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पंजाब में छुट्टियों की छुटटी को लेकर हिंदू और सिखों की भौहें तनी...

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02:23 PM Dec 29, 2017 IST | Desk Team

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लुधियाना-अमृतसर : पंजाब सरकार द्वारा सरकारी छुटिटयों में कटौती करने के नोटिफिकेशन वाले फैसले का विरोध करते हुए शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान गोविंद सिंह लौंगोवाल ने वार्षिक छुट्टियों की सूची में खालसा सुज्जान दिवस (बैसाखी) की प्रवाणित छुटटी खत्म करके आरक्षित छुटिटयों में शामिल करने की निंदा की है। जबकि पंजाब के हिंदुओं ने महाशिवरात्रि पर्व पर सरकारी छुट्टी रद्द करने पर भडक़ते हुए कांग्रेस सरकार को हिंदु विरोधी करार देते हुए निंदा की है। लुधियाना में शिव वैल्फैयर सोसायटी के सदस्यों ने घंटा घर के नजदीक रेलवे स्टेशन के बाहर पंजाब सरकार का पुतला फूंक कर हिन्दूओ की भावनाओ से खिलवाड़ करने के आरोप लगाए।

रोष प्रर्दशन में शिव सेना पंजाब के राजीव टंडन व महासचिव अमर टक्कर विशेष तौर पर शामिल हुए। सोसायटी अध्यक्ष बिट्टू गुंबर व चेयरमैन अश्वनी त्रेहण ने आरोप लगाया कि छुट्टियां कम करने की आड़ में राज्य सरकार ने शिवरात्रि पर्व की छुट्टी रद्द कर करोड़ों हिन्दुओ की आस्था पर कुठाराघात किया है। उन्होने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर कांग्रेस सरकार ने छुट्टी रद्द करने के फैसले पुर्नविचार न किया तो हिन्दू समाज आगामी नगर निगम चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारों को बायकाट कर सबक सिखाएगा। बिट्टू गुंबर ने राज्य के मुख्यमंत्री सवाल किया कि शिवरात्रि के साथ साथ बंसत पंचमी, भगवना परशुराम जंयति जैसे हिन्दुओ के पावन त्यौहारों पर ही सरकारी छुट्टियां रद्द करके सनातन संस्कृति का अपमान क्यों किया जा रहा है।

उधर अमृतसर में एसजीपीसी के प्रधान ने खालसा सुज्जान दिवस को पुन: गस्टिड छुटिटयों में शामिल किए जाने की मांग की है। लौंगोवाल ने कहा कि श्री गुरू गोबिंद सिंह जी ने 1699 इस्वी में बैसाखी के दिन खालसा पंथ की नींव रखी थी और खालसा पंथ इस दिवस को अपने जन्म उत्सव के रूप में मनाता आया है। सिखों की बहुगिनती वाले सूबे पंजाब में इस दिन की प्रमाणिकता छुटटी बंद कर देने किसी भी तरह से उचित नहीं है। उन्होंने सात समुद्र पार कनाडा सरकार का हवाला देते हुए कहा कि वहां की संसद ने खालसा सुज्जान दिवस के दिन को गस्टिड छुटटी में बहाल किया है।

इसके साथ ही शिरोमणि कमेटी के प्रधान ने यह कहा कि 9वे पातशाह श्री गुरू तेग बहादुर जी की शहादत धर्म की रक्षा के लिए हुई है। उन्होंने अपना शीश न्यौछावर करके समय की हुकमूत के विरूद्ध जबरी तौर पर करवाए जा रहे धर्म परिवर्तन को रोका। उनके शहीदी दिवस के दिन को आरक्षित छुटटी और गुरू ग्रंथ साहिब जी के पहले प्रकाश पर्व समेत श्री गुरू रामदास जी के प्रकाश पर्व को भी आरक्षित छुटटी के स्थान पर गस्टिड छुटटी करने की मांग की है। उल्लेखनीय है कि 2 दिन पहले कैप्टन सरकार ने पूर्व अकाली भाजपा सरकार की दी गई 35 छुटिटयों के मुकाबले केवल 18 छुटिटयां की है। श्री गुरू तेग बहादुर साहिब के शहीदी पर्व, शहीद-ए-आजम भगत सिंह की शहीदी दिवस और कबीर जयंती समेत महाशिवरात्रि जैसी छुटिटयों को अब गस्टिड छुटिटयों की बजाएं आरक्षित छुटिटयों में शामिल कर दिया है। सरकारी कर्मचारियों को यह आरक्षित छुटियों में से 2 की बजाए अब 5 छुटिटयां लेने की छूट है। पंजाब सरकार द्वारा गस्टिड छुटिटयों की संख्या 18 है जबकि आरक्षित छुटिटयों की संख्या 36 है।

इसी संबंध में अकाल तख्त के सिंह साहिब जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने कहा कि पंजाब सरकार की ओर से जो नए वर्ष की छुट्टियों संबंधी सूची जारी की है उस में बहुत सारे सिख धर्म के साथ पवित्र दिनों को होने वाली छुट्टियों को खत्म कर दिया गया है। जो बहुत ही निंदनीय बात है। पंजाब सरकार को कहा जाता है कि गुरु साहिब के साथ संबंधित पवित्र दिनों की छुट्टियां बहाल की जाए। गुरु साहिब के प्रकाश पर्वों व शहीदी दिनों की छुट्टियां राष्ट्रीय स्तर पर एलान की जानी चाहिए।

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– रीना अरोड़ा

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