Top NewsIndiaWorld
Other States | Delhi NCRHaryanaUttar PradeshBiharRajasthanPunjabJammu & KashmirMadhya Pradeshuttarakhand
Business
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

शुभांशु का लौटना भारत के लिए वरदान, ये जानकरी हो सकती है गगनयान के लिए रामबाण

09:04 PM Jul 15, 2025 IST | Amit Kumar
शुभांशु

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला हाल ही में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से सफलतापूर्वक पृथ्वी पर लौटे हैं. वह 18 दिनों तक अंतरिक्ष में रहे और इस दौरान उन्होंने केवल वैज्ञानिक आंकड़े और बीजों के नमूने ही नहीं लाए, बल्कि भारत की बढ़ती अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं का प्रतीक भी बन गए. उन्होंने वहां 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनके नतीजे भविष्य में अंतरिक्ष तकनीक को नई दिशा दे सकते हैं.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शुक्ला ने ISS पर सात ऐसे महत्वपूर्ण प्रयोग किए, जो भारत के गगनयान मिशन में बहुत फायदेमंद साबित हो सकते हैं. इन प्रयोगों में जीवन रक्षा, भोजन उत्पादन, ऑक्सीजन निर्माण और कंप्यूटर-दिमाग संपर्क जैसे विषय शामिल हैं.

1. अंतरिक्ष में शैवाल की वृद्धि

शुक्ला ने यह जानने की कोशिश की कि क्या सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण (microgravity) में सूक्ष्म शैवाल (microalgae) को उगाया जा सकता है. यह शैवाल अंतरिक्ष यात्रियों के लिए भोजन और ऑक्सीजन का स्रोत बन सकता है.

2. मेथी और मूंग के बीजों का अंकुरण

उन्होंने मेथी और मूंग के बीजों को अंतरिक्ष में उगाने का प्रयोग किया. इन बीजों को आईआईटी धारवाड़ और कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय धारवाड़ ने तैयार किया था. यह प्रयोग भविष्य में अंतरिक्ष में भोजन उगाने की दिशा में बड़ा कदम हो सकता है.

3. स्क्रीनटाइम और मानव संपर्क

शुक्ला ने यह अध्ययन किया कि सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में कंप्यूटर स्क्रीन के साथ मानव का संपर्क कैसे बदलता है. यह प्रयोग गगनयान मिशन के प्रशिक्षण में मदद करेगा.

4. मांसपेशियों और हड्डियों पर प्रभाव

उन्होंने माइक्रोग्रैविटी में शरीर की मांसपेशियों और हड्डियों पर पड़ने वाले प्रभाव को भी परखा. इस अध्ययन को "मायोजेनेसिस" कहा जाता है और इससे हड्डियों की कमजोरी रोकने के उपाय तलाशे जा सकते हैं.

5. ऑक्सीजन बनाने का तरीका

शुक्ला ने सायनोबैक्टीरिया पर एक प्रयोग किया जो ऑक्सीजन तैयार कर सकता है. यह बैक्टीरिया कार्बन और नाइट्रोजन को रीसायकल कर ऑक्सीजन बना सकता है, जिससे अंतरिक्ष में सांस लेने की समस्या दूर हो सकती है.

6. दिमाग से कंप्यूटर को नियंत्रित करना

शुक्ला ने ब्रेन-टू-कंप्यूटर इंटरफेस का परीक्षण किया, जिसमें यह देखा गया कि क्या इंसान अपने दिमाग से सीधे कंप्यूटर को नियंत्रित कर सकता है. यह प्रयोग पोलैंड की एक न्यूरोटेक्नोलॉजी कंपनी की मदद से किया गया और पहली बार किसी मानव ने अंतरिक्ष में ऐसा किया.

7. पानी के बुलबुले और गुरुत्वाकर्षण

उन्होंने वॉटर बबल्स (पानी के बुलबुले) पर एक अनोखा प्रयोग किया, जिससे यह समझने में मदद मिली कि जीरो ग्रेविटी में भौतिकी के नियम कैसे बदल जाते हैं. उन्होंने मजाक में कहा कि वह "वॉटर बेंडर" बन गए हैं.

यह भी पढ़ें-स्वागत है शुभांशु, 18 दिन की अंतरिक्ष यात्रा पूरी कर धरती पर लौटा भारत का लाल

Advertisement
Advertisement
Next Article