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कोरोना की दूसरी लहर का कहर - श्रद्धालु नहीं करा रहे है चारधाम यात्रा की बुकिंग

उत्तराखंड में कोरोना की दूसरी लहर में तेजी से बढ़ते मामलों का असर आगामी चारधाम यात्रा पर भी पड़ रहा है और अब तक श्रद्धालुओं द्वारा प्रसिद्ध हिमालयी धामों की यात्रा के लिए बसों की बुकिंग शुरू नहीं हुई है ।

04:17 PM Apr 22, 2021 IST | Ujjwal Jain

उत्तराखंड में कोरोना की दूसरी लहर में तेजी से बढ़ते मामलों का असर आगामी चारधाम यात्रा पर भी पड़ रहा है और अब तक श्रद्धालुओं द्वारा प्रसिद्ध हिमालयी धामों की यात्रा के लिए बसों की बुकिंग शुरू नहीं हुई है ।

कोरोना की दूसरी लहर का कहर   श्रद्धालु नहीं करा रहे है चारधाम यात्रा की बुकिंग
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उत्तराखंड में कोरोना की दूसरी लहर में तेजी से बढ़ते मामलों का असर आगामी चारधाम यात्रा पर भी पड़ रहा है और अब तक श्रद्धालुओं द्वारा प्रसिद्ध हिमालयी धामों की यात्रा के लिए बसों की बुकिंग शुरू नहीं हुई है । चारधाम यात्रा अगले माह की 14 तारीख को अक्षयतृतीया के पर्व से शुरू हो रही है जब उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के कपाट छह माह के शीतकालीन प्रवास के बाद श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे ।
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तीर्थयात्रा के लिए बसों का प्रबंध करने वाली यात्रा प्रबंधन संयुक्त रोटेशन कमेटी के अध्यक्ष सुधीर रॉय ने बताया, “हर साल इस समय तक यात्रा के लिए कम से कम 500 बसों की बुकिंग होना सामान्य बात है लेकिन इस बार अब तक एक भी बस की बुकिंग नहीं हुई है जिसने पर्यटन उद्योग से जुडे लोगों में चिंता बढ़ा दी है।”
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यात्रा मार्ग पर वाहन संचालित करने वाले बस ऑपरेटरों के लिए माहौल को “बहुत निराशाजनक” बताते हुए रॉय ने कहा कि हमें आधी सवारियों की बजाय बस में पूरी सवारियां भरने की अनुमति दी जानी चाहिए । उन्होंने कहा कि यात्रा के लिए मानक परिचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करते समय पर्यटन उद्योग में जारी निराशाजनक माहौल को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए और यात्रा मार्गों पर बसों में पूरी क्षमता में सवारियां बैठाने की अनुमति दी जानी चाहिए।
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उन्होंने हालांकि कहा कि एसओपी में श्रद्धालुओं के लिए 72 घंटे पूर्व की कोरोना निगेटिव जांच रिपोर्ट लाना अनिवार्य किया जा सकता है । रॉय ने कहा कि अगर यात्री कोविड मुक्त हैं तो बसों में सामाजिक दूरी की कोई जरूरत ही नहीं है । उत्तराखंड में बुधवार को एक दिन में अब तक के सर्वाधिक रिकार्ड 4807 कोविड मरीज मिले थे।
पिछले साल भी महामारी का प्रभाव चारधाम यात्रा पर पड़ा था और सभी मंदिर अपने तय समय से काफी बाद में खुले थे। हेमकुंड साहिब गुरूद्वारा भी बहुत विलंब से खुला था।
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