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नयी पीढ़ी के विकास और समझ से ही समाज बदलेगा : नीतीश कुमार

दिल्ली चले जाते हैं और वहीं के होकर रह जाते हैं। इनके मन में गांधी जी के भाव हैं जो ग्रामीण इलाके के लोगों को पढ़ाने एवं प्रेरित करने में जुटे हैं।

05:11 PM Nov 13, 2018 IST | Desk Team

दिल्ली चले जाते हैं और वहीं के होकर रह जाते हैं। इनके मन में गांधी जी के भाव हैं जो ग्रामीण इलाके के लोगों को पढ़ाने एवं प्रेरित करने में जुटे हैं।

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मौलाना अबुल कलाम आजाद के जन्म दिवस पर आयोजित शिक्षा दिवस 2018 कार्यक्रम का दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया। श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजकों ने मुख्यमंत्री को पौधा भेंटकर उनका स्वागत किया। मुख्यमंत्री ने मौलाना अबुल कलाम आजाद के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर बाल विवाह एवं दहेज-प्रथा उन्मूलन को लेकर आयोजित हुई मानव श्रृंखला 2018 पर आधारित जन शिक्षा निदेशालय द्वारा तैयार की गई पुस्तिका का मुख्यमंत्री ने विमोचन किया। मुख्यमंत्री ने प्रख्यात शिक्षाविद् एवं अवकाश प्राप्त वैज्ञानिक (डीआरडीओ) पद्मश्री मानस बिहारी वर्मा को मौलाना अबुल कलाम आजाद सम्मान से भी सम्मानित किया। वैज्ञानिक के रूप में पद्मश्री मानस बिहारी वर्मा की उपलब्धियों, उनके व्यक्तित्व एवं अवकाश प्राप्ति के बाद शिक्षा के विकास एवं सामाजिक उत्थान की दिशा में उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों को साझा किया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं इस शिक्षा दिवस समारोह में मौलाना अबुल कलाम आजाद साहब के प्रति श्रद्धा-सुमन अर्पित करता हॅू। उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई और समाज में सद्भाव का वातावरण कायम करने में मौलाना अबुल कलाम आजाद की जो भूमिका रही है, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। आजादी के बाद वे देश के पहले शिक्षा मंत्री थे और शिक्षा के विकास में उनकी भूमिका काफी अहम रही है। उन्होंने कहा कि भारत के विभाजन से वे सहमत नहीं थे। नेहरु, पटेल के बाद हमारी जुबान पर आजाद साहब का ही नाम आता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2007 से ही हमलोगों ने मौलाना अबुल कलाम आजाद साहब के जन्म दिवस पर 11 नवम्बर को बिहार में शिक्षा दिवस मनाना प्रारंभ किया। इसके एक वर्ष बाद ही केंद्र सरकार ने भी इसे अपनाया।

शिक्षा विभाग को निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आजाद साहब का जो जीवन है और उनके द्वारा जो काम किए गये हैं, उन सभी चीजों को समाहित करते हुए अगले एक साल के अंदर पुस्तक तैयार करें ताकि नई पीढ़ी उनसे प्रेरणा ले सकें। उन्होंने कहा कि अगले साल से आजाद साहब पर आधारित पुस्तक का वितरण लोगों एवं विद्यार्थियों के बीच किया जाए ताकि लोग उनके कामों से अवगत हो सकें। युवा पीढ़ी के लोग यह जान पायेंगे कि आईआईटी किसने और कब बनवाया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरी अपनी धारणा है कि अगर 10 से 15 प्रतिशत युवा पीढ़ी बापू के विचारों को आत्मसात कर ले तो देश और समाज का स्वरूप बदल जाएगा। हमने बापू के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए हर दरवाजे तक बापू के विचारों का संक्षिप्त स्वरूप पहुंचाया। बापू के विचारों को दो किताबों में संग्रह कर स्कूलों में कथावाचन प्रारंभ किया गया। उन्होंने कहा कि बिना तथ्य और तर्क के बहुत लोग समाज में टकराव का माहौल पैदा करने की कोशिश में लगे हैं। अगर समाज में टकराव और कटुता का माहौल रहा तो विकास कार्यों का पूरा फायदा लोगों को नहीं मिल पायेगा। मैं कहूंगा कि लड़ाने वालों के चक्कर में मत पडि़ए। प्रेम और सद्भाव का माहौल कायम रखिये, तभी समाज आगे बढ़ेगा। आप सभी इसकी प्रेरणा बापू के विचारों और आजाद साहब के कामों से लें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज इस कार्यक्रम में पद्मश्री मानस बिहारी वर्मा को सम्मानित किया गया यह गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि हर बिहारी भी अपना मानस इतना ऊॅचा करे कि उन्हें भी सम्मानित होने का अवसर मिले और बिहार का नाम रौशन हो सके। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक के रूप में डीआरडीओ में काम कर चुके मानस बिहारी वर्मा से हम सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए। इतने ऊंचे पद पर काम करने के बाद अवकाश प्राप्त होने पर उन्होंने अपने गांव का रुख किया और आज अपने इलाके के लोगों को शिक्षा एवं विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। आज अधिकांश लोग जो इतने ऊंचे पदों से अवकाश प्राप्त करते हैं तो वे लौटकर दिल्ली चले जाते हैं और वहीं के होकर रह जाते हैं। इनके मन में गांधी जी के भाव हैं जो ग्रामीण इलाके के लोगों को पढ़ाने एवं प्रेरित करने में जुटे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कहा कि बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में अनेक काम किए गये। जब हमने काम संभाला था तो 12.5 प्रतिशत बच्चे स्कूलों से बाहर थे। उन्हें स्कूल पहुंचाने के लिए अनेक प्रयास किए गये, जिसका नतीजा है कि अब 1 प्रतिशत से भी कम बच्चे स्कूलों से बाहर हैं। लड़कियों के लिए कन्या उत्थान योजना, पोशाक योजना, साइकिल योजना जैसी अन्य कई योजनायें चलायी गयी, इससे महिलाओं के सशक्तिकरण को बल मिला। बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ अभियान शुरू किया गया। उन्होंने कहा कि बेटी नहीं रहेगी तो सृष्टि कैसे आगे बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ कानून बने हुये हैं, फिर भी ऐसे विवाह होते हैं। बाल विवाह के कारण अगर महिलायें कम उम्र में गर्भधारण करती हैं तो वे मौत की शिकार हो जाती हैं, उनसे जो बच्चे पैदा होते हैं, वे बौनेपन, मंदबुद्धि या अन्य कई बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण से छेड़छाड़ के कारण आज हम सूखे और अन्य कई समस्याओं से जूझने को विवश हैं। महात्मा गांधी कहा करते थे कि यह धरती इनसान की हर जरूरतों को पूरा कर सकती है, लालच को नहीं। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के प्रति जागृति को शिक्षा से जोडऩा अति आवश्यक है ताकि भावी पीढ़ी पर्यावरण के प्रति सचेत हो सके। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के प्रति बापू के विचार और उनके द्वारा बताये गये सात सामाजिक पापों को हम हर स्कूल और कार्यालयों के समक्ष प्रदर्शित करने जा रहे हैं ताकि लोग उसे आत्मसात कर सकें। बापू ने सिद्धांत के बिना राजनीति, काम के बिना धन, विवेक के बिना सुख, चरित्र के बिना ज्ञान, नैतिकता के बिना व्यापार, मानवता के बिना विज्ञान और त्याग के बिना पूजा को सात सामाजिक पाप माना है।

हम इन सभी बातों का प्रचार करेंगे, इससे कुछ तो लोगों पर असर होगा। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी के विकास और समझ से ही समाज बदलेगा। मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग को इस कार्यक्रम के लिए धन्यवाद दिया। इस अवसर पर श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में मौलाना अबुल कलाम आजाद के लेखन, जीवन, दर्शन एवं योगदान पर आधारित प्रदर्शनी का मुख्यमंत्री ने अवलोकन किया। समारोह को उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, प्रख्यात शिक्षाविद् एवं अवकाश प्राप्त वैज्ञानिक पद्मश्री मानस बिहारी वर्मा एवं शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आर. के. महाजन ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के सचिव मनीष कुमार वर्मा, शिक्षा विभाग के विशेष सचिव सतीश चंद्र झा, शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव विनोद कुमार सिंह, बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के राज्य परियोजना निदेशक संजय कुमार सिंह, जिलाधिकारी कुमार रवि सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति, शिक्षकगण, छात्र-छात्रायें एवं आमलोग उपस्थित थे।

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