सोशल मीडिया का विकास और इसका प्रभाव...
हमारी पीढ़ी एक ऐसी पीढ़ी है जिसके सामने बहुत विकास और परिवर्तन…
हमारी पीढ़ी एक ऐसी पीढ़ी है जिसके सामने बहुत विकास और परिवर्तन हाे रहा है। हमारे सामने पहले तो काले टिक-टिक डायल टेलीफोन से मोबाइल फोन आए।
सोशल मीडिया की शुरूआत 2000 के दशक में हुई। जिसमें ओरकुट, फेसबुक और माई स्पेस जैसे प्लेटफार्म मुख्य थे। धीरे-धीरे ट्विटर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और लिंक्डइन जैसे प्लेटफार्म की शुरूआत हुई। वर्तमान में टिक-टॉक, स्नैपचैट और यू ट्यूब युवाओं के बीच सबसे लोकप्रिय हैं। बदलते समय के चलते कई चुनौतियां भी आज खड़ी हो रही हैं।
शुरूआती दिनों में ये प्लेटफार्म केवल दोस्तों और परिवार से जुड़ने के लिए थे। आज ये प्लेटफाॅर्म मनोरंजन, व्यापार, ब्रांडिंग आैर शिक्षा के साधन बन गए हैं। एल्गोरिदम और एआई ने प्लेटफार्म को व्यक्तिगत और आकर्षक बनाया है। सोशल मीडिया पर बहुत से यू ट्यूब चैनल खुल रहे हैं। बहुत सी इन्फॉर्मेशन एक-दूसरे तक पहुंच रही हैं।
सोशल मीडिया के माध्यम से युवा विभिन्न विषयों पर नई जानकारी आैर अपडेट्स तुरन्त प्राप्त कर लेते हैं। करियर संबंधी सामग्री भी आसानी से पहुंच जाती है। यही नहीं सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्म जैसे इंस्टाग्राम, यू ट्यूब और टिक-टॉक ने युवाओं को अपनी रचनात्मकता दिखाने का मंच भी दे दिया है। डिजिटल आर्ट, फोटोग्राफी, लेखन और संगीत जैसे कौशल को निखारने का अवसर भी मिल रहा है। फ्रीलांस काम और बिजनेस इत्यादि भी सोशल मीडिया से जुड़े हैं। लेकिन यह भी सच है कि सोशल मीडिया के तहत जानकारियां एक-दूसरे को उपलब्ध कराना बहुत अच्छी बात है। घर से लेकर दफ्तर तक, हर छोटी उम्र से लेकर बड़ी उम्र तक हर कोई सोशल मीडिया न सिर्फ प्रयोग करता है बल्कि इसके लाभ उठाकर जानकारी एक-दूसरे तक तेजी से फैलाने के लिए भी काम करता है। मेटा हो या फेसबुक या इंस्टाग्राम ये सब वह प्लेटफार्म हैं जो लोगों को एक-दूसरे के साथ जोड़ने में मददगार है लेकिन सोशल मीडिया का दुरुपयोग किसी की भी सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है और तबाही ला सकता है। इसी पहलू को देखते हुए सोशल मीडिया को बच्चों की पहुंच से दूर करने के लिए आस्ट्रेलिया दुनिया का पहला देश है जिसने 16 साल तक की उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया प्रयोग करने पर बैन लगा दिया है। बैन भी केवल कागजी नहीं बल्कि आस्ट्रेलियाई संसद ने कानून पास कर दिया है। अब आस्ट्रेलिया में 16 साल से कम उम्र वाले बच्चे सोशल मीडिया का प्रयोग नहीं कर पायेंगे। अगर कोई बच्चा चोरी-छिपे इसका प्रयोग कर लेता है तो जिस कंपनी ने उसे यह सुविधा दी है उस पर भारी जुर्माना होगा।
हालांकि भारत हो या दुनिया का कोई और देश छोटी उम्र के लोग उत्सुकतावश सोशल मीडिया से जुड़कर भावनाओं में बह जाते हैं। छोटी उम्र की भावनाओं को शातिर लोग समझ जाते हैं और उन्हें अपना शिकार बना लेते हैं। ऐसे ही एक केस में निचले हाईकोर्ट ने 15 साल की एक लड़की को ब्लैकमेल करने वाले युवक काे जमानत नहीं देकर सराहनीय काम किया है। हमारा मानना है कि यह क्राइम रोका जाना चाहिए, यही देश के िहत में होगा। दरअसल सोशल मीडिया के माध्यम से अश्लील कंटेंट देखने और परोसने का काम करने वाले संगठन कम नहीं हैं। पोर्न फिल्में हो या अश्लील साहित्य उसे वायरल करने का काम जो संगठन या ग्रुप कर रहे हैं उनके लिए सजा भी तय होनी चाहिए तथा यह काम जल्दी से होना चाहिए।
मेरा यह मानना है कि टैक्नोलॉजी या हथियार जब तक नियंत्रण में है तब तक सही है लेकिन यह सच है कि पहुंच से बाहर होते ही ये घातक हो जाते हैं। देश की राजधानी दिल्ली में कुछ स्कूली बच्चों ने जो 16 साल से कम उम्र के थे, ने एक ग्रुप बना लिया और एक-दूसरे से चैट करते हुए अपनी ही कक्षा की एक लड़की की तस्वीर डालकर उसके शारीरिक अंगों के बारे में वायरल करना शुरू कर दिया। पुलिस तक मामला पहुंचा, तब कहीं जाकर यह ग्रुप बैन हुआ लेकिन यह सच है कि 16 साल की उम्र हो या बड़ी उम्र वाले किसी की सुरक्षा के साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्म से खिलवाड़ किये जाने की दर्जनोंं खबरें लोगों को चौंकाती रही हैं। एक बच्चे ने मोबाइल की मांग को लेकर अपने दोस्त के मोबाइल से अपनी मां को धमकी दी कि उसे मोबाइल दे दिया जाये वरना वह आत्महत्या कर लेगा। अगर ऐसी घटनाओं के उल्लेख करने लगे तो देश के अनेक कोनों से सैकड़ों खबरें सामने आ जाएंगी।