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महंगी पड़ेगी यहूदियों से लड़ाई, अब सीरिया के इस समुदाय से टकराएगा इजराइल

05:44 PM Jul 15, 2025 IST | Amit Kumar
सीरिया

सीरिया में बशर अल-असद के सत्ता से बेदखल होने के बाद भी देश में अशांति पूरी तरह खत्म नहीं हुई है. हाल ही में ड्रूज़ समुदाय की बहुसंख्या वाले प्रांत स्वीदा में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी. इस संघर्ष में ड्रूज़ और सरकार समर्थक बेदौइन समुदाय के बीच झड़पें हुईं, जिनमें करीब 100 लोगों की जान चली गई.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले अप्रैल में भी ड्रूज़ लड़ाकों और सीरियाई सेना के बीच टकराव हुआ था. इस बढ़ती हिंसा को लेकर इजराइल ने चिंता जताई है. इजराइली रक्षा मंत्री इसराइल काट्ज़ ने कहा कि उन्होंने सीरिया में सैन्य ठिकानों पर हमला करके यह संदेश दिया है कि ड्रूज़ समुदाय को कोई नुकसान नहीं पहुंचने दिया जाएगा.

इजराइल ने क्यों दिया दखल?

ड्रूज़ समुदाय की रक्षा को लेकर इजराइली सेना ने स्वेदा प्रांत के अल-सामी गांव में कुछ टैंकों पर बमबारी की. इजराइल पहले ही चेतावनी दे चुका है कि अगर ड्रूज़ पर खतरा मंडराया तो वह हस्तक्षेप करेगा. इजराइली सेना का कहना है कि वह अपने कब्जे वाले गोलान हाइट्स से सटे क्षेत्रों में सीरियाई सेना की मौजूदगी नहीं चाहती. कुछ एक्सपर्ट मानते हैं कि इजराइल इस बहाने अपनी सीमा से सीरियाई सैन्य मौजूदगी हटवाना चाहता है.

कौन है ड्रूज़ समुदाय ?

ड्रूज़ एक धार्मिक और सांस्कृतिक अल्पसंख्यक समुदाय है जो मुख्य रूप से सीरिया, लेबनान, इजराइल और जॉर्डन में रहता है. सीरिया में इनकी आबादी लगभग 7 लाख है. यह समुदाय न तो पूरी तरह इस्लामिक है और न ही ईसाई; बल्कि यह दोनों के बीच की एक अलग धार्मिक परंपरा का पालन करता है.

कैसे बना ड्रूज़ धर्म?

ड्रूज़ धर्म की शुरुआत 11वीं सदी में हुई थी, जब मिस्र के फातिमी खलीफा अल-हाकिम बि-अम्र अल्लाह के शासन में इस विचारधारा का विकास हुआ. इस धर्म में एकेश्वरवाद (सिर्फ एक ईश्वर में विश्वास) के साथ-साथ गुप्त धार्मिक ज्ञान को बहुत महत्व दिया जाता है.

धर्म की खास बातें

इजराइल की दिलचस्पी क्यों?

इजराइल का मानना है कि ड्रूज़ समुदाय को बचाना उसकी नैतिक जिम्मेदारी है, खासकर उन क्षेत्रों में जो उसकी सीमा के करीब हैं. इसके अलावा, ड्रूज़ इजराइल में भी रहते हैं और वहां की सेना में भी सेवा करते हैं, जिससे उनके प्रति इजराइल का झुकाव और गहरा हो जाता है.

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