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The Bengal Files Review: क्या विवादों के बाद भी ऑडियंस के दिल में जगह बना पाई 'द बंगाल फाइल्स'?

10:19 AM Sep 06, 2025 IST | Yashika Jandwani
the bengal files review  क्या विवादों के बाद भी ऑडियंस के दिल में जगह बना पाई  द बंगाल फाइल्स
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The Bengal Files Review : विवेक अग्निहोत्री (Vivek Agnihotri) और पल्लवी जोशी (Pallavi Joshi) की फाइल्स ट्रिलॉजी की तीसरी और आखिर फिल्म ‘द बंगाल फाइल्स’ (The Bengal Files) 5 सितंबर सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। इससे पहले आई फिल्मे ‘द ताशकंद फाइल्स’ और ‘द कश्मीर फाइल्स’ को दर्शकों ने सराहा और दोनों ही फिल्में बॉक्स ऑफिस पर हिट रही। वहीं इस बार की कहानी ने भी दर्शकों के रोंगटे खड़े कर दिए, लेकिन फिल्म में कुछ खामियां भी देखने को मिली।

The Bengal Files Review

क्या है फिल्म की कहानी

फिल्म की कहानी दो टाइमलाइन में आगे बढ़ती है। एक तरफ पास्ट का ट्रैक है, जिसमें सीबीआई ऑफिसर शिव पंडित यानी एक्टर दर्शन कुमार पश्चिम बंगाल में एक लड़की के गायब होने की जांच कर रहे हैं। वहीं इस मामले में सारा शक पॉलिटिकल लीडर सरदार हुसैनी पर जाता है, जिसका किरदार सास्वत चैटर्जी द्वारा निभाया गया है। दूसरी ओर फ्लैशबैक में 1940 से लेकर 1947 के दौर दिखाया गया है, जहां एक्ट्रेस सिमरत कौर ने भारती का भूमिका निभाई है। कहानी में भारती के परिवार और विभाजन की त्रासदी को दिखाया गया है। डायरेक्ट एक्शन डे और नौआखाली दंगों का दर्द इसी हिस्से में देखने को मिलता है। वहीं पल्लवी जोशी ने भारती के बुढ़ापे के दौर को दिखाया है और कहानी को बताती नज़र आई है।

The bengal files

एक्टिंग

दर्शन कुमार ने अपने किरदार को बेहद ही गंभीरता के साथ निभाया और वर्तमान के और को बखूबी दिखाया है। सास्वत चैटर्जी ने भी अपनी स्क्रीन प्रेज़ेंस से सभी का ध्यान अपनी और खींचा। पल्लवी जोशी (Pallavi Joshi) ने हमेशा की तरह इस बार भी अपने अभिनय से सभी के दिलों पर गहरा प्रभाव छोड़ है। फिल्म की असली जान सिमरत कौर और मिथुन चक्रवर्ती रहे। सिमरत ने हर एक सीन को बखूबी निभाया है। वहीं मिथुन ने 75 साल की उम्र में भिखारी के किरदार को निभाकर साबित कर दिया कि वे एक बेहतरीन कलाकार है। जली हुई जीभ के साथ उनका दर्द दर्शकों को छूता है। अनुपम खेर ने गांधी का रोल अलग अंदाज में निभाने की कोशिश की, जो कुछ जगहों पर काफी असरदार है, लेकिन हर जगह वे कामयाब नहीं हो पाता। नामाशी चक्रवर्ती का काम अच्छा है जबकि एकलव्य सूद अपने किरदार में पूरी तरह न्याय नहीं कर पाए।

The bengal files

फिल्म का डायरेक्शन

विवेक अग्निहोत्री (Vivek Agnihotri) का निर्देशन इस बार कमजोर पड़ता नजर आता है। फिल्म के दो हिस्सों को जोड़ने की कोशिश में एडिटिंग थोड़ी गड़बड़ा जाती है। इसी कारण कहानी तोड़ी कंफ्यूज भी करती और कुछ-कुछ हिस्सों में बोरियत का एहसास है। ट्रेलर में वादा किया गया था कि यह फिल्म दर्शकों को झकझोर देगी, जो कलाईमेक्स देखने को मिलना है।

The bengal files

फिल्म की खूबियां और कमियां

डायरेक्ट एक्शन डे वाला सीन और कुछ डायलॉग फिल्म को दमदार बनाते है। इसके साथ पसीने को पानी बनाकर पीने वाला सीन उस दौर की बेबसी को दिखाता है। लेकिन दूसरी ओर कई इमोशनल सीन्स, खासकर नौआखाली दंगों से जुड़ा गांधी वाला हिस्सा, फीका साबित होता है। कलाकारों द्वारा अंग्रेजी के बड़े शब्दों का इस्तेमाल भी 1946 के बैकग्राउंड में खटकता है।

The bengal files review

 

देखें या नहीं

अगर आप इतिहास और बंगाल के विभाजन के दौर को समझना चाहते हैं तो यह फिल्म देख सकते हैं। ‘फाइल्स ट्रिलॉजी’ के फैन रहे हैं तो इसे मिस नहीं करेंगे। हालांकि फिल्म लंबी है और इसकी रफ्तार कभी-कभी थका देती है, इसलिए इसे देखने को आपको सब्र की ज़रूरत होगी। इस फिल्म को PunjabKesari.com साढ़े तीन स्टार देता है।

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Yashika Jandwani

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