खोखले नारों और सच्ची नीयत में फर्क जनता ने देखा: धर्मेंद्र प्रधान
सच्ची नीयत और खोखले नारों की पहचान: प्रधान
धर्मेंद्र प्रधान ने जातीय जनगणना के फैसले पर केंद्र सरकार की सराहना करते हुए कहा कि यह कदम सर्व समाज के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि नेहरू और राजीव गांधी ओबीसी आरक्षण के खिलाफ थे। प्रधान ने यह भी बताया कि जातीय जनगणना की तैयारी लंबे समय से चल रही थी। देश में आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी। साल 1881 से हर 10 साल के अंतराल पर जनगणना होती आई है। लेकिन 2021 में आई कोरोना आपदा की वजह से यह जनगणना नहीं हो पाई थी।
#WATCH | Delhi | On RJD leader Tejashwi Yadav’s statement, Union Minister Dharmendra Pradhan says, “What can we say about those groups who live confined to a family… People who are surrounded by a clan which keeps their affinity and their circle confined to one family should… https://t.co/tFGTDJsX6i pic.twitter.com/qqX8KeHRdY
— ANI (@ANI) May 1, 2025
गुरुवार को एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने जातीय जनगणना के फैसले पर केंद्र सरकार की सराहना की। कल केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जनगणना के साथ ही जातीय जनगणना होने की जानकारी दी थी। विपक्ष के कई बड़े नेता लंबे समय से जातीय जनगणना की मांग कर रहे थे। प्रधान ने कहा कि सरकार लंबे समय से जातीय जनगणना की तैयारियों में जुटी थी। उन्होंने कहा, “यह एक दिन में लिया गया फैसला नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार लंबे समय से इसकी तैयारी में जुटी थी। जातीय जनगणना सर्व समाज के विकास के लिए बेहतर साबित होगी।”
अभी जनगणना की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन बुधवार को अपने संबोधन के दौरान अश्विनी वैष्णव ने जल्द ही तारीखों की घोषणा होने का आश्वासन दिया। भारत में आखिरी जातीय जनगणना साल 1931 में हुई थी।
कांग्रेस पर साधा निशाना
धर्मेंद्र प्रधान ने प्रेस वार्ता के दौरान कांग्रेस पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “नेहरू हमेशा से आरक्षण के खिलाफ थे। अगर बाबा साहब अंबेडकर न होते, तो देश में कभी आरक्षण नहीं आता।” उन्होंने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “राजीव गांधी हमेशा ओबीसी आरक्षण के खिलाफ थे। राहुल को पता होना चाहिए कि कांग्रेस हमेशा से ओबीसी आरक्षण के खिलाफ रही है।”
2011 में हुई थी जनगणना
देश में आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी। साल 1881 से हर 10 साल के अंतराल पर जनगणना होती आई है। लेकिन 2021 में आई कोरोना आपदा की वजह से यह जनगणना नहीं हो पाई थी। यह पहली बार होगा जब जनगणना और जातीय जनगणना एक साथ होने जा रही है। 2011 के आंकड़ों के मुताबिक भारत की आबादी 121 करोड़ से ज्यादा है।
#WATCH | Patna, Bihar: On Centre’s decision to conduct caste census, Bihar Deputy CM Samrat Choudhary says, “Whether it is Sonia Gandhi, Rahul Gandhi, Lalu Prasad or our CM Nitish Kumar, Prime Minister Modi has done the work of fulfilling everyone’s dreams…” pic.twitter.com/LCEWKflJGe
— ANI (@ANI) May 1, 2025
लंबे समय से चल रहा था विवाद
विपक्ष और सरकार के बीच जातीय जनगणना को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था। राजद और कांग्रेस समेत कई दल लंबे समय से देशव्यापी जातीय जनगणना की मांग कर रहे थे। केंद्र सरकार का जातीय जनगणना कराने का फैसला इस साल के अंत में होने वाले बिहार चुनावों पर भी असर डालेगा। केंद्र का फैसला आते ही लगभग सभी दलों में क्रेडिट लेने की होड़ लग गई है।
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आज़ाद भारत की पहली जातीय जनगणना
देश में आखिरी जातीय जनगणना साल 1931 में हुई थी। जातीय आधार पर मिलने वाला आरक्षण आज भी 1931 के आंकड़ों पर आधारित है। आम जनगणना के साथ होने वाली जातीय जनगणना के आधार पर राजनीतिक दल नए सिरे से अपनी गोलबंदी मजबूत करने पर ज़ोर दे सकते हैं।