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अकाली दल में चल रहे आपसी तनाव ने लिया नया मोड़, ढींढसा परिवार को पार्टी से निकालने के लिए डाला प्रस्ताव

पंजाब में कंपकंपाती ठंड के बीच सियासी पारा चढ़ा हुआ है। इसी बीच शिरोमणि अकाली दल (ब) में चल रही तनातनी ने आज उस वक्त नया मोड़ ले लिया जब लोकसभा हलका संगरूर के इंचार्ज और पूर्व केबिनेट मंत्री सिकंदर सिंह मलूका ने संगरूर में बुलाई एक विशेष प्रैस कांफ्रेंस को संबोधित करते कहा

04:40 PM Jan 07, 2020 IST | Shera Rajput

पंजाब में कंपकंपाती ठंड के बीच सियासी पारा चढ़ा हुआ है। इसी बीच शिरोमणि अकाली दल (ब) में चल रही तनातनी ने आज उस वक्त नया मोड़ ले लिया जब लोकसभा हलका संगरूर के इंचार्ज और पूर्व केबिनेट मंत्री सिकंदर सिंह मलूका ने संगरूर में बुलाई एक विशेष प्रैस कांफ्रेंस को संबोधित करते कहा

अकाली दल में चल रहे आपसी तनाव ने लिया नया मोड़  ढींढसा परिवार को पार्टी से निकालने के लिए डाला प्रस्ताव
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लुधियाना-संगरूर : पंजाब में कंपकंपाती ठंड के बीच सियासी पारा चढ़ा हुआ है। इसी बीच शिरोमणि अकाली दल (ब) में चल रही तनातनी ने आज उस वक्त नया मोड़ ले लिया जब लोकसभा हलका संगरूर के इंचार्ज और पूर्व केबिनेट मंत्री सिकंदर सिंह मलूका ने संगरूर में बुलाई एक विशेष प्रैस कांफ्रेंस को संबोधित करते कहा कि जिला संगरूर और बरनाला के अकाली नेताओं ने एक प्रस्ताव पास करके उनको सौंपा है जिसमें मांग की गई है कि पार्टी विरोधी कार्यवाही कर रहे ढींढसा परिवार के विरूद्ध अकाली दल जल्द ही कार्यवाही करके उनको पार्टी में से बाहर का रास्ता दिखाएं। उन्होंने कहा कि आगुओं के इस प्रस्ताव संबंधित पार्टी प्रधान सुखबीर सिंह बादल को अवगत करवा दिया गया है। इस अवसर पर संगरूर और बरनाला जिलों के कई बड़े अकाली आगु भी मोजूद थे।
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स्मरण रहे कि पंजाब में कुछ साल पहले श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी के मुददे पर वरिष्ठ अकाली नेता और सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा ने बादलों के विरूद्ध आवाज बुलंद करते हुए पार्टी सदस्यता के अतिरिक्त अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था और शिरोमणि अकालद दल पर अपना दावा ठोकते हुए पंथक नेताओं से विचार-विमर्श करके सूबे में आवाज उठा रखी थी। इसी दौरान उनके पुत्र पूर्व वित मंत्री परमिंद्र सिंह ढींढसा ने भी अकाली दल के नेता पद से इस्तीफा देते हुए स्पष्ट किया था कि वह 5 बार विधायक और 2 बार मंत्री रहे है।
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इसलिए उनका दायित्व बनता है कि वह पार्टी को मजबूत करने हेतु यत्न करें और पार्टी में जो कमियां है उन्हें सुधारा जाएं। हालांकि इस कार्यवाही से अकाली दल के अंदर हलचल मची हुई है। सुखदेव सिंह ढींढसा और उनके पुत्र परमिंद्र ढींढसा खुलकर बोल रहे है। ढींढसा ने स्पष्ट कर रखा है वह अकाली दल नहीं छोड़ेंगे। बहरहाल देखना दिलचस्प होगा कि पंजाब की अकाली सियासत आने वाले दिनों में क्या रूख अख्तियार करती है।
– सुनीलराय कामरेड
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