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वक्फ संशोधन कानून से बदलेगी तस्वीर

विपक्ष की चुनौती के बीच वक्फ कानून में बड़े बदलाव…

11:30 AM Apr 07, 2025 IST | Rohit Maheshwari

विपक्ष की चुनौती के बीच वक्फ कानून में बड़े बदलाव…

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षर के साथ ही यूपीए सरकार का 2013 का जमीन कब्जाओ वक्फ कानून इतिहास बन गया है। राज्यसभा में इस बिल पर करीब 13 घंटे तक चर्चा चली। यह विधेयक लोकसभा में करीब 12 घंटे तक चली मैराथन बहस के बाद पारित हुआ था। राज्यसभा में विधेयक को लेकर वैसे तो भारी हंगामा और विपक्ष के कड़े विरोध की उम्मीद थी, लेकिन लोकसभा में विधेयक पारित होने और सरकार की ओर से विधेयक को मुस्लिमों के हित में होने को लेकर जिस तरह के तर्क दिए गए, उससे शायद विपक्ष के हौसले थोड़े पस्त थे। यही वजह थी कि सदन में विधेयक पेश होने के दौरान विपक्ष ने किसी तरह की टोकाटाकी या शोरशराबे से भी परहेज किया। वक्फ वहीं, नए कानून को कांग्रेस, एआईएमआईएम और आम आदमी पार्टी (आप) ने अलग-अलग याचिकाओं के साथ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

वक्फ अरबी का शब्द है। इसका मतलब खुदा के नाम पर दी जाने वाली वस्तु या संपत्ति है। इसे परोपकार के उद्देश्य से दान किया जाता है। कोई भी मुस्लिम अपनी चल और अचल संपत्ति को वक्फ कर सकता है। अगर कोई भी संपत्ति एक भी बार वक्फ घोषित हो गई तो दोबारा उसे गैर-वक्फ संपत्ति नहीं बनाया जा सकता है। देश में पहला वक्फ अधिनियम 1954 में बनाया गया था। इसी के तहत वक्फ बोर्ड का गठन किया गया था। इसका मकसद वक्फ के कामकाज को सरल बनाना था। 1955 में पहला संशोधन किया गया। 1995 में नया वक्फ कानून बनाया गया था। इसके तहत राज्यों को वक्फ बोर्ड गठन की शक्ति दी गई। साल 2013 में संशोधन किया गया और सेक्शन 40 जोड़ी गई।

राज्यसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह भारत सरकार का कानून है जो सब पर बाध्य है और सभी को इसे स्वीकारना होगा। उन्होंने आंकड़ों के साथ गंभीरता की ओर इशारा करते हुए कहा कि 1913 से 2013 तक वक्फ बोर्ड की कुल भूमि 18 लाख एकड़ थी, जिसमें 2013 से 2025 के बीच 21 लाख एकड़ भूमि और बढ़ गई। इस 39 लाख एकड़ भूमि में 21 लाख एकड़ भूमि 2013 के बाद की है। उन्होंने कहा कि लीज पर दी गई संपत्तियां 20 हज़ार थीं, लेकिन रिकॉर्ड के हिसाब से 2025 में ये संपत्तियां शून्य हो गईं। उन्होंने कहा कि ये संपत्तियां बेच दी गईं। गृहमंत्री ने कहा कि कैथौलिक और चर्च संगठनों ने इस कानून को अपना समर्थन दिया है और 2013 के संशोधन को अन्यायी बताया है। देखा जाए तो इतनी संपत्ति के मालिक वक्फ बोर्ड की कानूनन जवाबदेही और पारदर्शिता अनिवार्य है। इतनी व्यापक मिल्कीयत बेहिसाबी नहीं रखी जा सकती। यही संवैधानिक स्थिति है।

वक्फ एक्ट में संशोधन को विपक्ष अपनी आदत के मुताबिक अनाश्यक बता रहा है। दरअसल, देशहित का हर सुधारवादी कदम विपक्ष की नजर में ऐसा ही है। लेकिन केंद्र सरकार के पास इसके लिए एक नहीं कई दमदार तर्क हैं। दरअसल, 2022 से अब तक देश के अलग-अलग हाईकोर्ट में वक्फ एक्ट से जुड़ी करीब 120 याचिकाएं दायर कर मौजूदा कानून में कई खामियां बताई गईं। इनमें से करीब 15 याचिकाएं तो खुद मुस्लिमों की तरफ से ही हैं। याचिकाकर्ताओं का सबसे बड़ा तर्क यह था कि एक्ट के सेक्शन 40 के मुताबिक, वक्फ किसी भी प्रॉपर्टी को अपनी प्रॉपर्टी घोषित कर सकता है। इसके खिलाफ कोई शिकायत भी वक्फ बोर्ड ट्रिब्यूनल में ही की जा सकती है और इस पर अंतिम फैसला ट्रिब्यूनल का ही होता है। आम लोगों के लिए वक्फ जैसी ताकतवर संस्था के फैसले के कोर्ट में चैलेंज करना आसान नहीं है।

याचिकाओं में जो मांगें मुख्य तौर पर रखी गयी थी उनमें भारत में मुस्लिम, जैन, सिख जैसे सभी अल्पसंख्यकों के धर्मार्थ ट्रस्टों और ट्रस्टियों के लिए एक कानून होना चाहिए। धार्मिक आधार पर कोई ट्रिब्यूनल नहीं होना चाहिए। वक्फ संपत्तियों पर फैसला सिविल कानून से हो, न कि वक्फ ट्रिब्यूनल से। अवैध तरीके से वक्फ की जमीन बेचने वाले वक्फ बोर्ड के मेंबर्स को सजा हो।इसके अलावा केंद्र सरकार का कहना है कि 2006 की जस्टिस सच्चर कमेटी की रिपोर्ट की सिफारिशों के आधार पर ही एक्ट में बदलाव किए जा रहे हैं। कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया था, ‘वक्फ की प्रॉपर्टीज के मुकाबले उनसे होने वाली कमाई बेहद कम है। जमीनों से 12,000 करोड़ रुपए की सालाना कमाई हो सकती थी, लेकिन अभी सिर्फ 200 करोड़ रुपए की कमाई होती है।’ इसके अलावा 8 अगस्त को लोकसभा में बिल पेश करते हुए संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था, ‘इस बिल का मकसद धार्मिक संस्थाओं के कामकाज में हस्तक्षेप करना नहीं है।

संशोधन बिल में ‘धर्मपरिवर्तन’ सरीखे प्रावधान भी जोड़े गए हैं। यदि किसी को मुसलमान बने अथवा इस्लाम धर्म कबूल किए 5 साल नहीं हुए हैं, तो वह अपनी संपत्ति ‘वक्फ’, यानी अल्लाह के नाम दान, नहीं कर सकेगा। इससे ‘धर्मपरिवर्तन’ की स्थिति भी साबित हो सकेगी। यह भी कानूनी मामला है। किसी शख्स के नाम पंजीकृत जमीन को ही वक्फ किया जा सकता है। सबसे अहम बदलाव यह होगा कि वक्फ बोर्ड की संपत्तियों और उनके खातों का ऑडिट भी होगा। यह केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकार-क्षेत्र में होगा। यह साफ करना जरूरी है कि वक्फ बोर्ड धार्मिक नहीं, प्रशासनिक निकाय है। संसद संशोधन कर सकती है। राज्यों के वक्फ बोर्ड में भी दो मुस्लिम महिलाएं जरूर होंगी। साथ ही शिया, सुन्नी और पिछड़े मुस्लिमों से भी एक-एक सदस्य को जगह देना अनिवार्य होगा। इनमें बोहरा और आगाखानी समुदायों से भी एक-एक सदस्य होना चाहिए।

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