पंजाब के मिशन-13 लोकसभा के 6 कांग्रेसी प्रत्याशियों की हुई घोषणा, नवजोत कौर व मनीष तिवारी की उम्मीदें टूटीं
पंजाब में मिशन- 13 को कामयाब बनाने हेतु कांग्रेस की केंद्रीय इलेक्शन कमेटी (सी.आइ.सी) की देर शाम हुई बैठक में हुए फैसले के मुताबिक जालंधर
लुधियाना : पंजाब में मिशन- 13 को कामयाब बनाने हेतु कांग्रेस की केंद्रीय इलेक्शन कमेटी (सी.आइ.सी) की देर शाम हुई बैठक में हुए फैसले के मुताबिक जालंधर से सांसद सदस्य चौधरी संतोख सिंह को एक बार फिर दुबारा मैदान में उतारा गया है जबकि लुधियाना से कांग्रेसी सांसद रवनीत सिंह बिटटू को भी पुन: तीसरी बार टिकट थमाई गई है। इसके अतिरिक्त चंडीगढ़ कांग्रेस के पूर्व केबिनेट मंत्री पवन कुमार बांसल को कांग्रेस का परचम फहराने के लिए पार्टी प्रत्याशी घोषित किया गया है।
पवन बंसल पर आठवीं बार विश्वास जताते हुए उम्मीदवार बनाने का निर्णय किया है। इसके साथ ही नवजोत कौर सिद्धू और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी की उम्मीदें टूट गई हैं। बंसल को पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के करीबी समझे जाते हैं। साल 1991 से लेकर 2014 तक सात बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। इनमें से हर बार पवन बंसल ही कांग्रेस का चुनाव में चेहरा बनते आए हैं। इसलिए भी बंसल को इस बार भी मजबूत दावेदार माना जा रहा है। सात चुनाव में पवन बंसल ने चार बार शहर से सांसद बन चुके हैं। बंसल इससे पहले पंजाब से राज्यसभा सांसद भी बन चुके हैं।
औजला को टिकट मिलने से कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर
इसी क्रम में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह की धर्मपत्नी और पूर्व मंत्री महारानी परनीत कौर को पटियाला से उम्मीदवार बनाया गया है। जबकि गुरू की नगरी अमृतसर संसदीय क्षेत्र से दुबारा ओजला को कांग्रेस के जिताने की जिम्मेदारी सोंपी गई है। पंजाब के सीमावर्ती संसदीय क्षेत्र गुरदासपुर से प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ पर पुन: भरोसा जताया गया है।
गुरदासपुर के लोगों ने अकसर बाहरी उम्मीदवार पर भरोसा किया है और पिछले 5 लोकसभा चुनावों के परिणामों पर नजर दौड़ाएं तो भाजपा से चुनावी मैदान में उतरे अभिनेता विनोद खन्ना को वहां के लोगों ने भरपूर प्यार देकर 4 बार सांसद बनने का टिकट थमाया था जबकि उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस से सुनील जाखड़ ने अबोहर से आकर बाहरी होने के बावजूद यह सीट जीतकर कांग्रेस के पाले में डाली थी।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक पंजाब की सत्ता में काबिज होने के बावजूद कांग्रेस को 13 उम्मीदवारों के चयन में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। पार्टी के अधिकारिक शक्ति एप्प से मिले फीड बैक के सामने पंजाब की लीडरशिप के तर्क काफी कमजोर पड़ रहे थे क्योंकि फीड बैक ने मोजूदा सांसद जालंधर के चौधरी संतोख सिंह और अमृतसर के सांसद गुरप्रीत ओजला की नींद उड़ा रखी थी। पिछले दिनों एक वीडियो वायरल से चौधरी संतोख सिंह की छवि से पार्टी को काफी नुकसान की आशंका जताई जा रही थी। जबकि ओजला का अमृतसर से कांग्रेस में भारी विरोध था।
कांग्रेस ने इस बार एक-एक सीट पर करो या मरो की स्थिति में है। हाईकमान ने पंजाब की पूरी फीडबैक इकटठी करके यह फैसले किए है। अधिकांश लीडरशिपों की दलीलें काम नहीं आई। सूत्रों का यह भी कहना है कि कांग्रेस अकाली-भाजपा गठबंधन के उम्मीदवारों की घोषणाओं के बाद चेहरों में बदलाव कर सकती है और इसके लिए दूसरी सूची भी तैयार है।
– सुनीलराय कामरेड