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सुप्रीम कोर्ट से तकरार नहीं चाहता केंद्र

पिछले कुछ समय में सरकार के एक चहेते भगवा सांसद और यूपी के एक पूर्व उपमुख्यमंत्री…

10:31 AM Apr 26, 2025 IST | त्रिदीब रमण

पिछले कुछ समय में सरकार के एक चहेते भगवा सांसद और यूपी के एक पूर्व उपमुख्यमंत्री…

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पर भाजपा सांसद के हमले से केंद्र सरकार नाराज है। संघ और भाजपा ने सांसद को समझाया कि कोर्ट से टकराव पार्टी के लिए हानिकारक है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उपराष्ट्रपति ने भी चिंता जताई है, जिससे मामला और गंभीर हो गया है।

‘है अगर तेरे पास तो अपनी रूह पहन कर चल यहां

आइनों का क्या सब दिखा पाना इसके वश में कहां’

पिछले कुछ समय में सरकार के एक चहेते भगवा सांसद और यूपी के एक पूर्व उपमुख्यमंत्री ने सुर में सुर मिलाते सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को जिस तरह सीधे निशाने पर लिया है, यह बात केंद्र सरकार को रास नहीं आई है। सूत्र बताते हैं कि संघ नेतृत्व ने भी इस बात पर अपनी नाखुशी जाहिर की है। समझा जाता है कि भाजपा शीर्ष ने भी अपने चहेते सांसद दुबे जी को समझा दिया है कि ’उनकी ऐसी ये नादानियां ठीक नहीं हैं, सर्वोच्च कोर्ट से रार लेना सरकार व पार्टी की सेहत के लिए अच्छा नहीं।’ जब से सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु की डीएमके सरकार और वहां के राज्यपाल आर.एन.रवि के बीच चल रही तनातनी को लेकर 8 अप्रैल 2025 को एक अहम फैसला सुनाया है, इस मामले में न जाने किस के कहने पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी कूद गए हैं और वे लगातार अलग-अलग मंचों पर कोर्ट की अति सक्रियता को लेकर चिंता जता रहे हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले की देशभर में गूंज है जिसमें साफ कहा गया है कि ’राज्यपाल और राष्ट्रपति के पास विधेयकों पर ‘पॉकेट वीटो’ का कोई अधिकार नहीं है।’ दुबे जी ने भले ही अपना निशाना सीधे-सीधे सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा चीफ जस्टिस संजीव खन्ना पर साधा हो जो इसी 14 मई को रिटायर हो रहे हैं, पर कहते हैं इस बात की गूंज दूर तक सुनी जा सकती है। आने वाले चीफ जस्टिस बी.आर. गवई के बारे में माना जाता है कि वे नागरिक अधिकारों की पुरजोर वकालत करने वाले ऐसे न्यायाधीश हैं जिन्हें हाशिए पर खड़े लोगों की सबसे ज्यादा फिक्र है। वहीं 8 अप्रैल का ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के दोनों जज यानी जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की भी एक निर्विवाद छवि है और सबसे अहम बात तो यह कि जस्टिस पारदीवाला मई 2028 से लेकर 11 अगस्त 2030 तक सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रहने वाले हैं, केंद्र सरकार ऐसे में उन्हें क्यों छेड़ना चाहेगी?

भाजपा सांसद की 25वीं सालगिरह की धूम:

निशिकांत दुबे झारखंड के गोड्डा से चौथी बार निर्वाचित भाजपा के प्रो-एक्टिव सांसद हैं, वे समय-समय पर अलग-अलग कारणों से सदैव चर्चा में बने रहते हैं। कभी महुआ मोइत्रा प्रकरण की वजह से तो कभी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त कुरैशी पर निजी हमलों की वजह से।

विवादों से भले उनका चोली-दामन का साथ रहा हो, पर पार्टी लाइन से इतर अलग-अलग राजनीतिक दलों में उनके मित्रों की तादाद भी काफी बड़ी है। सो, जब पिछले दिनों उन्होंने अपने विवाह की 25वीं वर्षगांठ पर गुलमर्ग के आलीशान खैबर होटल में शानदार जश्न मनाया तो तीन दिनों तक चले इस जश्न की खबर ने सुर्खियां भी उतनी ही बटोरी। कहते हैं उनकी इस पार्टी के सारे इंतजाम खैबर होटल के मालिक उमर तरांबू ने व्यक्तिगत तौर पर किए। सूत्रों का दावा है कि उनके इस जश्न में शामिल होने वाले हाई प्रोफाइल मेहमानों की सूची आपको दंग कर सकती है। इस सूची में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से लेकर कई बड़े नाम शामिल हैं। दुबे जी की खास मित्रों में शुमार होने वाली सुप्रिया सुले की उपस्थिति भी वहां देखी गई, इसके अलावा इस पार्टी में शामिल होने वालों की सूची में कांग्रेस नेता बृजेंद्र सिंह,भाजपा सांसद कमलेश पासवान के अलावा कई नामी-गिरामी बिजनेसमैन के नाम भी गिनाए जा सकते हैं। नोएडा के एक चर्चित बिल्डर जिन पर हाल के दिनों में ही आयकर विभाग का जोरदार छापा पड़ा है वे भी वहां मंडराते दिखे। सबसे खास बात कि यह पार्टी पहलगाम हादसे से बमुश्किल 10 दिन पहले हुई थी, पर उस वक्त वहां सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था की गई थी।

राहुल से खफा अमेरिकी शिक्षाविद :

राहुल गांधी पिछले दिनों एक बार फिर से अमेरिकी दौरे पर थे, जहां वे पुनः रोड आइलैंड के ब्राउन यूनिवर्सिटी में पहुंचे। वैसे भी राहुल को अमेरिकी विश्वविद्यालय के छात्रों व उनके प्रोफेसरों के संग संवाद स्थापित करना हमेशा से पसंद रहा है। इससे पहले भी वे वहां के हार्वड, मिशिगन व ब्राउन यूनिवर्सिटी जा चुके हैं। राजनीति विज्ञान के नामचीन अमेरिकी प्रोफेसर आशुतोष वार्ष्णेय राहुल के खास सलाहकारों में शुमार होते हैं। प्रोफेसर वार्ष्णेय इससे पहले मि​िशगन यूनिवर्सिटी में पढ़ाते थे, बाद में वे ब्राउन यूनिवर्सिटी आ गए। 2021 में प्रोफेसर वार्ष्णेय के साथ राहुल की वर्चुअल चर्चा ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं। कहते हैं राहुल के इस बार का भी ब्राउन यूनिवर्सिटी का दौरा प्रोफेसर वार्ष्णेय और सैम पित्रोदा ने मिल कर तय किया था। इस दफे जब राहुल ब्राउन यूनिवर्सिटी पहुंचे तो वहां के कुछ प्रोफेसर व बुद्धिजीवियों के साथ राहुल की वन-टू-वन सारगर्भित चर्चा हुई।

वहां मौजूद एक अमेरिकी प्रोफेसर ने राहुल से कहा कि हम आपके राजनीतिक विचारों का स्वागत करते हैं, पर आप मोदी की तरह चुनावी रणनीति बनाने में हमेशा असफल रहे हैं, क्या आप जानते नहीं कि चुनाव कैसे जीता जाता है? इस पर राहुल ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया-’मैं एक लाॅग डिस्टेंस रनर हूं, मैं आज भी रोजाना 5 से 10 किलोमीटर दौड़ लेता हूं। मैं सत्ता के लिए नहीं, विचारधारा के लिए राजनीति करता हूं, हम 2029 नहीं तो 34 का लोकसभा चुनाव तो जरूर जीतेंगे, मैं इतना इंतजार करने के लिए तैयार हूं।’ राहुल की ये बातें सुन कर बैठक में एक असहज़ सन्नाटा पसर गया। बैठक से बाहर निकल कर सैम पित्रोदा ने राहुल को समझाया कि ’सार्वजनिक मंचों पर ऐसी बातें कहने से बचना चाहिए, क्योंकि आज के जमाने में लोग सिर्फ जीतने वाले घोड़े पर ही दांव लगाना चाहते हैं।’

नायब का नायाब अंदाज :

हरियाणा में नायब सिंह सैनी सरकार को दुबारा सत्ता में आए छह महीनों से ज्यादा का वक्त गुज़र गया है, पर राज्य में विपक्ष की भूमिका में तैनात कांग्रेस अभी तक अपने नेता प्रतिपक्ष का चुनाव ही नहीं कर पाई है। कांग्रेसी इसका ठीकरा राहुल गांधी के मत्थे फोड़ रहे हैं और कह रहे हैं कि उनके यहां से ही कोई निर्णय अबतलक हो नहीं पाया है। सूत्रों की मानें तो हरियाणा कांग्रेस पार्टी की आपसी सिर फुटौव्वल को देखते हुए राहुल किसी नए चेहरे को वहां नेता विपक्ष की अहम जिम्मेदारी देना चाहते हैं, पर पार्टी के सीनियर नेता नए नेता के नाम पर मान ही नहीं रहे। उल्टे वे तर्क दे रहे हैं कि अगर पार्टी के सीनियर नेताओं को अलग-थलग किया जाएगा तो यहां गुटबाजी और बढ़ जाएगी। पार्टी के सीनियर नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा से भी राहुल खफा-खफा दिख रहे हैं, यही वज़ह है कि कांग्रेस के अहमदाबाद अधिवेशन में हुड्डा को कोई खास भाव नहीं मिला। वे बस अशोक गहलोत के आसपास ही नज़र आए। वहीं सैनी ने इस मौके को अवसर में तब्दील करना शुरू कर दिया है। विपक्ष का नेता नहीं होने की वज़ह से वे राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त समेत छह अन्य आयुक्तों की नियुक्तियां नहीं कर पा रहे थे सो उन्होंने संवैधानिक नियुक्तियों के इस मामले को कानूनी सलाह के लिए भेज दिया है।

कांग्रेस ने इस हरियाणा विधानसभा चुनाव में अग्निवीर, पहलवान व किसानों के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था। सीएम सैनी ने इसकी काट के लिए अग्निवीरों को हरियाणा पुलिस में 20 फीसदी आरक्षण देने का वादा किया है, यानी 2026 में जब अग्निवीर सेना से रिटायर होकर आएंगे तो उनके लिए पुलिस की नौकरी का एक बड़ा मौका होगा। इसी तरह सैनी पहलवानों व किसानों के लिए कुछ बड़ी योजना लाने पर काम कर रहे हैं, ऐसे में कांग्रेस बस हाथ मलती रह जाएगी। क्योंकि जिन संवैधानिक नियुक्तियों में सरकार को सीएम, नेता प्रतिपक्ष और मंत्रियों के पैनल की जरूरत होती है, सैनी साहब ने इसकी नायाब काट ढूंढ निकाली है।

…और अंत में :

पिछले सप्ताह 18-20 अप्रैल तक बेंगलुरु में आहूत होने वाली भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक को अंत समय पर टालना पड़ा। संघ चाहता था कि पार्टी के नए अध्यक्ष के चुनाव के उपरांत यह बैठक हो। हालांकि भाजपा के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के कार्यकाल को 30 जून तक विस्तार दे दिया गया है। सो, अब यह माना जाता है कि पार्टी अपना नया अध्यक्ष 10 मई से पहले चुन लेगी। तब तक शायद 18 बचे हुए प्रदेशों के अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया भी पूर्ण हो जाए। संघ इस बात से भी खुश नहीं बताया जाता है कि भाजपा नड्डा को 20 जनवरी 2023 के बाद से ही लगातार एक्सटेंशन पर एक्सटेंशन दिए जा रही है।

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