अब गंग नहर की शताब्दी पर उठे विवाद
राजस्थान की ऐतिहासिक गंग नहर अपने निर्माण के 100 वर्ष पूरे कर रही है। पंजाब के ऐतिहासिक शहर फिरोजपुर से सतलुज नदी का पानी लेकर राजस्थान के रेतीले इलाकों में हरियाली लाने के लिए बनी यह नहर भारत-पाक सीमा के करीब है और यह फिरोजपुर, फाजिल्का और जिला मुक्तसर से होती हुई जिला गंगानगर व जिला हनुमानगढ़ के क्षेत्रों तक जल ले जाती है। ठीक 100 वर्ष पूर्व दिसम्बर के प्रथम सप्ताह में इसका निर्माण कार्य आरंभ हुआ था। इसका पहली बार प्रयोग अक्तूबर 1925 में आरंभ हुआ। इसके निर्माण की पहलकदमी बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने की थी। इस नहर के निर्माण की शताब्दी पूर्ण होने पर एक विशेष समारोह के आयोजन की योजना थी, मगर अब इस पर भी विवाद मचा हुआ है। पंजाब का आरोप है कि उसके तीन-तीन जिलों से होकर गुजरने वाली इस नहर का मूल स्रोत भी पंजाब की सतलुज नदी है, मगर पंजाब को इस नहर का एक बूंद पानी भी नहीं मिल पाता। अब इस पर नया हंगामा आरंभ हो गया है।
चलिए, इस नहर की शताब्दी के अवसर पर इसके अतीत पर नज़र दौड़ा लें। वर्ष 1899-1900 में देश के कई भागों में अकाल पड़ा था। उन दिनों बीकानेर-रियासत सबसे अधिक प्रभावित हुई थी। पानी की बूंदों के लिए इंसान भी तरसते थे और खेत भी। परिंदे भी दम तोड़ने लगे थे और पौधे भी सूख चले थे। उस समय बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने पंजाब के तत्कालीन चीफ इंजीनियर ए.डब्ल्यू. ई. स्टैनले और एक अन्य उच्चाधिकारी आर.जी. कैनेडी की मदद से इस नहर की योजना तैयार कराई थी। मगर तत्कालीन मुस्लिम स्टेट बहावलपुर ने इसका विरोध किया था। बाद में वायसराय लार्ड कर्जन के दखल से 4 सितम्बर, 1920 को एक समझौता हुआ था। नहर का नींव पत्थर 5 दिसम्बर, 1925 को रखा गया, मगर इस नहर को जल के लिए लार्ड कर्जन ने ही दो वर्ष बाद 1925 में खोला था। भारत-पाक विभाजन के समय सर सिरिल रैडक्लिफ शुरूआती दौर में फिरोजपुर और जीरा तहसील को पाकिस्तान में मिलाने लगे थे।
अगर ऐसा हो जाता तो गंग कैनाल का सारा पानी पाकिस्तान को मिल जाता। उन दिनों सरदार के.एम. पनिक्कर, बीकानेर रियासत के प्रधानमंत्री थे। इन्होंने लार्ड माउंटबेटन को चेतावनी दी थी कि यदि ऐसा हुआ तो बीकानेर रियासत के पास पाकिस्तान के विलय के इलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। जवाहर लाल नेहरू ने भी इसी विषय पर वायसराय को एक पत्र लिखा था। आखिर रैडक्लिफ को अपनी भूल का अहसास हो गया। उसने पूरा जिला फिरोजपुर ही भारत के हिस्से में डाल दिया। बहरहाल, अब विवाद एक नया मोड़ ले रहा है। केंद्रीय मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल, जो कि राजस्थान के प्रमुख नेता भी हैं, ने फिरोजपुर हैड वर्क्स पर जाकर उस स्थान पर एक समारोह की योजना बनाई थी, जहां से इस नहर का उद्गम होता है। मगर इसी बात पर पंजाब की सिख राजनीति में नया बवाल मच गया। सत्तापक्ष ‘आप’ ने भी इस पर अपनी उग्र आपत्ति जताई थी। श्री अर्जुन मेघवाल ने स्पष्ट कर दिया कि उनका उद्देश्य सिर्फ इतना ही था कि फिरोजपुर जाकर एक समारोह का आयोजन करें ताकि पंजाब के प्रति आभार जताया जा सके।
बाद में पंजाब भाजपा अध्यक्ष सुनील जाखड़ और भाजपा नेता गुरमीत सोढी को भी अपने-अपने बयान जारी करने पड़े और मेघवाल के इस कार्यक्रम से दूरी बनाने की घोषणा करनी पड़ी। प्रधानमंत्री कार्यालय को भी मेघवाल को उसको रद्द करने के लिए कहना पड़ा। केंद्रीय एजेंसियों ने भी सतर्क कर दिया था कि यदि ऐसा कोई कार्यक्रम हुआ तो सिख संगत व पंजाब कांग्रेस और पंजाब में सत्तारूढ़ ‘आप’ को एक नया मुद्दा मिल जाएगा और इस सीमावर्ती राज्य में फिर से भाजपा विरोध उमड़ने लगेगा। आतंकवादी तत्व भी इस आड़ में तीखे तेवर दिखाने लगेंगे। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए आखिर यह कार्यक्रम रद्द करना पड़ा। एक नहर के निर्माण की शताब्दी का अवसर भी एक संवेदनशील एवं ज्वलनशील मुद्दा बन गया। बाद में यह समारोह श्रीगंगानगर में आयोजित किया गया। यह नहर 157 किलोमीटर लम्बी है और राजस्थान की 3 लाख हैक्टेयर भूमि को सिंचित करती है।