अदालत ने आजाद की जमानत शर्तों में बदलाव कर चिकित्सा, चुनावी कारणों से दिल्ली आने की इजाजत दी
दिल्ली की एक अदालत ने पिछले महीने यहां जामा मस्जिद में सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान ‘‘भड़काऊ बयान’’ देने के आरोपी, भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद को मंगलवार को चिकित्सा और चुनाव के उद्देश्य से दिल्ली आने की इजाजत देते हुए उनसे कहा कि दिल्ली पुलिस को अपने यात्रा कार्यक्रम की जानकारी दें।
04:37 PM Jan 21, 2020 IST | Shera Rajput
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दिल्ली की एक अदालत ने पिछले महीने यहां जामा मस्जिद में सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान ‘‘भड़काऊ बयान’’ देने के आरोपी, भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद को मंगलवार को चिकित्सा और चुनाव के उद्देश्य से दिल्ली आने की इजाजत देते हुए उनसे कहा कि दिल्ली पुलिस को अपने यात्रा कार्यक्रम की जानकारी दें।
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अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लाउ ने आजाद की जमानत के आदेश में बदलाव करते हुए यह निर्देश दिये। उन्होंने आजाद को निर्देश दिया कि वह उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में फतेहपुर पुलिस थाने के प्रभारी के पास चार हफ्ते तक हर शनिवार तथा हर महीने के आखिरी शनिवार अपनी हाजिरी दर्ज करवाएं।
अदालत ने कहा, ‘‘अगर वह दिल्ली में हैं तो अपने कार्यक्रम के बारे में नयी दिल्ली की अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त को जानकारी दें और अपनी हाजिरी लगवाएं। अगर वह कहीं और हैं तो उन्हें नयी दिल्ली में अपराध शाखा के उपायुक्त को अपने पते के बारे में बताना चाहिए।’’
अदालत ने कहा, ‘‘वह अपने इलाज के लिये और चुनाव या किसी और उद्देश्य से दिल्ली जा सकते हैं, लेकिन उन्हें अपने कार्यक्रम के बारे में अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त को जानकारी देनी होगी। वह दिल्ली में अदालत को बताए गए अपने दोस्त के पते पर भी रह सकते हैं।’’
उनके खिलाफ 20 दिसंबर को दरियागंज इलाके में हुए प्रदर्शन के दौरान हिंसा के सिलसिले में मामला दर्ज किया गया था। अदालत आजाद द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने अपने जमानत आदेश की शर्तों में संशोधन का अनुरोध किया था।
याचिका में कहा गया था कि भीम आर्मी प्रमुख का राष्ट्रीय राजधानी में एक दफ्तर है जहां वह सामाजिक कार्यों के लिये साप्ताहिक बैठकें करते हैं।
अदालत ने कहा, ‘‘चुनाव लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव हैं। हर किसी को इसमें शामिल होने का अधिकार है और वास्तव में हम अधिकाधिक भागीदारी का आह्वान करते हैं। लेकिन जहां तक चुनाव में भागीदारी का सवाल है, दूसरे के अधिकारों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। लोकतंत्र छलावा नहीं हो सकता। अगर (जमानत) शर्तें चुनावों में आजाद की भागीदारी में आड़े आती हैं तब उन पर लगाई गई पाबंदियों में बदलाव होना चाहिए।’’
अदालत ने पूर्व में जमानत देते हुए आजाद के चार हफ्तों तक दिल्ली आने और चुनावों तक राष्ट्रीय राजधानी में कोई ‘‘धरना’’ देने पर रोक लगा दी थी।
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