देवता को लगाना था भोग, बेरहम बाप ने 20000 में बेटे को बेचा; रुला देगी ये कहानी
Father Sold Son: राजस्थान के बूंदी से एक 12 साल के मासूम की दिल दहला देने वाली कहानी सामने आई है। यहां एक पिता ने पैसों के लिए अपने 12 साल के मासूम बेटे को बंधुआ मजदूर के तौर पर अपने एक रिश्तेदार को सौंप दिया। दरअसल, पिता को गांव में एक देवता को भोग लगाने के लिए पैसों की जरूरत थी। लेकिन उसकी जेब में एक भी पैसा नहीं था। फिर उसने सोचा कि क्यों न अपने बेटे को 10 महीने के लिए गिरवी रख दिया जाए। फिर क्या, उसने पैसों के लिए अपने बेटे का ऐसा सौदा कर दिया।
20,000 में बेटे को बेचा
अधिकारियों ने बताया कि 12 साल के एक लड़के को उसके पिता ने 20 हजार रुपये में बंधुआ मजदूरी के लिए 10 महीने के लिए एक रिश्तेदार को सौंप दिया था। हालांकि, लड़का भागने में कामयाब रहा और उसे बूंदी रेलवे स्टेशन से छुड़ाया गया। जांच में पता चला कि उसका पिता अपने गांव में एक देवता को भोग लगाना चाहता था। इसके लिए उसे 20 हजार से 25 हजार रुपये की जरूरत थी। इसलिए उसने लड़के को अपने रिश्तेदार को सौंप दिया, जो बूंदी में पॉप आर्ट मूर्तियां बनाता था। चाइल्डलाइन 1098 के जिला समन्वयक रामनारायण गुर्जर ने बताया कि बूंदी चाइल्डलाइन को गुरुवार को जयपुर कंट्रोल रूम से सूचना मिली कि बूंदी रेलवे स्टेशन पर एक बालक बैठा है। वह उदयपुर जाना चाहता था। उन्होंने बताया कि वे और काउंसलर मंजीत मौके पर पहुंचे और बालक को छुड़ाया। उसे बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के समक्ष पेश किया गया।
9 से शाम 6 बजे तक बच्चे से कराते थे काम
बूंदी सीडब्ल्यूसी की अध्यक्ष सीमा पोद्दार ने बताया कि बालक को 21 जून को बूंदी लाया गया था। उससे सुबह 9 से शाम 6 बजे तक काम कराया गया। उन्होंने बताया कि बालक वहां काम नहीं करना चाहता था। चूंकि उसके पिता ने पैसे ले लिए थे, इसलिए वह घर नहीं लौट सका। गुरुवार को बालक ने भागने का फैसला किया और बूंदी रेलवे स्टेशन पहुंच गया। उसने एक अजनबी से मदद मांगी और अपनी मां को फोन किया।
बच्चे को मिली आर्थिक सहायता
मानव तस्करी निरोधक इकाई, श्रम विभाग और चाइल्डलाइन की टास्क फोर्स बालक को छुड़ाने में जुटी थी। रिश्तेदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। बूंदी एसडीएम एचडी सिंह ने भी राजकीय किशोर गृह का दौरा किया और बालक से बात की। उन्होंने बयान दर्ज किए और मामले की गंभीरता को देखते हुए शुक्रवार को बंधुआ मजदूरी से मुक्ति का प्रमाण पत्र जारी करने की मंजूरी दे दी। प्रमाण पत्र के आधार पर बच्चे को तत्काल 30 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
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