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Delhi HC के जज ने सुनवाई से खुद को किया अलग, यासीन मलिक के मृत्युदंड की मांग से जुड़ा है मामला

03:38 PM Jul 11, 2024 IST | Saumya Singh
Delhi HC

Delhi HC : दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस अमित शर्मा ने गुरुवार को आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक के लिए मृत्युदंड की मांग करने वाली राष्ट्रीय जांच एजेंसी की अपील पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। पूर्ववर्ती पीठ ने पहले एनआईए की अपील पर यासीन मलिक से जवाब मांगा था और इसे 'दुर्लभतम मामला' बताया था।

Highlight : 

जज ने मामले की सुनवाई से खुद को किया अलग

गुरुवार को न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की खंडपीठ के समक्ष अपील की सुनवाई की गई थी। मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अमित शर्मा ने मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। पीठ ने मामले को 9 अगस्त को दिल्ली HC की एक अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया। मई 2023 में, एनआईए ने आतंकी फंडिंग मामले में जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया था।

यासीन मलिक तिहाड़ जेल में है बंद

इससे पहले, न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पूर्ववर्ती पीठ ने जेल अधीक्षक के माध्यम से यासीन मलिक को नोटिस जारी किया था, क्योंकि यासीन मलिक तिहाड़ जेल में बंद है। वह अपील में एकमात्र प्रतिवादी था, अदालत ने नोट किया। अदालत ने अपील दायर करने में देरी के लिए माफी के लिए एनआईए के आवेदन पर भी नोटिस जारी किया था। अदालत ने मामले में ट्रायल कोर्ट का रिकॉर्ड भी तलब किया। एनआईए की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पहले कहा था कि यासीन मलिक चार भारतीय वायुसेना कर्मियों की हत्या और रुबैया सईद के अपहरण के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने यह भी कहा कि अपहरण के बाद रिहा किए गए चार आतंकवादियों ने 26/11 के मुंबई हमलों की साजिश रची थी।

एनआईए ने की है मौत की सजा का मांग

एनआईए ने अपनी अपील में कहा कि अगर ऐसे खूंखार आतंकवादियों को केवल इस आधार पर मृत्युदंड नहीं दिया जाता कि उन्होंने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है, तो इससे देश की सजा नीति पूरी तरह खत्म हो जाएगी और एक ऐसी व्यवस्था बन जाएगी जिससे ऐसे खूंखार आतंकवादी 'राज्य के खिलाफ युद्ध' में शामिल होने, छेड़ने और उसका नेतृत्व करने के बाद मृत्युदंड से बचने का रास्ता निकाल लेंगे।

यासीन मलिक ने 1994 से पहले की गई हिंसा के लिए कभी कोई खेद व्यक्त नहीं किया

इससे पहले 25 मई, 2022 को ट्रायल कोर्ट के जज ने आतंकी फंडिंग मामले में जेकेएलएफ नेता यासीन मलिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए कहा था कि मेरी राय में इस दोषी में कोई सुधार नहीं हुआ है। यह सही हो सकता है कि दोषी ने वर्ष 1994 में बंदूक छोड़ दी हो, लेकिन उसने वर्ष 1994 से पहले की गई हिंसा के लिए कभी कोई खेद व्यक्त नहीं किया। एनआईए न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने कहा।

दो बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई

एनआईए कोर्ट ने यासीन मलिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए 10 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना भी लगाया। उसे दो बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई (एक बार देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए और दूसरी बार आतंकी कृत्य के लिए धन जुटाने के लिए यूएपीए धारा 17 के तहत)।

(Input From ANI)

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