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इज़राइल-फ़िलिस्तीन विवाद कभी समाप्त नहीं होगा!

04:20 AM Oct 22, 2025 IST | Firoj Bakht Ahmed

युद्ध विराम होने के बाद भी जिस प्रकार से इज़राइल ने पहले 100 और बाद में 45 फिलिस्तीनियों को बमों से गाजा में भून दिया उससे यह समस्या अत्यंत गूढ़ हो गई है। जिस प्रकार के संगीन हालात मध्य पूर्व एशिया में चल रहे हैं वे बड़े चिंताजनक हैं। इनको कई देश हल्के में ले रहे हैं। यदि इस विवाद को जल्दी ही समाप्त नहीं किया गया तो यह पूर्ण पश्चिमी एशिया को ही नहीं बल्कि विश्व को भी अपनी चपेट में ले सकता है। यहां हालात इतने भीषण हैं कि कभी भी विश्व युद्ध की चिंगारी यहां से उठ सकती है। उसका कारण यह है कि जहां फ़िलिस्तीन अपने देश पर इज़राइल द्वारा अनधिकृत कब्जे के लिए करो या मरो का संघर्ष कर रहा है, वहीं इज़राइल भी गाजा फिलिस्तीन पर अपनी धार्मिक विचारधारा, "गिडियंस चैरीयट" के अंतर्गत "ग्रेटर इज़राइल" बनाने को लेकर फिलिस्तीन, सीरिया, ईराक, जॉर्डन, सऊदी अरब आदि को ग़ैर कानूनी रूप से कब्जाना चाहता है। इस प्रकार से इन दोनों के बीच यह अपने-अपने अस्तित्व को बचाने को 78 वर्ष से युद्ध चल रहा है, जिसका अंत फ़िलहाल तो नजर नहीं आ रहा। बावजूद इसके कि दोनों में एक देश (फिलिस्तीन) अपने अधिकार को बचाने के यत्न में कुर्बानियां दिए चला जा रहा है और दूसरा देश (इज़राइल) उन लोगों की जमीन हथियाना चाह रहा है, जिन्होंने यहूदियों के ऊपर 1948 में इसलिए दया कर अपनी ज़मीन रहने को दे दी कि जर्मनी में हिटलर उनका नरसंहार कर रहा था। आज, अमेरिका की सहायता से उसी नरसंहार को फिलिस्तीनियों पर दोहरा रहा है इज़राइल। यह बड़ी भयानक समस्या है, जिस पर सभी अरब देश कुछ नहीं कर रहे हैं और पूर्ण विश्व भी, सिवाय ईरान के ऐसे चुप बैठा है मानो इन्हें सांप सूंघ गया हो। यह अलग बात है कि विश्व की अधिकतर जनता, फिलिस्तीन के साथ है, मगर उनकी हुकूमतें उनके साथ नहीं। दो वर्ष से ऊपर इस युद्ध नहीं, बल्कि नरसंहार में तीन लाख टन से अधिक बारूद फैंका गया है जिससे फिलिस्तीन में लाखों बच्चे, महिलाएं और युवा मर गए हैं और उससे पांच गुना अधिक अपाहिज हो चुके हैं। गाजा के पुनर्निर्माण में 25 वर्ष लगेंगे और 10 वर्ष तो केवल मलबा उठाने में लगेंगे। 20 वर्ष तक वहां कोई खेती नहीं की जा सकती और न ही खजूर के पेड़ लगाए जा सकेंगे। इस नरसंहार का सबसे वीभत्स और भयंकर पहलू यह था कि दुनिया ने देखा कि किस प्रकार से नरसंहार गोला-बारूद से ही नहीं, बल्कि निहत्थे मासूम लोगों को उनका भोजन रोक कर भुखमरी व अकाल की स्थिति पैदा की जाए, नवजात बच्चों को इन्फेंट फूड बंद कर लगभाग बीस हजार शिशुओं को समाप्त किया जाए और बड़ों को ढांचों में परिवर्तित किया जाए। हजारों लोग तो इसलिए मारे गए कि राफा बॉर्डर पर से सैंकड़ों खाद्य सामग्री के ट्रक इज़राइल ने नहीं आने दिए, जिनमें भारत के भी 75 ट्रक थे और देशों के भी ट्रक थे, जिनमें खाने का सामान सड़ने लगा है। इस जुल्म की दास्तां अमेरिका के पूर्व नेवी सील्स और ग्रीन बैरेट अमेरिकन सैनिक टोनी एग्विलार ने एक साक्षात्कार में बताई कि किस प्रकार से वहां पर अमेरिकन मदद से इजराइली सैनिक ज़ुल्म की नई कहानियां दर्ज कर रहे हैं। किस प्रकार से एग्विलारका हाथ और मुंह अमीर नामक एक फिलिस्तीनी बच्चे ने चूमा, जो 10 मील चल कर आया था और जिसे आईडीएफ के सैनिक ने गोली मार दी। टोनी ने अमेरिकन सेना की सेवा अफगानिस्तान, ईराक, लीबिया व अन्य देशों में की थी और उनको गाजा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन में सेवा के लिए बुलाया था। इस प्रकार की बहुत सी और भी दर्दनाक कहानियां हैं। इज़राइली सेना की प्रतिक्रिया जिसने राफ़ाह में इस्लामिक समूह के हमले के बाद 45 फ़िलिस्तीनियों को मार डाला, जिसमें दो इज़राइली सैनिक मारे गए। सेना ने युद्धविराम की बहाली की घोषणा की लेकिन अमेरिकी उपराष्ट्रपति वेंस ने कहा: "स्थिति बहुत जटिल है।" इज़राइली सेना ने आज क्रॉसिंग फिर से खोल दी, जबकि अमेरिकी विशेष दूत विटकॉफ और अमेरिकी राष्ट्रपति सलाहकार कुशनर के इज़राइल में आने की उम्मीद है। राफाह में हमास के हमलों के बाद इज़राइली सेना फिर से युद्धविराम लागू कर रही है लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि वह युद्धविराम समझौते का समर्थन तो करती रहेगी लेकिन "किसी भी उल्लंघन का कड़ा जवाब देगी।" यह घोषणा रविवार, 19 अक्तूबर को हुए एक और खूनी दिन के बाद आई है, जब इस्लामिक समूह और इज़राइल के बीच हुए हमलों में कम से कम 45 फ़िलिस्तीनी हताहत हुए और दो इज़राइली सैनिक मारे गए। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ज़ोर देकर कहा, "युद्धविराम अभी भी प्रभावी है," हालांकि अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस ने स्वीकार किया है कि "स्थिति बहुत जटिल और अस्थिर है," जिसके कारण वेंस, अमेरिकी विशेष दूत स्टीव विटकॉफ और ट्रम्प के सलाहकार जेरेड कुशनर आज या कल इज़राइल का दौरा करेंगे ताकि इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ युद्धविराम को बढ़ावा दिया जा सके। यह अमेरिकी दबाव ही है जिसके कारण इज़राइल ने गाजा क्रॉसिंग पर लगे प्रतिबंध हटा लिए हैं, जिनके आज सुबह मानवीय सहायता पहुंचने के लिए फिर से खुलने की उम्मीद है। इस बीच हमास मृत बंधकों के शवों को वापस लाने की जटिल प्रक्रिया जारी रखे हुए है, जिन्हें क्षेत्र में तबाही के बीच ढूंढना मुश्किल है। कल एक और शव मिला है और उम्मीद है कि उसे जल्द ही इज़राइली सेना को सौंप दिया जाएगा। इजरायल ने दक्षिणी लेबनान पर हमलों की धार तेज कर दी है। लेबनान के साथ नवंबर 2024 का युद्धविराम अब लगभग एक वर्ष पुराना हो चुका है, फिर भी इजराइल लगभग रोजाना हमले कर रहा है। एक्सपर्ट का अनुमान है कि गाजा में भी यही पैटर्न दोहराया जाएगा, यानी युद्धविराम के बावजूद छिटपुट लेकिन हमले जारी रहेंगे, यदि यह युद्ध नहीं रुका तो विश्व युद्ध की भी बड़ी संभावना है।

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