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चिटफंड के फंडे पर फंदा

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10:13 PM Feb 21, 2018 IST | Desk Team

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देशभर में लोगों की अमानत और रुपया फर्जी चिटफंड कंपनियों ने बहुत लूटा है। हर वर्ष किसी न किसी शहर से चिटफंड कंपनियों द्वारा लोगों का लाखों रुपया लेकर चम्पत होने की खबरें आती रहती हैं। यह गोरखधंधा गली, मोहल्लों से लेकर शापिंग मॉलों में बने ऑफिसों तक चलता है। गलियों-मोहल्लों के लोग कमेटियां लेकर भाग जाते हैं जबकि नामी-गिरामी कंपनियों के रातों-रात ऑफिस और बोर्ड ही गायब हो जाते हैं। शारदा, सहारा, रोजवैली आैर अन्य चिटफंड कंपनियों ने लाखों लोगों को अरबों रुपए की चपत लगाई। इन पौंजी कंपनियों के ठगों के तार राजनीतिज्ञों से जुड़े हुए पाए गए। इतना बड़ा घोटाला बिना राजनीतिक संरक्षण के हो ही नहीं सकता।

भारतीयों में बचत हर कोई करता है लेकिन लोगों को कहीं पैसा डबल करने का, कहीं ज्यादा ब्याज या लाभांश देने का झांसा देकर जनता को ठगा जाता है। शिकायत के बाद पुलिस सक्रिय होकर छापामारी करने के लिए निकलती ताे है लेकिन हाथ कुछ नहीं लगता क्योंकि कंपनी पंजीकरण के दौरान फर्जी पता ही दर्ज करवाती है। चिटफंड कंपनियां दूरदराज के इलाकों में फैले हजारों एजैंटों के नेटवर्क के जरिये धन उगाही करती हैं। एजैंट कमीशन के लालच में दूसरों को फंसाने का काम करते हैं। रियल एस्टेट कंपनियों के नाम पर भी लूट का धंधा जारी है। कुछ कंपनियों ने तो केवल महिलाओं को निशाना बनाया है। ये महिलाओं को स्वावलम्बी बनाने का ढिंढोरा पीट 5 वर्षों में राशि डबल कर देने का झांसा देकर महिलाओं के करोड़ों रुपए लेकर चम्पत हो चुकी हैं।

पौंजी कम्पनियो के बारे में मीडिया में बहुत कुछ प्रकाशित होता रहता है। पुलिस भी लोगों को बार-बार सतर्क करती है कि अपना निवेश सोच-समझ कर करें लेकिन लोग फिर भी झांसे में आ जाते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि राज्य सरकारों ने अब तक ऐसी कंपनियों के प्रति ढिलाई ही बरती है। भारत कोई चीन नहीं है, जहां ऐसा करने वालों को दंडित किया जाता है। वहां तो बैंक डिफाल्टरों को काली सूची में डाल दिया जाता है। न ताे वे विमान में सफर कर सकते हैं, लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन नहीं कर सकते और उन्हें प्रमोशन नहीं मिलता। उन्हें सरकारी नौकरी, स्थानीय विधायिका आैर राजनीतिक सलाहकार संस्थाओं में भी कोई जगह नहीं दी जाती। भारत में तो लाेग ठगी कर ऐशो-आराम की जिन्दगी जीते हैं। बैंक डिफाल्टर विदेश भाग जाते हैं और महंगे होटलों में विलासितापूर्ण जिन्दगी बिताते हैं। उधार लेकर उसे डकार जाना भारतीयों की फितरत बनता जा रहा है। ऐसा इसलिए होता गया क्योंकि नियमन को लेकर केन्द्र और राज्यों के बीच स्थिति साफ नहीं थी, इसलिए पौंजी स्कीमें चलती रहीं लेकिन मोदी सरकार ने कड़ा कदम उठाने का फैसला किया है। अब इन पर एक केन्द्रीय कानून लागू होगा ताकि पियरलेस, जीवीजी, कुबेर, हीलियम, शारदा जैसी कंपनियां फिर से जनता को न ठग सकें।

चिटफंड कंपनियों के फंडे पर फंदा डालना जरूरी है। नरेन्द्र मोदी मंत्रिमंडल ने इस सम्बन्ध में सख्त कानून का मसौदा तैयार कर लिया है और इसे मंजूरी भी दे दी है। अनरेगुलेटेड डिपाजिट स्कीम विधेयक 2018 को अगले सत्र में ही पारित कराने की कोशिश की जाएगी। देशभर में गैर-कानूनी तरीके से चलाई जाने वाली सभी तरह की पौंजी या जमा स्कीमों पर पाबंदी लगेगी और उन्हें चलाने वालों के खिलाफ बेहद सख्त कार्रवाई सुनिश्चित होगी। इन्हें चलाने वाले लोगों या कंपनियों की परि​सम्पत्तियों काे एक निश्चित समय अवधि में जब्त करने और उनके खिलाफ बड़ा जुर्माना लगाने का रास्ता भी साफ होगा। इसके साथ ही कैबिनेट ने देश में चिटफंड कारोबार को ज्यादा पारदर्शी व अनेक बेहतर तरीके से विस्तार के लिए चिटफंड संशोधन कानून 2018 बनाने के मसौदे को भी हरी झंडी दे दी है। चिटफंड चलाने वाले के कामकाज को ज्यादा पारदर्शी बनाने के लिए इनके तहत कामकाज के रिकॉर्ड के तरीके को बदला जा रहा है। चिटफंड कानून के तहत प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग करने और प्रक्रिया का सारा ब्यौरा सार्वजनिक करने जैसा प्रावधान किया गया है।

नया कानून यह सुनिश्चित करेगा कि पौंजी स्कीमों में फंसने वाले ग्राहकों की राशि नहीं चुका पाने वाली कंपनियों और उसके प्रमोटरों के खिलाफ जुर्माना भी लगे आैर उन्हें लम्बे समय तक जेल की हवा भी खानी पड़े। इन कंपनियों के एजैंटों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। इस कानून के तहत देश की जमा स्कीमों को लेकर एक डाटा बेस भी बनाया जाएगा। इसमें फ्रॉड करने के उद्देश्य से अगर कोई स्कीम लांच की जाती है तो उसका तुरन्त पता चल जाएगा। कानून बन जाने के बाद देश में पौंजी कम्पनियो पर पाबंदी लगाने वाला यह पहला कानून होगा। कानून तो पहले भी बनते रहे और बनते रहेंगे। सवाल यह है कि भारतीयों की फितरत कैसे बदले। न तो ठगी का बाजार बन्द हो रहा है और लुटने वाले निवेशकों की संख्या भी बढ़ रही है। अब तो लोगों का बैंकिंग व्यवस्था पर भी विश्वास डगमगाने लगा है। कानून तो बेहतर है लेकिन इसे लागू भी सख्ती से किया जाना चाहिए ताकि पौंजी कंपनियां अपना खेल न कर सकें।

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