जिस देश के पास होंगे ये तीन हथियार वही जीतेगा युद्ध, इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा भारत
भारत की सैन्य ताकत का अंतरिक्ष में विस्तार
भारत अपनी सैन्य शक्ति को अंतरिक्ष में बढ़ाने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा कि भविष्य में युद्ध का एक बड़ा हिस्सा अंतरिक्ष में लड़ा जाएगा। भारत मिलिट्री स्पेस डॉक्ट्रिन तैयार कर रहा है, जिसमें रणनीतिक शक्ति, निगरानी और सहयोग को प्राथमिकता दी जाएगी।
Indian Defence System: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने अपनी सैन्य शक्ति का जोरदार प्रदर्शन किया है. अब भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में भी अपनी ताकत बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है. इस संबंध में पूर्व डीजीएमओ (DGMO) लेफ्टिनेंट जनरल अनिल भट्ट ने कहा कि आने वाले समय में हर देश को अंतरिक्ष में अपनी संपत्तियों की रक्षा करनी होगी और यह समझना भी जरूरी होगा कि वहां विरोधियों की क्या गतिविधियां हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर का मकसद युद्ध नहीं है, लेकिन अगर पीओके (पाक अधिकृत कश्मीर) को वापस लेना है, तो वह एक अलग रणनीतिक विकल्प हो सकता है.
अनिल भट्ट का सैन्य अनुभव
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल भट्ट ने भारतीय सेना में 38 साल की सेवा के दौरान कई अहम जिम्मेदारियां संभाली हैं. वे डोकलाम विवाद के समय डीजीएमओ थे और लेबनान-इज़रायल सीमा पर संयुक्त राष्ट्र के कमांडर के रूप में भी काम कर चुके हैं. इसके अलावा उन्होंने श्रीनगर स्थित 15 कोर की कमान भी संभाली है.
अनिल भट्ट का सैन्य अनुभव
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल भट्ट ने भारतीय सेना में 38 साल की सेवा के दौरान कई अहम जिम्मेदारियां संभाली हैं. वे डोकलाम विवाद के समय डीजीएमओ थे और लेबनान-इज़रायल सीमा पर संयुक्त राष्ट्र के कमांडर के रूप में भी काम कर चुके हैं. इसके अलावा उन्होंने श्रीनगर स्थित 15 कोर की कमान भी संभाली है.
इस दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने जानकारी दी कि भारत जल्द ही एक मिलिट्री स्पेस डॉक्ट्रिन लाने की तैयारी कर रहा है. उन्होंने कहा कि भविष्य में युद्ध का एक बड़ा हिस्सा अंतरिक्ष में लड़ा जाएगा. ऐसे समय में जब चीन तेजी से अपनी अंतरिक्ष क्षमताएं बढ़ा रहा है, भारत को भी अपनी सुरक्षा मजबूत करनी होगी.
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डिफेंस स्पेस एजेंसी की भूमिका
जनरल चौहान आगे बताया कि डिफेंस स्पेस एजेंसी (DSA), जो कि हेडक्वार्टर इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ का हिस्सा है, अगले 2-3 महीनों में स्पेस डॉक्ट्रिन तैयार कर सकती है. इसमें पृथ्वी की कक्षा में मौजूद भारतीय संपत्तियों की सुरक्षा और अंतरिक्ष में सैन्य क्षमता को बेहतर बनाने की योजना शामिल होगी. इस बीच उन्होंने आगे बताया कि जिन देशों के पास तीन मुख्य स्तंभ: रणनीतिक शक्ति, निगरानी और सहयोग होगा वही आज के समय में युद्द जीत सकता है.
1. रणनीतिक शक्ति और जवाबी क्षमता
भारत की स्पेस डॉक्ट्रिन का मकसद अंतरिक्ष में दुश्मनों की गतिविधियों पर नजर रखना और जरूरत पड़ने पर उन्हें जवाब देना है. इसमें एंटी-सैटेलाइट हथियार, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली और उन्नत लेज़र हथियारों का विकास किया जाएगा.
2. स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस (SSA)
डॉक्ट्रिन में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अंतरिक्ष में मौजूद सैटेलाइट, मलबे और अन्य खतरों की रियल-टाइम निगरानी की जा सके ताकि भारतीय संसाधनों की सुरक्षा हो सके.
3. निजी, सैन्य और नागरिक क्षेत्र का सहयोग
इस योजना के तहत सरकारी, सैन्य और निजी संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया जाएगा ताकि अंतरिक्ष तकनीक का विकास तेजी से हो सके और रक्षा क्षेत्र को मजबूती मिले.
राष्ट्रीय सैन्य अंतरिक्ष नीति पर काम जारी
सीडीएस चौहान ने यह भी बताया कि भारत एक राष्ट्रीय सैन्य अंतरिक्ष नीति पर काम कर रहा है. यह नीति देश की अंतरिक्ष क्षमताओं को सुरक्षित रखने और चीन जैसे देशों की चुनौतियों से निपटने के लिए बनाई जा रही है, जो एंटी-सैटेलाइट टेक्नोलॉजी और जैमिंग तकनीकों में सक्षम हैं.
अंतरिक्ष युद्ध की रणनीति
सीडीएस ने इस बात पर जोर दिया कि आने वाले समय में युद्ध का चेहरा पूरी तरह बदल जाएगा और अंतरिक्ष एक निर्णायक भूमिका निभाएगा. हमें एक ऐसी सोच विकसित करनी होगी जो अंतरिक्ष युद्ध की रणनीतियों, अनुसंधान और क्षमताओं को बढ़ावा दे.
वहीं भारतीय अंतरिक्ष संघ (ISpA) द्वारा आयोजित इंडियन डिफेंस स्पेस सिम्पोजियम 2025 में यह चर्चा की गई कि कैसे भारत को एक वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति के रूप में स्थापित किया जा सकता है. इस संगोष्ठी का उद्देश्य रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र में नए अवसरों और चुनौतियों को पहचानना है.