नाग वासुकी मंदिर का रहस्य महाकुंभ में आया सामने
नाग वासुकी मंदिर की पौराणिक कथा महाकुंभ 2025 में चर्चा में
महाकुंभ 2025 की तैयारियां जोरो-शोरो से चल रही हैं। महाकुंभ का मेला विश्वभर में प्रसिद्ध है। यह हर 12 वर्षों में एक बार आयोजित किया जाता है। बता दें आखिरी कुंभ का आयोजन 2013 में किया गया था। इस आज महाकुंभ पूरे 45 दिनों तक चलेगा। माना जाता है कि जो इस कुंभ के दौरान स्नान करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। वहीं जब से इस महाकुंभ की तैयारियां शुरू हुई हैं तभी से नाग वासुकी मंदिर भी काफी चर्चा में आ गया है। बता दें यह प्रयागराज में संगम के पास ही नाग वासुकी मंदिर हैं। लेकिन सवाल यह है कि नाग वासुकी मंदिर का संबंध महाकुंभ से कैसे जुड़ा है।
महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं की भक्ति
धर्म और आस्था की नगरी प्रयागराज में इस समय महाकुंभ की तैयारियां इन दिनों कफी चर्चा में है। इसकी तैयारियों के लिए कई नई तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। वहीं श्रद्धालुओं के रहने के लिए भी कई प्रकार की व्यवस्थाओं को भी सुनिश्चित किया जा रहा है। अब कुंभ को शुरू होने में जहां एक माह ही बचा है। वहीं कुंभ से जुड़ी कई रहस्यमई चीजें सामने आ रही है। जैसे नाग वासुकी मंदिर। जी हां इन दिनों नाग वासुकी मंदिर भी काभी चर्चा में आ रहा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुंद्र मंथन के बाद नागराज वासुकी ने यही पर विश्राम किया था। सावन महीने में यहां पर बड़ी संख्या में लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
महाकुंभ में नाग वासुकी मंदिर का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के बाद नागराज वासुकी ने यही पर विश्राम किया था। सावन महीने में यहां पर बड़ी संख्या में लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं। धर्म और आस्था की कुंभ नगरी प्रयागराज के संगम तट से उत्तर दिशा की ओर दारागंज के उत्तरी कोने पर अति प्राचीन नागवासुकी मंदिर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि प्रयागराज आने वाले श्रद्धालु और तीर्थयात्रियों की यात्रा तब तक अधूरी मानी जाती है, जब तक वह नागराज वासुकी के दर्शन न कर लें।
क्या है नागवासुकी मंदिर की कथा?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन में देवताओं और असुरों ने नागवासुकी को सुमेरु पर्वत में लपेटकर उनका प्रयोग रस्सी के तौर पर किया था। वहीं, समुद्र मंथन के बाद नागराज वासुकी पूरी तरह लहूलुहान हो गए थे और भगवान विष्णु के कहने पर उन्होंने प्रयागराज में इसी जगह आराम किया था। इस वजह से इसे नागवासुकी मंदिर कहा जाता है। कुंभ आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए यह मंदिर महत्व रखता है। इस मंदिर का दर्शन पूजन करने के बाद ही कुंभ तीर्थ सफल माना जाता है।
नागराज वासुकी मंदिर की शक्ति
ऐसा भी माना जाता है कि मुगल राज में जब मुगल बादशाह औरंगजेब भारत के मंदिरों को तोड़ रहा था तब वह नागराज वासुकी मंदिर को तोड़ने के लिए खुद वहां पंहुचा था। जब उसने मूर्ति पर भाला चलाया तक उसमें से दूध की धारा बेहने लगी और सीधा औरंगजेब के चेहरे पर पड़ी जिसके बाद वह वहीं बेहोश हो गया।