीं था।

लगभग सभी मुख्यमंत्रियों, लाला जी की बेटियों (बुआ) व दोहतों के फोन आए। बादल परिवार, मनजिन्द्र सिरसा, मंजीत जी, नरेन्द्र चंचल जी, अवशेष स्वामी जी, स्वामी ज्ञानानन्दजी, भद्रमुनि जी, नेपाल से पीयूष मुनि जी, करनाल से तरुण सागर जी के शिष्यों ने अपने सेवक अमेरिका में हमारी सेवा में लगा रखे थे। अरुण जेटली जी की कुछ पंक्तियों ने मुझे बहुत हौसला दिया कि ’60 की उम्र में कुछ न कुछ होता ही है हमें स्वीकार करना चाहिए, मेरी तरफ देखो कितनी बड़ी सर्जरी से गुजरा हूं परन्तु लोगों की प्रार्थनायें और अपनी इच्छाशक्ति और डॉली की सेवा से फिर देश की सेवा कर रहा हूं और अश्विनी तो बहुत ही सरल, सीधा, भोला व्यक्ति है जिनकी लेखनी और वाणी सख्त है परन्तु अन्दर से साधू व्यक्ति है, यह बिल्कुल ठीक हो जाएगा। वाकई ही उनके इन शब्दों ने मुझे इतनी ताकत दी कि मैं बता नहीं सकती।

सबसे बड़ी बात है कि हमारे भारत के डाक्टर किसी से कम नहीं। यहां भी डाक्टरों में वही योग्यता है जो बाहर के डाक्टरों में, बाहर अधिकतर इंडियन डाक्टर हैं। हमारे सभी डाक्टर मित्रों ने कहा यहां भी अच्छा है परन्तु हमारा फैसला इसलिए था कि इस कठिन समय में सिर्फ उनकी सेवा करनी थी, यहां हाल पूछने वालों की कतारें लग जाती थीं वहां के सिस्टम और सफाई से मैं बहुत प्रभावित थी। काश! मेरे हाथ में जादू की छड़ी आ जाये तो मैं भी ऐसे ही कर दूं। डॉली जी ने मुझे आश्वासन दिया कि इस लाइन पर सोचा जा रहा है और काम शुरू हो रहा है। सबसे अधिक उस समय अचरज हुआ जब अश्विनी जी की सर्जरी हो रही थी उस समय ऋषि कपूर का भी इलाज हो रहा था। मेरे सामने नीतू ङ्क्षसह व रणबीर कपूर बैठे थे। वो पत्नी व मां है, उसका हौंसला देखकर मैंने भी अपने आपको संभालने की कोशिश की, वह उस समय मेरी प्रेरणा बनी। जहां मैं उनके सिस्टम की तारीफ कर रही थी वहीं वहां सारे अस्पताल में यह मशहूर हो गया था कि भारत का एक सीनेटर (एमपी) है जिसकी पत्नी और 2 बेटे 24 घंटे उसके साथ हैं, उसकी सेवा कर रहे हैं, नर्स से ज्यादा ख्याल रख रहे हैं।

बहुत से डाक्टर, नर्स, रोगी मुझे और मेरे बेटों को मिलने-देखने आते थे क्योंकि वहां पत्नी एक घंटे आकर रोगी का हाल पूछकर चली जाती थीं, बच्चे भी फूल और गुब्बारे लेकर आये और देकर चले जाते हैं। जो अंतर्राष्ट्रीय रोगी थे सिर्फ उनके परिवार साथ थे। एक अमेरिकन रोगी ने मुझसे पूछा क्या आप अपने बच्चों को पे करते हो जो हमेशा आपके साथ हैं। मैंने उन्हें हाथ जोड़ कर बताया कि यह हमारी संस्कृति है, हमारे देश में श्रवण, राम जैसे बेटे ही होते हैं। वो बहुत हैरान होते थे। एक अमेरिकन डाक्टर ने पूछा कि आप इनकी पत्नी हो या नर्स, वो बहुत हैरान थे। मुझे अपने देश की संस्कृति पर बहुत नाज हो रहा था कि अमेरिका कितना भी हमसे आगे हो हमारे देश की संस्कृति का कहीं मुकाबला नहीं। आखिर में मैं आप सबसे हाथ जोड़कर प्रार्थना करुंगी कि अश्विनी बहुत बड़े संकट से गुजर कर काफी स्वस्थ होकर भारत लौटे हैं।

मुझे मिनिस्टर, पाठक, वरिष्ठï नागरिक, पत्रकार, एमपी के फोन आ रहे हैं कि वो मिलना चाहते हैं, अभी वो नहीं मिल सकते क्योंकि अभी 50 प्रतिशत काम बाकी है, वो रेडिएशन थेरेपी से गुजर रहे हैं जिससे इम्युनिटी लो हो जाती है इसलिए वो किसी को नहीं मिल सकते हैं, न कहीं जा सकते हैं, न बोल सकते हैं। यह सर्जरी से भी मुश्किल समय है इसलिए आप सबकी दुआओं की अभी जरूरत है। फरवरी तक बिल्कुल स्वस्थ हो जाएंगे, बोलेंगे भी। मेरी अवस्था को आप समझ सकते हैं, अभी मैं उनको छोड़कर कहीं नहीं जा सकती। अभी अश्विनी जी की तरफ से आदेश है कि रविवार, शनिवार मैं लोगों के बीच में जाऊं और उनके निर्वाचन क्षेत्र में जाकर काम करूं क्योंकि लोगों की प्रतिबद्धता पूरी करनी है। चाहे थोड़ी देर के लिए जाऊं, कोशिश जरूर करूंगी परन्तु आप सबसे प्रार्थना है कि फरवरी तक हमें माफ करें और आप सब अश्विनी जी को अपनी प्रार्थना में रखें, उन्हें बहुत आशीर्वाद और दुआओं की जरूरत है। मैं जहां भी आ सकूंगी जरूर आने की कोशिश करूंगी।

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