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जलियांवाला बाग की मिट्टी को राष्ट्रीय अजायबघर में रखा जाएगा:श्वेत मलिक

केन्द्रीय संस्क़ति मंत्री प्रह्लाद पटेल और पंजाब भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष एवं जलियांवाला बाग के ट्रस्टी श्वेत मलिक ने शहीदों की स्थली जलियांवाला बा़ग से विशेष रूप लाई गई मिट्टी का कलश प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी को सौंपा है।

01:58 PM Nov 22, 2019 IST | Shera Rajput

केन्द्रीय संस्क़ति मंत्री प्रह्लाद पटेल और पंजाब भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष एवं जलियांवाला बाग के ट्रस्टी श्वेत मलिक ने शहीदों की स्थली जलियांवाला बा़ग से विशेष रूप लाई गई मिट्टी का कलश प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी को सौंपा है।

केन्द्रीय संस्क़ति मंत्री प्रह्लाद पटेल और पंजाब भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष एवं जलियांवाला बाग के ट्रस्टी श्वेत मलिक ने शहीदों की स्थली जलियांवाला बा़ग से विशेष रूप लाई गई मिट्टी का कलश प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी को सौंपा है। 
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श्री मोदी ने इसे दिल्ली स्थित ‘‘नेशनल म्यूजियम’’ में रखने का आश्वासन दिया है ताकि जो लोग जलियांवाला बा़ग नहीं जा सकते, वे यहीं पर उसके दर्शन कर सकें और गौरवान्वित महसूस कर सकें। श्री मलिक ने आज यहां बताया कि आज 100 वर्ष बाद यह मिट्टी नेशनल म्यूजियम में पहुँची है। 
उन्होंने कहा कि जब सांस्कृतिक मंत्री प्रह्लाद पटेल अपने करतारपुर कॉरिडोर से संबंधित कार्यक्रमों में भाग लेने सुल्तानपुर लोधी जाने के लिए अमृतसर आये थे, तब उनके द्वारा शहीदों की स्थली जलियांवाला बा़ग से से पवित्र मिट्टी अपने साथ ले गए थे।
 
सांसद मलिक ने कहा कि जलियांवाला बाग का चप्पा-चप्पा देश की आजादी में पंजाबियों द्वारा दिए असंख्य बलिदानों का गवाह है। इसकी दीवारें उस इतिहास का वृतांत आज भी यथावत सुनाती हैं, जिसे देख कर हर कोई खुद को गौरवान्वित महसूस करता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के 70 वर्ष के शासनकाल में जलियांवाला बाग की हालत खराव हुई है। 
उन्होंने बताया कि जलियांवाला बाग का विकास किया जा रहा है जिसमें वर्तमान गैलरी का पुनर्निर्माण कर वहां अति आधुनिक तकनीक से जलियांवाला बाग के इतिहास को दिखाया जाना भी शमिल है ताकि यहाँ आने वाले पर्यटक अपने स्वर्णिम इतिहास से वाकिफ हो सकें। जिस रास्ते से जरनल डायर ने जलियांवाला बाग में प्रवेश करके निहत्थे भारतीयों पर गोलियां चलाईं थीं, उस ऐतिहासिक रास्ते की पुरानी विरासत को संरक्षित करते हुए उसे नया रूप दिया जा रहा है। 
प्रवेश द्वार की दाएं व बाएं की दीवारों पर उस समय के दृश्यों का जीवंत चित्रण किया जा रहा है। शहीदी कुएं का भी जीर्णोधार किया जा रहा है तथा उसके भीतर का दृश्य भी अब लोगों को सा़फ-सा़फ दिखाई देगा और इसके अतिरिक्त दीवारों पर लगे गोलियों के निशानों को भी संजोया जा रहा है।
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