सबका बहुत-बहुत धन्यवाद...
मुझे फरवरी के महीने पौत्र रत्न की प्राप्ति हुई। मेरी बहूरानी सना की एक ही मांग थी…
मुझे फरवरी के महीने पौत्र रत्न की प्राप्ति हुई। मेरी बहूरानी सना की एक ही मांग थी कि मां जब मेरी संतान हो तो आपका काम नहीं रुकना चाहिए, न समाजसेवा में कमी आए, क्योंकि मुझे लगता था कि उसके बेटे होने पर मैं 40 दिन का विश्राम ले लूं परन्तु उसके कहने पर वाकई मैंने अधिक काम किया। उसने मुझे कोई तकलीफ नहीं दी।
जब से सबको मालूम हुआ चारों तरफ से वरिष्ठ नागरिकों की बधाइयां आ रही हैं। किसी का पत्र, किसी का व्हाट्सऐप मैसेज आ रहा है। मुझे लग रहा है कि सभी मेरे सदस्यों का पौत्र हुआ। 40 दिन पर भजन संध्या रखी। सभी बहुत खुश हैं। यहां तक कि प्रधानमंत्री जी का संदेश प्राप्त हुआ।
कई संतों ने, कई मुख्यमंत्रियों ने संदेश दिया, आशीर्वाद भेजे। दिल्ली की मुख्यमंत्री और गर्वनर तो खुद आए। सारी कैबिनेट भी आई। बहुत से समाजसेवी, डॉक्टर आए और बहुत से संत जैसे ऋतम्भरा दीदी और लोकेश मुनि जी आए, गडकरी जी भी आए। बहुत से पुलिस ऑफिसर थे। यह सबके साथ अमर शहीद लाला जगत नारायण जी, अमर शहीद रोमेश जी, स्वर्गीय अश्विनी जी का आशीर्वाद जुड़ा हुआ है। जो भी हो रहा है सब उन्हीं का आशीर्वाद है। उन्हीं की मेहनत, देशभक्ति के कारण आज पांचवीं पीढ़ी को भी लोग दिल से आशीर्वाद देते हैं। सबसे बड़ी बात मेरे बेटे आदित्य ने अपने भाइयों अर्जुन, आकाश और उनकी पत्नियों सना, राधिका के सिर पर पिता जैसा हाथ रखा है और अर्जुन-सना ने तो अपने बेटे का नाम ही अभीर अश्विनी चोपड़ा रखा है। यह सब मैं इसलिए लिख रही हूं कि आप सबके आशीर्वाद और दुआओं के कारण है और यह हमारी भारतीय संस्कृति और संस्कार हैं जो लाला जी की पांचवीं पीढ़ी में मौजूद हैं, क्योंकि हमारा परिवार आर्य समाजी है, तो सुबह आर्यसमाजी हवन किया और शाम को ऊॅं नाम के साथ भजन संध्या की शुरूआत हुई जिसे प्रसिद्ध गायक शंकर साहनी ने प्रस्तुत किया। सुबह 4 बजे मैंने मंदिर में भी पूजा की।
अगले दिन हमने जरूरतमंद बुजुर्गों को आर्थिक सहायता और खाना बांटा और उसमें मेरे बड़े पौत्र आर्यवीर और आर्यन ने आकर आर्थिक सहायता बांटी। आर्यवीर, आर्यन ने सब बुजुर्गों के पांव छूकर आशीर्वाद लिया। सच में मेरी जिन्दगी का सबसे बड़ा अवार्ड मेरे
संस्कारी बेटे-बहुएं और पौत्र हैं। मुझे यही लगता है सबने खानी दो रोटियां हैं एक बिस्तर पर सोना है और अगर हम अच्छे कर्म करते-करते इस दुनिया से विदा लें तो इससे अच्छा और कुछ नहीं। पैसा कम ज्यादा तो प्रभु की इच्छा है और हमारी किस्मत है। सो गुरु नानक जी की बात हमेशा याद रहती है कीरत करो, नाम जपो और वंड खाओ।
जिन्होंने मुझे बधाई दी, दिल से आशीर्वाद दिये, सबको मेरा हाथ जोड़कर धन्यवाद।