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डंकी रूट का काला सच

06:00 AM Oct 28, 2025 IST | Aditya Chopra
डंकी रूट का काला सच
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बेडि़यों में जकड़े युवाओं की अमेरिका से वतन वापसी की कहानियां कोई नई नहीं हैं। बस हर बार कुछ नए अध्याय जुड़ जाते हैं। ऐसे मामलों में हादसे, गिरफ्तारियां या अभियोग। हरियाणा, पंजाब, गुजरात जैसे राज्य के युवाओं की खतरनाक आकांक्षाओं को रोकने में कोई बाधा नहीं है। इतने अधिक मामले हो जाने के बावजूद जोखिमों को समझते हुए भी युवा डंकी रूट पर निकल पड़ते हैं। इस पागल दौड़ को चलाने वाली एक महत्वपूर्ण प्रेरणा अरबपति बनकर अपनी किस्मत बदलना ही है लेकिन बिना वीजा के डंकी रूट से अमेरिका पहुंचना सैंकड़ों लोगों के सपनों को बहुत महंगा पड़ता है। सपने तो टूटते ही हैं साथ ही जेल भी काटनी पड़ती है। अनेक लोगों को मौत का सामना भी करना पड़ा है। अमे​रिका में पकड़े गए 25 से 40 साल की उम्र के 50 लोग अमेरिका से निर्वासित होकर लौट आए हैं। इन लोगों ने अमेरिका पहुंचने के लिए अपनी जमीनें बेच दी, घर गिरवी रख दिए और बेहतर जिंदगी देने वाले एजैंटों पर भरोसा किया और अब वे सब कर्ज में डूब चुके हैं। हरियाणा के निर्वासित लोगों में 16 करनाल के, 14 कैथल के, 5 कुरूक्षेत्र के और एक पानीपत से है।

हरियाणा के इन लोगों के अलावा पंजाब, हैदराबाद, गुजरात और गोवा के युवक भी हैं। जनवरी 2025 से अब तक लगभग 2500 भारतीय नागरिकों को अमेरिका निर्वासित कर चुका है। पश्चिमी देशों में जाने के गैर कानूनी डंकी रूट की दिल दहला देने वाली कहानियां हर बार सामने आती हैं। डंकी रूट अवैध प्रवासियों के लिए बहुत खतरनाक रास्ता है। जहां सुरक्षा की गारंटी बहुत कम होती है। अमे​रिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सख्त नीतियों के चलते यह रूट अब युद्ध क्षेत्र जैसा हो गया है। इस तरह की घटनाएं अक्सर राज्यभर में रिपोर्ट की जाती हैं जिससे जांचकर्ता वीजा एजैंटों, बिचौलियों और सूत्रधारों (मानव तस्करी के दायरे में ‘डंकर’) का पीछा करते हैं जो कई देशों में परिष्कृत कार्टेल के भीतर काम करते हैं। सितंबर 2023 के लिए यूनाइटेड स्टेट्स कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन (यूएससीबीपी) के डेटा से पता चलता है कि 2019-20 से भारतीय अवैध प्रवासियों में पांच गुना वृद्धि हुई है। अक्तूबर 2022 और सितंबर 2023 के बीच 96,917 लोगों को पकड़ा गया, जबकि 2019-20 में यह संख्या 19,883 थी। इन आंकड़ों से भी दुस्साहसी लोगों की मुसीबतों का अनुमान नहीं लगाया जा सकता।

भारतीय सिनेमा भी इन मुसीबतों का मामूली हिस्सा ही दिखला पाया है। माल्टा नौका कांड की पीड़ा को परिवार आज तक झेल रहे हैं। जिनके बच्चे समुद्र की लहरों में बह गए और अदालतों के चक्कर में पूरा केस ही ​छिन्न-भिन्न हो गया और उन्हें आज तक न्याय नहीं मिला। 3 साल पहले गुजरात के दो परिवार कनाडा से अमेरिका में घुसने की कोशिश में मारे गए, जिनमें एक तीन साल का बच्चा भी था। बर्फीले तूफान में उनकी मौत ने कठोर से कठोर दिलों को भी झकझोर कर रख दिया। इसके बावजूद युवाओं में विदेश जाने की ललक कम नहीं हुई। एक रिपोर्ट बताती है कि डंकी रूट से अमेरिका जाने वाले 10 से 12 प्रतिशत लोग या तो कुदरती मुश्किलों को झेलते हुए मर जाते हैं या फिर रास्ते में ही माफिया के हाथों मारे जाते हैं। मानव तस्कर अवैध प्रवासियों को अमेरिका ले जाने के लिए प्रति व्यक्ति लगभग 50 हजार से 1 लाख डॉलर (40 लाख से 80 लाख रुपये) वसूलते हैं। शाहरुख खान की फिल्म 'डंकी' भी इसी 'डंकी रूट' पर बेस्ड थी। जिसे हजारों भारतीय हर साल अमेरिका, ब्रिटेन या किसी दूसरे यूरोपीय देश पहुंचने के लिए अपनाते हैं।

यह रूट कई देशों से होकर गुजरता है। जिनमें पनामा, कोस्टा रिका, अल साल्वाडोर और ग्वाटेमाला जैसे मध्य अमेरिकी देश शामिल हैं। यहां भारतीय नागरिकों को आसानी से वीजा मिल जाता है। मैक्सिको और दक्षिण अमेरिका के बीच में स्थित ये देश मैक्सिको के रास्ते अमेरिका में घुसने वाले अवैध प्रवासियों के लिए इंट्री गेट के तौर पर काम करते हैं। इस खतरनाक यात्रा में दो साल तक का समय लग जाता है। और इसमें कई जोखिम भी शामिल हैं। जिनमें डकैती, गंभीर चौटें, महिलाओं के साथ रेप और आपराधिक गिरोहों के हाथों मौत भी शामिल हैं। अमेरिका-मैक्सिको सीमा पर प्रवासी महिलाओं और लड़कियों को बड़े पैमाने पर यौन हमलों का सामना करना पड़ता है। अक्सर इन घटनाओं को रिपोर्ट नहीं किया जाता और इसमें शामिल आरोपियों को कोई सजा भी नहीं मिलती। यह अवैध प्रवासियों के ​लिए अमेरिका पहुंचने के लिए एकमात्र रास्ता नहीं है। यह प्रवासी कनाडा के रास्ते भी अमेरिका में घुसते हैं। इसके अलावा भारतीय ब्राजील को भी अमेरिका पहुंचने के लिए ट्रांसिट रूट की तरह इस्तेमाल करते हैं।

विदेश जाने के जुनून के मूल में समाज में जड़े जमाएं बैठी सामा​जिक बुराईयां भी कम नहीं हैं। फर्जी एजैंट इसी पागलपन का फायदा उठाकर अरबों रुपए का सिडिंकेट चला रहे हैं। लोगों को इस बात का अहसास होना चाहिए कि विदेश जाना है तो केवल कानूनी तरीकों से ही जाए। एजैंटों को भुगतान करने से पहले उनकी जांच कर लें। उनके झूठे वादों में न फंसे। अवैध प्रवास जीवन तो बर्बाद करता ही है इससे भारतीय भी बदनाम हो रहे हैं। भारतीयों की छवि पर आंच आने से विदेश में वैध तरीके से गए भारतीयों को भी संदेह की दृष्टि से देखा जाता है क्योंकि ​वहां के समाज में गलत संदेश पहुंच चुका है। डंकी रूट महत्वकांक्षाओं और मुसीबत का जटिल मिश्रण है। हैरानी की बात तो यह है कि इतने हादसे होने के बावजूद जान की कीमत पर भी युवा पीढ़ी डंकी रूट अपनाने के लिए तैयार हो जाती है।

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Aditya Chopra

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