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अनंत अंबानी और तोते की वो कहानी

मेरी जिंदगी और मेरा पेशा ऐसा है कि मैं ढेर सारे लोगों से मिलता रहता हूं…

10:47 AM Feb 24, 2025 IST | विजय दर्डा

मेरी जिंदगी और मेरा पेशा ऐसा है कि मैं ढेर सारे लोगों से मिलता रहता हूं…

मेरी जिंदगी और मेरा पेशा ऐसा है कि मैं ढेर सारे लोगों से मिलता रहता हूं, कुछ लोग प्रभावी व्यक्तित्व के धनी होते हैं लेकिन विरला ही कोई ऐसा व्यक्ति होता है जिससे मिलकर आपको लगता है कि ये जहां इतना खूबसूरत क्यों है! जिंदगी की तमाम दौड़-धूप के बीच सहजता और सरलता समेटे लेकिन स्पष्टवादी, दृढ़ निश्चयी और मानवीयता से भरे, बेमिसाल बिजनेस लीडर और जियो प्लेटफॉर्म लिमिटेड के निदेशक अनंत अंबानी ऐसी ही शख्सियत हैं। पिछले सप्ताह मैं दो घंटे उनके साथ था, बहुत सी बातें हुईं। मुझे लगा कि मुलाकात को आपके साथ साझा करना चाहिए।

निश्चित रूप से उनके पास दादा धीरूभाई अंबानी, पिता मुकेश अंबानी और सामाजिकता से भरपूर मां नीता अंबानी की विरासत है लेकिन केवल विरासत की बदौलत कोई व्यक्ति बिजनेस लीडर नहीं बन जाता। खुद का व्यक्तित्व मायने रखता है, मैं भरोसे के साथ कह सकता हूं कि अनंत सबसे अलग हैं। केवल कमाना उनका पेशा नहीं, वे इस जहां को खूबसूरत बनाने में लगे हैं। उनमें कितना मर्म बसा है, इसका उदाहरण ही आपको चकित कर देगा, उन्हें पता चला कि ब्राजील के कटिंगा जंगलों में बसने वाला स्पिक्स मैकॉ प्रजाति का तोता जंगल से विलुप्त घोषित हो चुका है। काफी प्रयासों के बाद पता चला कि विदेश में एक प्रिंस के पास स्पिक्स मैकॉ का एक जोड़ा निजी संग्रहालय में है। अनंत ने वह जोड़ा प्राप्त किया। उनके वनतारा से जुड़े ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर ने एसोसिएशन फॉर द कंजर्वेशन ऑफ थ्रेटन्ड पैरट्स के साथ मिलकर इन विलुप्त पक्षियों को नया जीवन देने के लिए अथक प्रयास शुरू किया। आज 90 से ज्यादा स्पिक्स मैकॉ तोते ब्राजील के जंगलों में उड़ान भर रहे हैं, प्राकृतिक आवास में प्रजनन भी हो रहा है। भगवान श्री गणेश के अनन्य भक्त अनंत अंबानी का वनतारा आज हाथियों का सबसे बड़ा रेस्क्यू सेंटर बन चुका है। वनतारा में 80 तेंदुओं का भी जन्म हो चुका है। जल्दी ही उन्हें जंगलों में छोड़ देंगे।

एक और दिलचस्प बात बताता हूं, उनके पास 12 दोस्तों का एक ऐसा समूह है जिसने मुंबई स्थित सनफ्लावर नर्सरी स्कूल से लेकर अमेरिका में कॉलेज तक साथ रहने के लिए बड़ा त्याग किया। अनंत का एडमिशन विश्वविख्यात स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में हो गया था। कुछ दोस्तों का चयन हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी में हो गया, इन विश्वविद्यालयों में एडमिशन बड़े से बड़े परिवारों का सपना होता है लेकिन सब अडिग थे कि पढ़ेंगे तो एक साथ ही। सभी के माता-पिता ने समझाया कि जिसको जहां जगह मिल रही है, वहां पढ़ें लेकिन दोस्ती अटूट थी। सब ने ब्राउन यूनिवर्सिटी में एक साथ एडमिशन लिया। इतना ही नहीं जब अनंत बीमार हुए और एक साल तक कॉलेज नहीं जा पाए तो सभी दोस्तों ने भी एक साल का ब्रेक ले लिया आज भी सभी दोस्त सप्ताह में एक बार मिलते जरूर हैं।

अनंत जब बच्चे थे तब ट्रांसजेंडर समुदाय द्वारा की जाने वाली देवी मां की आरती उन्हें मंत्रमुग्ध कर देती थी। वे बताते हैं कि ट्रांसजेंडर किस तरह की अद्भुत आरती करते हैं। अनंत आज भी आरती के लिए वहां जाते हैं, मलाड में 18000 ट्रांसजेंडर्स की देखभाल कर रहे हैं। उनके लिए दो स्थायी डॉक्टर्स भी नियुक्ति कर रखे हैं, वे न्यूनतम दर पर उपचार के लिए भारत के टियर 2 और टियर 3 शहरों में 5 से 10 हजार बिस्तरों वाले 200 आधुनिक और सुसज्जित अस्पताल खोलने वाले हैं, जिसमें दो विदर्भ में भी होंगे। इसके लिए 3 लाख करोड़ रु. आवंटित भी कर चुके हैं, डेढ़ लाख करोड़ रु. से अस्पताल बनेंगे और डेढ़ लाख करोड़ रु. के ब्याज से अस्पतालों का संचालन सुनिश्चित होगा। दादाजी धीरूभाई अंबानी के सपनों को पूरा करने के लिए वे पूरे देश में सैकड़ों मंदिर बनाना चाहते हैं जहां गुरुकुल, किफायती आवास व भोजन की व्यवस्था के साथ मैरेज हॉल भी होगा।

अनंत निश्चित रूप से बेमिसाल दूरदृष्टि वाले बिजनेस लीडर हैं। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से लेकर अर्थव्यवस्था और उद्योग क्षेत्र की हर नवीनतम टेक्नोलॉजी से वे अवगत हैं, पिता मुकेश अंबानी के साथ वे हर दिन दो घंटे बिताते हैं ताकि बिजनेस और जिंदगी की बारीकियों में निपुण हो सकें। भाई-बहनों के साथ गजब की बांडिंग हैं और खुद को उनका हनुमान बताते हैं। मुकेश भाई का सपना रहा है कि देश के करोड़ों लोगों को रोजगार मुहैया कराएं इसलिए रिलायंस ग्रुप में कर्मचारियों की मौजूदा संख्या 25 लाख को बढ़ाकर एक करोड़ करने के लिए अनंत पूरी क्षमता के साथ काम कर रहे हैं। कर्मचारियों की संख्या के मामले में रिलायंस को वे दुनिया में नंबर एक बनाना चाहते हैं। सबसे बड़ी बात कि वे यह उपहार अपने पिता को उनके 75वें जन्मदिन पर देना चाहते हैं।

मैंने उनसे महाराष्ट्र के यवतमाल और विदर्भ क्षेत्र में उद्योग स्थापित करने का आग्रह किया तो उन्होंने पलक भी नहीं झपकाई और कहा कि मैं 10-12 हजार एकड़ का एक भूखंड आवंटित करा दूं। वे बड़ा उद्योग स्थापित करेंगे जहां हजारों लोगों को काम मिलेगा। वे यह जान कर खुश हुए कि लोकमत समूह सिंगापुर के बाद लंदन में ग्लोबल इकोनॉमिक कन्वेंशन आयोजित करने वाला है, उन्होंने कन्वेंशन में आने की सहर्ष सहमति दी। उन्होंने इच्छा जताई कि महाराष्ट्रीयन ऑफ द ईयर अवार्ड समारोह जामनगर में आयोजित हो जिससे महाराष्ट्र और गुजरात के बीच संबंधों में प्रगाढ़ता आएगी।

दो घंटे की इस आत्मीयतापूर्ण मुलाकात में लोकमत मीडिया के संयुक्त प्रबंध निदेशक तथा संपादकीय निदेशक ऋषि दर्डा भी साथ थे, मैं अनंत की याददाश्त की भी तारीफ करूंगा। उन्होंने मुझे याद दिलाया कि जब वे ग्रेड 7 में पढ़ाई कर रहे थे तब मैं एक एक्जिबिशन के दौरान उनके स्कूल में उनके स्टॉल पर गया था। अनंत ने बताया कि उन्होंने मुझे एक्वेरियम दिखाया था और मैंने तारीफ भी की थी। उसी स्कूल में मेरा पोता यशोवर्धन भी पढ़ रहा था। अनंत अंबानी से इस सार्थक मुलाकात और लंबी चर्चा के बाद मैं बहुत दावे के साथ कह सकता हूं कि मुकेश भाई और नीता भाभी ने अनंत को संस्कारों और संस्कृति के रस में भिगोया है। देश को इंसानियत से परिपूर्ण अत्यंत दूरदृष्टि वाला और क्षमताओं से परिपूर्ण एक बिजनेस लीडर दिया है, अनंत के लिए मुझे मोहम्मद अली असर का एक शेर याद आ रहा है ः

नई मंजि़ल, नया जादू, उजाला ही उजाला

दूर तक इंसानियत का बोल-बाला !

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