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भारत माता जय के नारे से हुई मेजर आशीष की अंतिम विदाई, आखिरी दर्शन के लिए लगी थी लम्बी भीड़

जम्मू और कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ के दौरान शहीद कर्नल मनप्रीत सिंह और मेजर आशीष का आज अंतिम संस्कार हुआ। बता दें की सबसे पहले शहीदों के पार्थिव शरीर को पैतृक गांव में लाया गया। दरअसल जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में आतंकी और सुरक्षा बलों के बीच हुई यह मुठभेड़ दो सेना और जम्मू कश्मीर के पुलिस अफसर शहीद हो गए थे।

01:51 PM Sep 15, 2023 IST | Hemendra Singh

जम्मू और कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ के दौरान शहीद कर्नल मनप्रीत सिंह और मेजर आशीष का आज अंतिम संस्कार हुआ। बता दें की सबसे पहले शहीदों के पार्थिव शरीर को पैतृक गांव में लाया गया। दरअसल जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में आतंकी और सुरक्षा बलों के बीच हुई यह मुठभेड़ दो सेना और जम्मू कश्मीर के पुलिस अफसर शहीद हो गए थे।

जम्मू और कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ के दौरान शहीद कर्नल मनप्रीत सिंह और मेजर आशीष का आज अंतिम संस्कार हुआ।  बता दें की सबसे पहले शहीदों के पार्थिव शरीर को पैतृक गांव में लाया गया। दरअसल जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में आतंकी और सुरक्षा बलों के बीच हुई यह मुठभेड़ दो सेना और जम्मू कश्मीर के पुलिस अफसर शहीद हो गए थे। जबकि गुरुवार के दिन भी दो जवानों के जख्मी होने के साथ-साथ करीब पांच लोग जवान घायल हो गए। 
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मेजर आशीष को दी देश वासियों ने अंतिम विदाई 
मेजर आशीष को अंतिम विदाई देने के लिए उनके घर के पास कई लोगों का जमावड़ा इक्कठ्टा हुआ।  मेजर आशीष का अंतिम  संस्कार उनके गांव बिंझौल में ही किया गया जहां पार्थिव शरीर को पहले पानीपत की आवाज पर लाया गया साथ ही अंतिम दर्शन के लिए जनशाला में बड़ा हुआ था इसके बाद से अन्य अधिकारी और परिवार वाले मेजर के पार्थिव शरीर को बिंझौल लेकर पहुंचे। इसके बाद वहां उनका राजकीय सम्मान किया गया। साथ ही आखिर में उन्हें अंतिम विदाई दी गई। बता दें की मेजर के अंतिम यात्रा को  पानीपत शहर के बीच बाजार से निकाला गया।  ताकि शहर वासी भी मेजर आशीष के अंतिम दर्शन कर सकें। 
मेजर के अंतिम दर्शन के लिए शमशान घाट के पेड़ों पर चढ़े गांव के लोग
बता दे कि मेजर आशीष के अंतिम विदाई के वक्त गांव के युवा मोटरसाइकिलों के जरिए पथ से शरीर के आगे जुलूस के रूप में चल रहे थे साथ ही मुख्य गलियों में तिरंगा भी लहरा रहे थे। मेजर आशीष के अंतिम विदाई पर गांव बिंझौल के शमशान घाट में लोगों की इतनी भीड़ लग गई, की  कोई पेड़ पर चढ़ गया था तो कोई शमशान घाट में बने कमरे की छत पर। मेजर आशीष की आखिरी विदाई पर अलग-अलग स्थानों पर फूलों की वर्षा करवाई गई, जहां परिजनों के चेहरे पर बेटे को  खोने का गम था तो वही देश के लिए शहीद होने का गर्व का एहसास भी था।
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