रानी लक्ष्मी बाई के पुत्र का रहस्य: जानिये उनका अज्ञात सफर
झालरापाटन से इंदौर तक: दामोदर राव का कठिन सफर
रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु के बाद उनके पुत्र दामोदर राव का जीवन बड़ी ही कठिनाइयों में बीता
रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु के बाद दामोदर राव जंगल में अपने गुरुओं के साथ घोर गरीबी में रहे
अंग्रेज़ों के डर से कोई उनकी मदद नहीं करता था और कई बार उन्हें खाना तक नहीं मिलता था
झालरापाटन पहुंचने के बाद उन्हें नन्हेखान से मुलाकात हुई। नन्हेखान ने ही दामोदर को मिस्टर फ़्लिंक से मिलवाया था
मिस्टर फ़्लिंक ने दामोदर की पेंशन की व्यवस्था की
अंग्रेज़ सरकार ने दामोदर से सरेंडर करने के लिए कहा
कई सिफ़ारिशों के बाद दामोदर को 200 रुपये प्रति महीना पेंशन मिलने लगी
दामोदर की चाची और उनकी असली मां ने 1860 में उनका विवाह करा दिया
किसी कारण से दामोदर की पहली पत्नी का निधन हो गया
दामोदर राव का उदासीन तथा कठिनाई भरा जीवन 28 मई 1906 को इंदौर में समाप्त हो गया