जिस सिंदूर को खोया था, आज उसका बदला लिया गया": ऑपरेशन सिंदूर पर सूफी संत का बयान
ऑपरेशन सिंदूर: सूफी संत ने लिया खोए सिंदूर का बदला
ऑल इंडिया सूफी सज्जादनशीन काउंसिल के अध्यक्ष सैयद नासिरुद्दीन चिश्ती ने ऑपरेशन सिंदूर की सराहना की, जिसे पहलगाम आतंकी हमले में खोए हुए सिंदूर का बदला माना गया। उन्होंने इसे आतंकवाद के खिलाफ भारत की जीरो टॉलरेंस नीति का प्रमाण बताया और प्रधानमंत्री व सेना की तारीफ की।
ऑल इंडिया सूफी सज्जादनशीन काउंसिल के अध्यक्ष सैयद नासिरुद्दीन चिश्ती ने बुधवार को केंद्र सरकार और सशस्त्र बलों की ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत कार्रवाई की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह अभियान उन महिलाओं के लिए एक सांस्कृतिक और भावनात्मक न्याय है, जिन्होंने 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले में अपने पतियों को खो दिया और अपना “सिंदूर” लुटा बैठीं। चिश्ती ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकवादी ठिकानों पर किए गए हमलों को भारत की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति का प्रमाण बताया। “आज भारत ने अपनी ताकत दिखा दी है। मैं सेना के हर जवान को सलाम करता हूं और प्रधानमंत्री का धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने देश की भावनाओं को समझा और पाकिस्तान को करारा जवाब दिया,” चिश्ती ने कहा।
“सिंदूर हमारी संस्कृति का प्रतीक है”: चिश्ती ने समझाया नाम का महत्व
सैयद नासिरुद्दीन चिश्ती ने कहा, “सिंदूर हमारे समाज में सुहाग का प्रतीक है। पहलगाम हमले में कई महिलाओं ने इसे खो दिया, लेकिन आज ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से हमने उसका बदला लिया है।” उन्होंने कहा कि आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने का यह संकल्प पूरे भारतवर्ष को एकजुट करता है और यह सांस्कृतिक आघात के प्रति राष्ट्र की जवाबदेही को दर्शाता है।
ऑपरेशन सिंदूर: नौ आतंकी अड्डों को तबाह किया गया
बुधवार को तड़के 1:05 बजे से 1:30 बजे के बीच भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना की संयुक्त कार्रवाई में पाकिस्तान और पीओके में मौजूद नौ आतंकी ठिकानों को विशेष बमों से निशाना बनाया गया। इन ठिकानों में बहावलपुर, मुरिदके, सरजल और महमूना जौया जैसे बड़े आतंकी केंद्र शामिल थे। भारतीय सशस्त्र बलों ने स्पष्ट किया कि हमलों के दौरान नागरिकों या सैन्य ठिकानों को कोई नुकसान नहीं हुआ।
1971 के बाद सबसे गहरी सैन्य कार्रवाई: भारत का स्पष्ट संदेश
यह कार्रवाई 1971 के बाद पाकिस्तान की निर्विवाद जमीन पर भारत की सबसे गहरी सैन्य कार्रवाई मानी जा रही है। इस मिशन को न केवल सैन्य दृष्टिकोण से बल्कि कूटनीतिक और सांस्कृतिक मोर्चे पर भी एक बड़ी जीत बताया जा रहा है। विभिन्न राजनीतिक दलों और आम नागरिकों ने इस अभियान पर गर्व जताया है और इसे एक “मापा हुआ लेकिन ठोस जवाब” करार दिया है।