W3Schools
For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

‘साम्राज्यों की कब्रगाह’, जहां महाशक्तियों ने भी कब्जा करना चाहा , फिर भी नहीं टिक पाए इसके सामने...

01:10 PM Sep 28, 2023 IST | Ritika Jangid
‘साम्राज्यों की कब्रगाह’  जहां महाशक्तियों ने भी कब्जा करना चाहा   फिर भी नहीं टिक पाए इसके सामने

दुनिया में महाशक्तियों से कोई ही ऐसा देश होगा जो बच पाया होगा। क्योंकि जहां भी महाशक्‍त‍ियों ने कब्जा करना चाहा वहां अपनी ताकत के दम पर उन सभी देशों को तबाह कर डाला है। लेकिन दुनिया में आज भी एक ऐसा देश है जहां बड़ी-बड़ी महाशक्तियों जैसे ब्रिटेन, अमेरिका और रूस ने कब्जा करने की कोशिश कि लेकिन नाकाम रहीं।

Advertisement

Advertisement

हम बात कर रहे हैं अफगानिस्तान की जहां तालिबान का राज रहता है, जहां इंसानों को सामान्य अधिकारों के लिए भी लड़ना पड़ता है। यहां बड़े देशों ने इसपर कब्जा करने की कोशिश की लेकिन वे सब नाकाम रहे हैं। इसलिए ही इस देश को ‘साम्राज्यों की कब्रगाह’ कहा जाता है।

Advertisement

बता दें, अफगानिस्तान के फिर से चर्चा में आने का कारण चीन के अपने राजदूत को वहां भेजने के साथ शुरु हुई। क्योंकि चीन ऐसा पहला देश है, जिसने तालिबान की सत्ता आने के बाद अपने राजनय‍िक तैनात किए हैं। वहीं इसके इतिहास की बात करे तो, 19वीं सदी में, जब किसी भी देश को अपने कब्जे में लेना ब्रिटिश हुकूमत के लिए खेल हुआ करता था।

उस वक्त उन्होंने अफगान‍िस्‍तान पर हमला किया। उस दौरान उन्होंने 1839 से 1919 के बीच तीन बार इस देश में अपने सैनिक भेजे, लेकिन तीनों ही बार ब्रिट‍िश साम्राज्‍य को मात मिली थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ जनजातियों ने बेहद सामान्य हथियारों से दुनिया की सबसे ताकतवर सेना का मुकाबला किया और उन्‍हें बर्बाद कर दिया।

जिसके बाद सोविय संघ ने 1979 में अफगानिस्तान पर कब्जा करने की कोशिश की। बता दें, रूस की मंशा थी कि 1978 में तख़्तापलट करके बनाई गयी कम्युनिस्ट सरकार को गिरने से बचाया जाए. लेकिन उन्हें ये समझने में दस साल लगे कि वे ये युद्ध जीत नहीं पाएंगे। हालांकि देखने बाली बात है कि ब्रिटिश हुकूमत और सोवियत संघ अफगान‍िस्‍तान पर हमले के बाद से ही बिखरने लगे और उनकी शक्‍त‍ि कम होने लगी।

दो बड़ी महाताकतों के बाद एक और बड़ी महाताकत अमेरिका ने भी ‘साम्राज्यों की कब्रगाह’ पर कब्जा करने की ठान ली। देखने वाली बात है कि अफगानिस्तान पर कब्जा करने के साथ ही वर्ल्‍ड ट्रेड सेंटर पर हमला हुआ था. इसके पीछे ओसामा बिन लादेन और अलकायदा का हाथ था।

अमेरिका को लगता था कि अफगान‍िस्‍तान में ताल‍िबान हुकूमत दोनों को पनाह दे रही है। इसल‍िए ताल‍िबान को सत्ता से बाहर करने के लिए साल 2001 में अमेरिकी सेना ने अटैक कर दिया। वहीं तालिबान से लड़ने के लिए अरबों डॉलर ख़र्च किए और बड़ी संख्या में सैनिक भेजे। लेकिन 20 साल तक चले युद्ध में लाखों लोगों की जान गई और हाथ कुछ नहीं आया। जिसके बाद अमेरिका को वहां की जमीन छोड़कर जाना पड़ा।

Advertisement
Author Image

Ritika Jangid

View all posts

Advertisement
Advertisement
×