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सत्य की ज्योतिषीय ज्योति से प्रेरित राम राज्य का स्वप्न

05:00 AM Sep 24, 2025 IST | फिरोज बख्त अहमद

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम एक ऐसे प्रतीक हैं जो सत्य, धर्म और न्याय की मूर्ति हैं। आजकल हर जगह आयोजित हो रही रामलीलाओं में हमें राम के जीवन के विभिन्न पहलुओं को जानने का अवसर मिलता है। महात्मा गांधी ने रामायण को न केवल धार्मिक ग्रंथ के रूप में अपनाया, बल्कि जीवन के नैतिक सिद्धांतों की आधारशिला बनाया। दूसरी ओर, भगवान राम की जन्म कुंडली ज्योतिषीय दृष्टि से एक दुर्लभ संयोग प्रस्तुत करती है जो उनके जीवन की दिव्यता और नेतृत्व क्षमता को प्रतिबिंबित करती है। महात्मा गांधी की भगवान राम के प्रति राय सत्य और अहिंसा की गहन खोज थी जो रामायण को जीवन का दर्शन बना देती है। वहीं, राम की जन्म कुंडली एक दिव्य ब्लूप्रिंट है जो उनके गुणों को ज्योतिषीय प्रमाण देती है। दोनों का मेल हमें एक ऐसे समाज की कल्पना कराता है जहां राम राज्य न केवल स्वप्न हो, बल्कि वास्तविकता सत्य की ज्योति से रोशन। गांधी जी की तरह, यदि हम राम की कुंडली के संदेश को अपनाएं तो राम राज्य साकार हो सकता है।

हालांकि शायर-ए-मशरिक, सर डा. मुहम्मद इकबाल ने तो मर्यादा पुरुषोत्तम राम को इमाम-ए-हिंद की उपाधि दी थी। यही नहीं, उर्दू शायरों ने तो श्री राम, योगिराज कृष्ण जी आदि के अतिरिक्त सभी हिंदू पर्वों पर कविताएं, गजलें आदि लिखी हैं, जिनको हर समुदाय में पसंदीदगी की निगाह से देखा गया है और देखा जा रहा है। सदा से ही रामलीलाओं में सभी प्रकार के पात्र, मुस्लिमों में से भी बनते चले आए हैं। मुगलों के दौर में दशहरे में राम लीला की चौपाईयां फारसी और उर्दू में बोली जाती थीं। शहंशाह बहादुर शाह जफर हर होली को ‘जश्न-ए-गुलाबी’ कर मनाते थे और दीपावली को ‘जश्न-ए-चिरागां’ के नाम से मनाया करते थे। होली ठिठोली की टुकड़ियां लाल किले के पिछले भाग पर आती थीं और सबसे ‘मूर्ख’ टुकड़ी को इनाम में सोने की गिन्निययां दी जाती। दीपावली के अवसर पर लाल किले पर जो जबरदस्त आतिशबाजी होती थी, उसे देखने के लिए शहजादियों को कुतुब मीनार के ऊपर भेजा जाता था। हमारी साझा विरासत आज भी जारी है। आयरलैंड के नामचीन कवि, विलियम बटलर येट्स ने अपनी कई बहु-चर्चित कविताओं को श्री राम से प्रेरणा ले कर रचा था। हालांकि वे पक्के रोमन कैथोलिक ईसाई थे, मगर श्री राम के लिए एक खास स्थान था उनके मन में।

गांधी जी ने राम को 'सत्य' का पर्याय माना। उनके अनुसार, "मेरी बुद्धि और हृदय भगवान के सर्वोच्च गुण और नाम को सत्य के रूप में पहचान चुका है लेकिन मैं सत्य को राम के नाम से पुकारता हूं।" गांधी जी की राम-भक्ति में कोई संकीर्णता नहीं थी। वे राम को सभी का भगवान मानते थे। एक बार उन्होंने कहा-राम सबके भगवान हैं। एक मुसलमान को राम का नाम लेने में कोई आपत्ति क्यों होनी चाहिए? लेकिन वे रामनाम को भगवान का नाम मानने के लिए बाध्य नहीं हैं। यह दृष्टिकोण उनकी समावेशी समरसता की विचारधारा को दर्शाता है। 1921 में जब वे अयोध्या पहुंचे तो राम मंदिर में प्रार्थना की। उन्होंने रामायण और गांधी दोनों का अध्ययन किया था। रामायण ने गांधी जी को सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य, स्वदेशी, स्वराज और अस्पृश्यता उन्मूलन जैसे सिद्धांत दिए। राम का वनवास उनके लिए सत्याग्रह का प्रतीक था-एक ऐसा त्याग जो अन्याय के विरुद्ध खड़ा होता है। अब बात करते हैं भगवान राम की जन्म कुंडली की जो वाल्मीकि रामायण के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष नवमी को (राम नवमी) है। प्रख्यात लेखक और ज्योतिषी डॉ. जे.पी. शर्मा त्रिखा ने भगवान राम की जन्म कुंडली का गहराई से अध्ययन किया है। वे कहते हैं कि ज्योतिषीय दृष्टि से भगवान राम की कुंडली एक असाधारण है जो राम के मर्यादा पुरुषोत्तम स्वरूप को प्रमाणित करती है।

राम का जन्म त्रेता युग में अयोध्या में हुआ और उनकी कुंडली में लग्न कर्क राशि है। लग्नेश चंद्रमा अपनी स्वराशि कर्क में स्थित है जो भावनात्मक स्थिरता और जनकल्याण की भावना प्रदान करता है। गांधी जी राजधानी के वाल्मिकी मंदिर में 214 दिनों तक रहे थे, 1 अप्रैल 1946 से 10 जून 1947 तक। डॉ. जे.पी. शर्मा त्रिखा ने इसी जगह पर जाकर भगवान राम की जन्म कुंडली का अध्ययन करना शुरू किया था। वे मानते हैं कि गांधी जी भगवान राम के बारे में एक नई सोच प्रदान करते हैं। भगवान के जीवन पर लिखी अपनी किताब में डॉ. जे.पी. शर्मा त्रिखा कहते हैं कि राम की कुंडली की सबसे उल्लेखनीय विशेषता पांच ग्रहों का उच्च स्थान है : सूर्य, मंगल, गुरु, शुक्र और शनि। लग्न में गुरु (छठे और 9वें भाव का स्वामी) और चंद्रमा का योग है जो परस्पर चतुर्थ भाव में होने से राज योग बनाता है। यह योग न्याय, धर्म और नेतृत्व की क्षमता देता है। सूर्य मेष राशि में उच्च का है। मंगल वृश्चिक में स्वराशि और उच्च का, जो युद्ध कौशल (रावण वध) को दर्शाता है लेकिन अहिंसा के सिद्धांत से संयोजित। गुरु कर्क में उच्च का, जो बुद्धि और नैतिकता का स्रोत है। शुक्र तुला में स्वराशि और उच्च का, जो कला, प्रेम और मर्यादा को मजबूत करता है-सीता के प्रति राम की निष्ठा इसी का फल है। शनि तुला में उच्च का, जो धैर्य और न्याय का प्रतीक है।

यह कुंडली पांच ग्रहों के उच्च होने से 'पंच महापुरुष योग' जैसी संरचना प्रस्तुत करती है, जो अवतारी पुरुष के लिए दुर्लभ है। चंद्रमा की स्वराशि स्थिति जनसेवा की भावना जगाती है, जबकि गुरु का लग्न में होना धर्म की रक्षा का संकेत है। राम की कुंडली में कोई दोष नहीं न पापकर्तरी योग, न कालसर्प। यह एक परिपूर्ण कुंडली है जो उनके जीवन की घटनाओं (वनवास, रावण वध, राज्याभिषेक) को ज्योतिषीय रूप से वैध बनाती है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, यह जन्म तिथि सूर्योदय के समय हुई, जो कुंडली को और मजबूत करती है। गांधी जी की राम-भक्ति उनकी कुंडली के गुणों से प्रेरित लगती है। राम की कर्क लग्न वाली कुंडली में चंद्रमा-गुरु योग अहिंसा और सत्याग्रह का आधार है जो गांधी जी ने अपनाया। राम का उच्च शनि धैर्य सिखाता है, जो गांधी जी के सत्याग्रह आंदोलनों में दिखा-सॉल्ट मार्च हो या असहयोग। राम राज्य का गांधीवादी स्वप्न इसी कुंडली की ऊर्जा से जुड़ता है : उच्च गुरु न्याय का प्रतीक है जो राम राज्य में सबके लिए समानता सुनिश्चित करता है। गांधी जी ने राम को 'सत्य का अवतार' कहा और राम की कुंडली में उच्च सूर्य (आत्मा का कारक) सत्य की ज्योति जलाता है।

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